JAMSHEDPUR: टाटा स्टील के पूर्व चेयरमैन सही मायनों में देश के औद्योगिक जगत के सच्चे नेतृत्वकर्ता थे। जिन्होंने देश व टाटा स्टील के इतिहास की नई गाथा लिखी। सर दोराबजी टाटा की मंगलवार को 160वीं जयंती थी। कीनन स्टेडियम के सामने सर दोराबजी पार्क में लगी उनकी विशाल आदमकद प्रतिमा पर फूल अर्पित करने के बाद टाटा स्टील, टीक्यूएम एंड स्टील बिजनेस प्रेसिडेंट आनंद सेन ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सर दोराबजी टाटा में नेतृत्व करने की अभूतपूर्व क्षमता थी। उनका पूरा जीवन असाधारण था। उनके व्यक्तिगत जीवन में कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने उसका डटकर सामना किया।

वर्ष 1924 में भारतीय टीम को भेजा था ओलंपिक

वर्ष 1924 में इन्होंने भी पहली बार भारतीय टीम को स्पॉन्सर कर ओलंपिक में भेजा। उनकी दूरगामी सोच का ही नतीजा है कि आज कई भारतीय खिलाड़ी अंतराष्ट्रीय पटल पर चमक रहे हैं। इन्होंने ही टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिकल कंपनी जो अब टाटा पावर है, की स्थापना की। साथ ही रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज की नींव रखी। हमें इनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है ताकि बेहतर ढंग से कंपनी और शहर का संचालन कर सके।

पदाधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि

इस मौके पर टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (सीएस) चाणक्य चौधरी, वाइस प्रेसिडेंट (स्टील मैन्युफैक्च¨रग) सुधांशु पाठक, वाइस प्रेसिडेंट (शेयर्ड सर्विसेज) अवनीश गुप्ता, वाइस प्रेसिडेंट (इंजीनिय¨रग एंड प्रोजेक्ट) अरुण मिश्रा, कंपनी के पूर्व एमडी जमशेद जी ईरानी, पूर्व डिप्टी एमडी डॉ। टी मुखर्जी, पूर्व वाइस प्रेसिडेंट एएम मिश्रा, टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, डिप्टी प्रेसिडेंट अरविंद पांडेय, महासचिव सतीश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष हरिशंकर सिंह, सहायक सचिव नितेश राज सहित कंपनी के वरीय अधिकारियों ने सर दोराबजी टाटा की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर सर दोराबजी टाटा के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।

दी थी यूनियन को मान्यता

यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कहा कि सर दोराबजी टाटा ने अपने पिता जेएन टाटा के सपनों को पूरा किया। 112 वर्ष पूर्व जब यहां जंगल था, कोई सुविधाएं नहीं थी तब एक स्टील प्लांट सह जमशेदपुर के रूप में पूरा शहर स्थापित करने की उन्होंने परिकल्पना की। उन्होंने ही वर्ष 1920 में टाटा स्टील में पहली बार यूनियन के रूप में जमशेदपुर लेबर एसोसिशन (वर्तमान में टाटा वर्कर्स यूनियन) को मान्यता दी। सर दोराबजी ने ही सबसे पहले कंपनी में आठ घंटे की ड्यूटी, कर्मचारियों के लिए पीएफ, क्वार्टर, बिजली, पानी, सड़क, पार्क को क्रियान्वित किया। टाटा समूह आज जिस ऊंचाई पर पहुंची है उसमें सर दोराबजी टाटा का अहम योगदान है।