- एसआईसी ने बिना किसी नोटिस के कटवा दी टीबी हॉस्पिटल की बिजली

- स्वास्थ्य महानिदेशक के निर्देश पर जिला अस्पताल की बिजली से ही चल रहा था काम

- जनरेटर के सहारे हो गया अस्पताल, सीबीनेट, एक्स-रे आदि जांच प्रभावित

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: एसआईसी के एक आदेश से टीबी हॉस्पिटल में अंधेरा छा गया है। यह हालत एक-दो दिन से नहीं बल्कि पंद्रह दिनों से है। टीबी हॉस्पिटल से जेनरेटर से किसी तरह काम चल रहा है लेकिन सीबीनेट से की जाने वाली एमडीआर की जांच और एक्स-रे के अलावा कई जांच प्रभावित हो गई हैं। एसआईसी का कहना है कि टीबी हॉस्पिटल को अलग से बिजली लेनी चाहिए। वहीं टीबी हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि एसआईसी को ऐसा करने से पहले नोटिस देना चाहिए था ताकि वे वैकल्पिक व्यवस्था कर पाते। दोनों के बीच में मरीज बेहाल हो रहे हैं।

2008 से थी सप्लाई

स्वास्थ्य महानिदेशक ने टीबी अस्पताल में निर्बाध विद्युत आपूर्ति का आदेश दिया। 11 साल पहले बिजली विभाग की ओर से अस्पताल के लिए 26 घंटे की सप्लाई की व्यवस्था की गई। तभी से जिला अस्पताल के कनेक्शन से ही टीबी हॉस्पिटल भी चल रहा था। 11 जनवरी को एसआईसी ने निरीक्षण किया तो इसे गलत मानते हुए टीबी अस्पताल की आपूर्ति रोक दी। उन्होंने कहा कि टीबी अस्पताल को अलग कनेक्शन लेना चाहिए। जिला अस्पताल के कनेक्शन से बिजली लेकर जलाना सही नहीं है।

बिजली विभाग ने खड़े किए हाथ

अस्पताल की बिजली काट दिए जाने के बाद किसी तरह जनरेटर से काम चलाया जा रहा है लेकिन कई मशीन लोड नहीं ले पा रहे। टीबी अस्पताल के जिम्मेदारों ने 16 जनवरी को बिजली विभाग के इंजीनियर से मुलाकात की लेकिन इंजीनियर ने हाथ खड़े कर दिए। उनका कहना था कि इस संबंध में अस्पताल प्रशासन से ही बात करें। इसी बीच आईआरएल की टीम अस्पताल का इंस्पेक्शन करने पहुंच गई। बिजली नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की।

4 हजार हो गए खर्च

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जबसे बिजली कटी है तबसे जनरेटर के तेल पर तीन से चार हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी कई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। यदि बिजली काटने के पहले नोटिस दी गई होती तो कोई व्यवस्था की जाती। अचानक बिजली काट दिए जाने से दिक्कत हो रही है। हालांकि टीबी हॉस्पिटल के जिम्मेदार वरीय अधिकारियों से बात कर नया कनेक्शन लेने पर विचार कर रहे हैं।

कोट

सुबह ही टीबी अस्पताल पहुंचा। ओपीडी में डॉक्टर से दिखाया। दवा तो मिल गई लेकिन जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। जनरेटर चालू होने के बाद जांच कराई गई।

ऋषिकेश, पाली, सहजनवां

मेरे पति की हालत काफी दिनों से खराब हैं। टीबी अस्पताल से उनका इलाज चल रहा है। समय से ओपीडी पहुंची। डॉक्टर ने दवा तो लिख दिया लेकिन एक्स-रे आदि की जांच के लिए समय लगा। कर्मचारियों का कहना है कि बिजली कटने की वजह से यह समस्या आ रही है।

बच्ची देवी, शाहपुर

रोज इतने मरीज

ओपीडी ----25-30

एमडीआर ---300

सीबीनेट से जांच---5-6

एक्स-रे -------5-6

बलगम की जांच---35--40

जरूरी है एमडीआर की जांच

एमडीआर टीबी का एक बिगड़ा हुआ रूप है। इसका बैक्टीरिया बहुत ही खतरनाक होता है। इसमें यदि साधारण दवा काम नहीं करती है तो सेकेंड लाइन का ड्रग दिया जाता है। इसके बाद पेशेंट की जांच कराई जाती है। यदि मरीज समय से अस्पताल में उपचार नहीं कराता है और बीच में दवा छोड़ देता है तो उसकी जान भी जा सकती है। लेकिन बिजली नहीं होने के कारण जांच प्रभावित हो रही है।

वर्जन

अस्पताल की बिजली काटे जाने के चलते काम प्रभावित हो रहा है। जनहित को देखते हुए फिलहाल कनेक्शन को चालू किया जाए। वरीय अधिकारियों से बात की जा रही है। अलग व्यवस्था हो जाने के बाद खुद ही कनेक्शन कटवा दिया जाएगा।

डॉ। रामेश्वर मिश्रा, क्षय रोग अधिकारी

क्षय रोग विभाग सीएमओ के अंडर में आता है। बार-बार कहे जाने के बाद भी अस्पताल के लिए अलग कनेक्शन नहीं लिया गया। जिला अस्पताल के कनेक्शन से अवैध रूप से बिजली जलाई जा रही थी इसलिए काट दी गई।

- एचआर यादव, एसआईसी