सगे भाई ने 3 दोस्तों के साथ बनाया था हवस का शिकार

Meerut। 8 साल की मासूम के साथ जो हुआ, वो दिल दहलाने वाला था। दरिंदगी करने वाले उसके भाई और उसके तीन दोस्तों को पुलिस ने तभी पकड़ लिया था, लेकिन मासूम अभी भी सहमी रहती है। स्कूल भी छूट गया और घर से बाहर निकलना भी।

हंसती-खेलती मासूम जिस कलाई पर सात साल से राखी बांधकर अपनी सुरक्षा का वचन ले रही थी, उसी 10 वर्षीय भाई ने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर उस वचन को अपनी दरिंदगी से तार-तार कर दिया। कंकरखेड़ा थानाक्षेत्र के श्रद्धापुरी में अगस्त माह में हुई इस जघन्य वारदात के घाव मासूम के जेहन में आज भी इस कदर ताजा हैं कि वह घर से बाहर कदम निकालने के नाम सहम जाती है।

खेलने के बहाने

उस दिन उसका भाई उसे खेलने के बहाने बाहर ले गया और अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर दरिंदगी को अंजाम दिया। हालांकि पुलिस ने चारों आरोपियों को पकड़ लिया था। लेकिन उस दिन के बाद से पीडि़ता की जिंदगी में तूफान आया, वह आज तक शांत नहीं हुआ है।

पारिवारिक कलह ने तोड़ा

दरअसल, पीडि़ता के परिवार में माता और पिता के बीच अनबन थी। उनकी कलह ने बच्चों को अलग-थलग कर दिया था। मां अपने मायके रह रही थी और पिता कंकरखेड़ा में मजदूरी करके मासूम और उसके भाई का पेट पाल रहा था।

अब सिस्टम के चक्कर

दरिंदगी के बाद बेटी घर में कैद है और उसका पिता कशमकश में है। हर तारीख पर राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) में निरुद्ध उसका भाई अपने दोस्तों के साथ पेशी पर आता है। पिता की मानसिक स्थिति अजीब है, बेटी को न्याय दिलाने के लिए उसे अपने ही बेटे के खिलाफ खड़ा होना पड़ रहा है।

मासूम की काउंसलिंग करने वाली प्रोबेशन विभाग की टीम का कहना है कि मासूम का दोषी 'सामाजिक बदलाव' है। मां-बाप साथ नहीं रहते, परवरिश की कमी के चलते पीडि़त के भाई ने जघन्य कृत्य को अंजाम दिया।

सिस्टम की मार

जब कभी अनपढ़ पिता के पास थाने से कोई भी खबर आती है तो वह 'बिटिया' के साथ थाने और सूरजकुंड स्थित बाल कल्याण समिति कार्यालय की ओर दौड़ लगा देता है। समिति भी आए दिन मासूम की पेशी करा रही है, जबकि यह कानूनन अपराध है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब समिति कार्यालय के बाहर बैठी मासूम का सामना जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेशी पर आए उसके 'गुनाहगारों' से होता है। सगे भाई का दरिंदगी से भरा चेहरा उसे भाई नाम से नफरत करने पर मजबूर कर देता है।