RANCHI: पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। अगर पानी ना मिले तो प्यास से न जाने कितने लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। लेकिन जब सिटी में पानी की क्राइसिस हुई तब पानी की कीमत समझ में आ रही है। ऐसे में सदर हॉस्पिटल प्रबंधन ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए एक बेहतर कदम उठाया है, जिससे कि हॉस्पिटल से निकलने वाला एक भी बूंद पानी बर्बाद नहीं जाएगा। हॉस्पिटल से निकलने वाले सीवरेज के पानी को ट्रीटमेंट कर उसे दोबारा री-यूज़ के लायक बना लिया जाएगा। जिससे कि पानी बर्बाद भी नहीं होगा और ग्राउंड वाटर लेवल भी नीचे नहीं जाएगा।

एक करोड़ की आएगी लागत

हॉस्पिटल कैंपस में ही डॉक्टर्स हॉस्टल के सामने एक करोड़ की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है। जिसका काम वीआईपीएल कंपनी देख रही है। इस ट्रीटमेंट प्लांट में पूरे हॉस्पिटल के सीवरेज-ड्रेनेज का पानी एक चैंबर में जमा होगा। उसके बाद पानी की प्रोसेसिंग करने के बाद उसे सिंटेक्स टैंक में स्टोर किया जाएगा। जहां से हॉस्पिटल में मोटर से पानी की सप्लाई कर दी जाएगी।

500 बेड का सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल

500 बेड का सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लगभग तैयार होने वाला है। 300 बेड का वार्ड भी चालू किया जा चुका है। ऐसे में हॉस्पिटल में हर दिन काफी पानी की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में इस ट्रीटमेंट प्लांट से हर दिन दो लाख लीटर पानी को ट्रीटमेंट किया जाएगा। जिससे कि हॉस्पिटल की जरूरत के लिए पानी के लिए बार-बार बोरिंग का पानी नहीं चढ़ाना पड़ेगा। इसके अलावा पानी को हॉस्पिटल की सफाई में भी यूज किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, पानी से हॉस्पिटल के गार्डेन को भी पानी पटाया जाएगा।

बिल्डिंग के चारों ओर रिचार्ज पिट

रांची में ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है। जिससे कि सिटी के कई इलाकों में पानी की दिक्कत भी शुरू हो गई है। यह देखते हुए हॉस्पिटल में चारों ओर रिचार्ज पिट बनाए गए है। जिसमें हॉस्पिटल से बारिश का पानी सीधे पिट में चला जाएगा। इस फैसिलिटी से हॉस्पिटल एरिया में कम से कम पानी का लेवल मेंटेन रहेगा और पानी की दिक्कत नहीं होगी।

केवल रांची डिवीजन के पास है एसटीपी

राजधानी में रांची रेल डिवीजन के पास केवल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है। जहां पानी को रीसाइकिल कर दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है। ऐसे में सदर हॉस्पिटल सिटी का दूसरा संस्थान होगा जहां पानी की बर्बादी नहीं होगी और दोबारा यूज किया जा सकेगा। बताते चलें कि रिम्स जैसे 1500 बेड के हॉस्पिटल में भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

हॉस्पिटल में पानी की काफी जरूरत पड़ती है। लेकिन यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होगी की कैंपस में ही एसटीपी बनाया जा रहा है। पानी का हर बूंद यूज हो जाएगा। पीने के अलावा बाकी के काम के लिए यह पानी होगा। इससे एक और फायदा होगा कि बोरिंग पर ज्यादा लोड नहीं पड़ेगा, जिससे ग्राउंड वाटर भी बचेगा।

डॉ। एस मंडल, डीएस, रांची