- गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में ऑर्गनाइज किया गया

GORAKHPUR: प्रदेश से गायब हो रही लोक कलाओं की संस्कृति को बचाने के लिए सोन चिरैया रविवार को गोरखपुर पहुंची। सचिव प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी की अगुवाई में चिरैया टीम ने आजादी के लोकरंग प्रोग्राम के जरिए इस कला को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में पहुंची मालिनी अवस्थी ने बताया कि देश को कामयाबी दिलाने और लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाने में लोक कलाकारों का योगदान काफी अहम है।

घट रहा है महत्व

आजादी के 70 साल बाद लोक कलाओं और उनके कलाकारों का महत्व घटता गया। लोक कलाएं लुप्त होती जा रही हैं। उन्ही कलाओं को फिर से जिंदा करने करने के लिए यूपी के चार नगरों, जिनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम मेज् ज्यादा योगदान रहा, वहां यह प्रोग्राम पेश किया जा रहा है। इसमें मेरठ, कानपुर, गोरखपुर और झांसी के नाम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ व कानपुर में यह प्रोग्राम ऑर्गनाइज हो चुका है। अब गोरखपुर के बाद झंासी में प्रोग्राम होना है।

फरुआही से शुरुआत

यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में प्रोग्राम की शुरुआत फरुआही से हुई। यह फसल पकने का उत्सव है, इसको किसान उत्सव के तौर पर गाते हैं। पांडवानी छत्तीसगढ़ की लोक कला है, जिसे ऋतु वर्मा ने पेश किया। धोबिया गीत गाजीपुर के जीवन राम एंड संस की ओर से पेश किया गया। धोबियों ने कठघोड़वा के माध्यम से मनोरंजन के साथ-साथ देशभक्ति को भी जगाया। आखिरी में मालिनी अवस्थी ने बटोहिया गीत पेश किया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे।