-संस्कृत विवि से वर्ष 2004 से 14 तक डिग्री हासिल करने वाले शिक्षक जांच के घेरे में

परिषदीय विद्यालयों में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों पर जल्द गाज गिरने वाली है। विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) ने सूबे में ऐसे करीब 500 शिक्षकों को चिह्नित कर लिया है। यह शिक्षक वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्री के आधार पर चयनित हुए हैं। एसआईटी विश्वविद्यालय से इन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन करा चुका है। अब सूबे के सभी बीएसए से सत्यापन रिपोर्ट मांगी है ताकि विवि व बीएसए कार्यालय द्वारा कराए गए सत्यापन रिपोर्ट से मिलान किया जा सके।

टीआर की सौंप चुके डिटेल

बेसिक शिक्षा के संयुक्त शिक्षा निदेशक गणेश कुमार ने सूबे के सभी बीएसए से शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन रिपोर्ट 27 फरवरी तक एसआईटी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इससे पहले एसआईटी ने संस्कृत विश्वविद्यालय से वर्ष 1998 से 2014 तक का अंक चिट, टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) मांगा था। विश्वविद्यालय एसआईटी के इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह को टीआर की फोटो कापी भी सौंप चुका है।

मिली गड़बड़ी

दरअसल सूबे के विभिन्न जनपदों में बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित विद्यालयों में विश्वविद्यालय के उपाधिधारक बड़े पैमाने पर चयनित हुए थे। विवि पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इसे देखते हुए शासन ने इसकी जांच एसआईटी को सौंप दी। एसआईटी अब 65 जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। विश्वविद्यालय पिछले दो सालों में विश्वविद्यालय 65 में से 50 जिलों का प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन कर चुकी है। करीब चार हजार अंकपत्रों के सत्यापन में लगभग चार सौ अध्यापकों के अंकपत्र जाली मिले हैं। 15 जिलों के अध्यापकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है।