Lucknow: किसी को यह खुशी थी कि पच्चीस साल पहले इस तारीख को इसी मंच पर प्रस्तुति दी थी तो यंग आर्टिस्ट भी यही कह रहे थे कि हमें इस जश्न में शामिल होने का मौका मिला। 27 मार्च 1987 को राय उमानाथ बली ऑडीटोरियम में रूप में शहर के साथ रंगमंच का एक नया अध्याय लिखा गया। जानी मानी हस्तियों के बीच जिस ऑडीटोरियम की नीव रखी गई मंगलवार 27 मार्च को उसने अपने 25 साल पूरे किये और इस अवसर पर दिन रंगकर्मियों के बीच उत्सव का महौल रहा।

रंग यात्रा से हुआ आगाज

डेकोरेटेड बग्घी पर वृंदावन से आए कलाकार बैठे थे, आगे आगे सजी हुई लिल्ली घोड़ी चल रही थी और देश भक्ति के गीत गूंज रहे थे। उमानाथ बली ऑडीटोरियम से रंग यात्रा निकली जो हजरतगंज, लालबाग होते हुए वापस बली पहुंची। जहां मेहमान कलाकार और पारा के परमेश्वर पांच छह किलो के वजन के साथ रंग यात्रा के सफर में हमकदम थे।

वहीं लालबाग पहुंचते पहुंचते इस रंगयात्रा में रंगकर्मियों की कमी सभी को नजर आई। जनजातीय कलाकार, ढोल बजाने वाले और कुछ यंग यंग कलाकारों को छोड़ दें तो एक दो चेहरे ही नजर आ रहे थे रंगमंच की दुनिया के।

प्रतियोगिताओं के साथ सांस्कृति कार्यक्रम

27 मार्च 1987 की शाम इस मंच पर पहला प्ले हुआ। दर्पण संस्था के इस नाटक का नाम था यहूदी की लड़की और कथक का लुत्फ भी दर्शकों ने उठाया। आज भी कार्यक्रमों का सिलसिला कुछ ऐसा ही चला। दिन भर बच्चों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और शाम को मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला रहा। सोनभद्र के गुरमुरा से आए जनजातीय कलाकारों ने डोमकछ की प्रस्तुति दी।

मोदल, पैयजन और मोरपंख के साथ कलाकारों की जादूगरी खास रही। वहीं मथुरा वृंदावन से सांस्कृतिक संस्था बांसुरी के कलाकारों द्वारा मयूर नृत्य और फूलों की होली प्रस्तुत की गई। अंत में नृत्य नाटिका ईदगाह का मंचन किया गया।

क्या कहते हैं रंगकर्मी

बीएनए के पूर्व डायरेक्टर सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने कहा कि रंगमंच जगत में इस ऑडीटोरियम का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इससे पहले हमारे पास रवीनन्द्रालय था, लेकिन हमें एक ऐसे ऑटीओरियम की जरुरत थी जो चीप एण्ड बेस्ट हो वो बली के रूप में हमारे सामने आया। इसके बाद से कई ऑडी बने हैं, लेकिन बली का जो महत्व पहले था वो आज भी बरकारार है। वहीं वरिष्ठ रंगकर्मी जितेन्द्र मित्तल कहते हैं कि डीपी सिन्हा की मेहनत और कोशिशों का नतीजा है यह ऑडीटोरयिम।

शहर के बीचोबीच, इतनी अच्छी कैपेसिटी के वाला यह ऑडी प्रदेश के बेहतरीन ऑडीज में से एक है। इस उत्सव में हम सेंचुरी बुड्ढा लेकर आए हैं क्योंकि 25 साल पहले हमने आज ही के दिन बगिया बाचा रामा किया था जो सेंचुरी बुड्ढा का ओरिजनल नाम है।