-चंपा देवी पार्क में श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन

GORAKHPUR: चंपा देवी पार्क में दिव्य जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा केदूसरे दिन सोमवार को भागवत भक्ति की मंदाकिनी में हजारों श्रद्धालुओं ने गोते लगाए। साध्वी ने कहा कि भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन की परेशानियों का उत्तम समाधान देती है और जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। परीक्षित कलयुग केप्रभाव केकारण ट्टष्टि से श्रापित हो जाते हैं। पश्चाताप में वह शुकदेव महाराज के पास जाते हैं। उनके चहरे पर उदासी देखकर शुकदेव महाराज उन्हें सवाल पूछने के लिए कहते हैं। उनकेहर सवाल केजवाब में शुकदेव महाराज उन्हें प्रभु कृष्ण की लीलाएं सुनाते हैं। जिसे सुनकर परीक्षित के जीवन में बांके बिहारी की कृपा हुई।

युधिष्ठिर साध्वी ने कहा कि बांके बिहारी ने सदैव धर्म की स्थापना की है। उनका जीवन पांडवों के जीवन से जुड़ा है। पांडव देह हैं तो कृष्ण उनकी आत्मा है। एक समय ऐसा आया कि पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास भुगतना पड़ा। जैसे ही युधिष्ठिर राज्य को छोड़कर जाने लगे तो ब्राह्मणों ने उनका रास्ता रोक लिया और साथ ले चलने का अाग्रह किया।

सूर्य देव की उपासना की दी सलाह

युधिष्ठिर ने कहा कि वनवास में जब मेरे भोजन की ही व्यवस्था नहीं होगी तो आप लोगों की कहां से करूंगा। तब धौम्य ऋषि ने उन्हें सूर्य देव की उपासना की सलाह दी। युधिष्ठिर की उपासना से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें अक्षयपात्र दिया। इसमें हर दिन भोजन तभी खत्म होता था। जब आखिर में द्रौपदी भोजन कर लेती थीं। इस प्रकार गुरु ने युधिष्ठिर का मार्गदर्शन कर विपदा से उबारा। इससे पहले कथा की शुरुआत मुख्य यजमान व्यापारी कल्याण बोर्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन, तुलस्यान फार्मा केराजेश कुमार तुलस्यान, राम नक्षत्र सिंह ट्रेडर्स के महेंद्र सिंह, विजय अग्रवाल, अरुण कुमार मिश्रा, स्वामी नरेंद्रानंद, स्वामी सुमेधानंद, स्वामी अर्जुनानंद, जगरनाथ बैठा, मिथलेश शर्मा, दिनेश चौरसिया, अच्छेलाल गुप्ता, मुन्ना यादव, प्रभा पांडेय आदि ने दीप जलाकर की।

व्यासपीठ से उठी पर्यावरण संरक्ष्ाण की अलख

साध्वी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन और रक्षण किया। बदले में प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। लेकिन विकास की अंधी दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों केदोहन के फलस्वरूप आज समस्त नदियां विनाश के कगार पर आ खड़ी हैं। इस बढ़ते प्राकृतिक असंतुलन को नियंत्रित करने और मानव और प्रकृति के बीच दोबारा सामंजस्य स्थापित करने के लिए संस्थान द्वारा 'संरक्षण कार्यक्रम' संचालित किया जा रहा है। इसके तहत स्वच्छता व पौधरोपण अभियान, झीलों और नदियों की सफाई, जल व ऊर्जा संरक्षण, तुलसी रोपण, एक अच्छी आदत समेत विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं। संस्थान का यह मानना है कि जब मनुष्य आत्मिक रूप से जागृत हो जाता है तो प्रकृति का दोहन नहीं, उसका पूजन करता है।