आगरा। डॉ। भीमराव आम्बेडकर यूनिवर्सिटी प्रशासन सिर्फ स्टूडेंट्स से ही चक्कर नहीं लगवा रहा है, बल्कि शासन की एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम) को भी घनचक्कर बना दिया है। तीन वर्ष में आधा दर्जन से अधिक बार भी चक्कर लगाने के बाद एसआईटी अफसरों को उनके सवालों के जवाब नहीं मिल सके हैं।

10 बिन्दुओं पर मांगी जानकारी

यूनिवर्सिटी में वर्ष 2006, 2007 में बीएड फर्जीवाड़े की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है। इस मामले में वर्ष 2014 में कर्मचारी और अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। एसआईटी ने इस मामले की जांच को आगे बढ़ाते हुए 10 बिन्दुओं पर जवाब मांगा था। जिसमें वर्ष 2003 से 2012 तक कुलपतियों और कुलसचिवों की लिस्ट व उनकी वर्तमान तैनाती, मोबाइल नंबर, कर्मचारियों के पटल, गोपनीय विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की लिस्ट के साथ गोपनीय दस्तावेज, चार्ट जांच के लिए मांगे गए। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी विवि प्रशासन ने जांच में सहयोग नहीं किया।

अब लिखा लेटर

एसआईटी के अधिकारी तीन वर्ष में आठ से भी अधिक चक्कर लगा चुके हैं। इस बार टीम के उच्चाधिकारियों ने विवि प्रशासन को पत्र लिखकर दिए गए बिन्दुओं पर जवाब मांगा है। सूत्रों का कहना कि इस बार पत्र में तीखे शब्दों का प्रयोग किया गया है। इससे विवि प्रशासन में खलबली की स्थिति बनी है।

बीएड धारकों को शिक्षक का इंतजार

वर्ष 2013-14 में बीएड करने वाले स्टूडेंट्स को आज भी शिक्षक बनने का इंतजार है। पांच वर्ष बीतने के बाद भी विवि अधिकारियों छात्र-छात्राओं को डिग्री, मा‌र्क्सशीट मुहैया नहीं कराई है। ऐसे छात्र-छात्राएं पिछले कई वर्षो में सैकड़ों चक्कर कार्यालयों के लगा चुके हैं। लेकिन विवि अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

वर्ष 2013-14 में बीएड करने वाले स्टूडेंट्स की समस्या का निस्तारण शुरू कर दिया गया है, जल्द ही इस संबंध में लम्बित समस्याओं का निदान किया जाएगा।

केएन सिंह, कुलसचिव