32 परिवार रहते हैं रेलवे ब्रिज से लेकर शास्त्री पुल के बीच मलिन बस्ती में 10 हजार चूल्हे बनते हैं एक ट्रैक्टर मिट्टी से 03 हजार रुपये में मिलती है एक ट्रैक्टर ट्राली मिट्टी 10 रुपये है एक चूल्हा की कीमत 01 दिन में तैयार हो जाता है चूल्हा, अच्छी धूप खिलने पर माघ मेला के कल्पवासियों के लिए तैयार हुए डेढ़ लाख मिट्टी के चूल्हे अब इन्हें तैयार करने वाले कर रहे पूर्णिमा का इंतजार allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: संगम की रेती पर आध्यात्म के सबसे बड़े मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। मेला का इंतजार कुछ ऐसे परिवार को भी है जिनको दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। दारागंज रेलवे ब्रिज से लेकर शास्त्री पुल के बीच रहने वाले दो दर्जन से अधिक मलिन बस्ती के लोगों ने इस बार के मेला के लिए डेढ़ लाख मिट्टी के चूल्हे तैयार कर लिए हैं। उन्हें अब इंतजार है मेला के पहले प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा का। क्योंकि मेला में भले ही पुण्य की पहली डुबकी दो जनवरी को लगाई जाएगी, लेकिन दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से मेला एरिया में कल्पवासियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। कल्पवासी बनाते हैं चूल्हे पर भोजन इस बार माघ मेला का आगाज दो जनवरी को पूर्णिमा स्नान के साथ हो जाएगा। ये माघी पूर्णिमा यानि 31 जनवरी तक चलेगा। 29 दिनों तक मेला क्षेत्र में रहकर कल्पवासी एक समय सात्विक भोजन कर जप-तप व अनुष्ठान जैसे धार्मिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे। तीन प्रहर गंगा स्नान, दिन में फलाहार व रामायण का मासिक परायण करते हैं। कल्पवास के दौरान मिट्टी के चूल्हे पर ही भोजन पकाया जाता है। संक्रांति से पहले भी बनेंगे डेढ़ लाख मकर संक्रांति व मौनी अमावस्या स्नान पर्व के बीच महज एक दिन का ही अंतर है। इसमें सर्वाधिक भीड़ आने की संभावना रहती है। यही वजह है कि बस्ती के लोग अभी तक डेढ़ लाख चूल्हा बना चुके हैं और इतने ही चूल्हा मकर संक्रांति के पहले तक बनाने की तैयारी में जुटे हैं। आशा देवी ने बताया कि बस्ती के सारे लोगों ने 15 दिन में चूल्हे की पहली खेप तैयार कर ली है। इस बार ज्यादा भीड़ होने की वजह से बिक्री की संभावना है दोबारा चूल्हा बनाने की तैयारियां की जा रही हैं।