- बजट पर शिक्षकों ने व्यक्त की अपनी राय

LUCKNOW: जीडीपी का एक प्रतिशत रिसर्च पर खर्च किया जाना चाहिए। एजूकेशन के लिए छह प्रतिशत निर्धारित होना चाहिए। इसके अलावा बेसिक शिक्षा पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। वहां से इनपुट नहीं आ रहा है। वहां शिक्षक रुकना नहीं चाहते हैं। ऐसे में उस क्षेत्र में अच्छी स्कीम लाई जानी चाहिए जिससे वहां पर टीचर्स छात्रों को खुशी से पढ़ा सके। सोमवार को आने वाले बजट को लेकर शिक्षक भी बेहद उत्साहित हैं। प्रावइेट कॉलेज भी एजूकेशन सिस्टम में कुछ ऐसी सुविधाएं चाहते हैं जो सरकार में तो है लेकिन उन्हें नहीं मिल पाती हैं।

तभी क्वालिटी एजूकेशन मिलेगी

बजट को लेकर शिक्षकों का कहना है कि जीडीपी का छह प्रतिशत एजूकेशन पर खर्च होना चाहिए। तभी क्वालिटी एजूकेशन की शुरुआत हो सकेगी। इसके साथ ही एक प्रतिशत शोध कार्यो के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। इससे छात्रों को रिसर्च वर्क में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। डिग्री कॉलेजों में कई ऐसी प्रयोगशालाएं हैं जहां पर छात्रों के प्रयोग के लिए इक्यूपमेंट्स ही नहीं है। ऐसे आइटम्स का टोटा रहता है जो किसी रिसर्च के दौरान प्रयोग होते हैं। ऐसे में बजट में इस सबका ध्यान दिया जाना चाहिए।

नहीं मिल रहा है रिजल्ट

शिक्षकों के अनुसार सरकार बेसिक शिक्षा पर दिल खोलकर खर्च तो कर रही है लेकिन इसके बावजूद रिजल्ट सामने नहीं आ रहा है। कहीं तय समय से क्लासेज नहीं लगती तो अधिकांश जगह शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं। इसका कारण यह है कि शिक्षकों के लिए सुविधाओं का टोटा है। उदाहरण के लिए डीएम किसी भी जिले का हो उसे वहां रहने से लेकर हर सुविधा मिलती है। जबकि घर से दूर रहने वाले शिक्षकों को आवास नहीं मिलता है। ऐसे में वह उस जगह पर नहीं रहना चाहते जहां पर उनकी तैनाती रहती है। असुरक्षित महसूस होने के कारण वह वहां से भागते रहते हैं।

बिजनेस क्लास को मिलती है अधिक सुविधा

शिक्षकों के अनुसार बजट में कुछ सुविधाएं ऐसी रहती है जो बिजनेस क्लास के लिए होती है लेकिन उसका लाभ वेतनभोगी लोग नहीं उठा सकते हैं। बिजनेस क्लास ऑफिस में खर्च से लेकर नई कार पर होने वाले डेपरिशियेशन को भी खर्च में दिखाता है जबकि वेतनभोगी के लिए यह छूट नहीं है। कार तो किसी भी हो पुरानी होती है तो इसका लाभ वेतन मिलने वाले लोगों को भी मिलना चाहिए। शिक्षकों को लायब्रेरी मेनटेन करने से लेकर नए जर्नल मंगाने पड़ते है लेकिन इसे खर्च में नहीं जोड़ा जाता है।

शिक्षकों का कहना है कि एजूकेशन सिस्टम पर महंगाई लगातार हावी होती जा रही है। कॉपी, किताबें से लेकर हर आइटम महंगा हो रहा है। ऐसे में बजट में यह देखना होगा कि छात्रों के यूज में आने वाले आइटम्स को सस्ता करे जबकि वह लग्जीरियस आइटम पर महंगाई बढ़ा सकता है। कुछ शिक्षकों का कहना है कि छुट्टी की जो व्यवस्था सरकारी स्कूलों में हैं वह प्राइवेट में नहीं है। जबकि कई छुट्टियां ऐसी है जो मिलनी ही चाहिए। इसके अलावा सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ही पेंशन की सुविधा ना मिले, प्राइवेट स्कूलों में टीचिंग करने वाले शिक्षकों को भी कुछ ऐसी सुविधा मिलनी चाहिए जिससे कि जॉब के बाद भी उन्हे इतनी रकम मिल सके कि घर खर्च चल सके।

कोट

बेसिक शिक्षकों को आवास की सुविधा मिलेगी तभी वहां से रिजल्ट मिलेगा। इसके अलावा जीडीपी का छह प्रतिशत एजूकेशन पर खर्च होना चाहिए।

- एम मिश्रा

विभागाध्यक्ष, भौतिक विज्ञान, क्रिश्चियन कॉलेज

बजट में सैलरी क्लास और बिजनेस क्लास के लिए एक साथ नियम बनते हैं। बिजनेस क्लास को कई ऐसी सुविधाएं मिलती है जो सैलरी क्लास में नहीं है।

एसपी सिंह

प्रिंसिपल, नेशनल पीजी कॉलेज

छात्रों के यूज में आने वाले आइटम्स को सस्ता किया जाना चाहिए, जिससे उनकी पढ़ाई में बाधा ना आए। एजूकेशन सिस्टम पर महंगाई हावी होती जा रही है।

तोषी गुप्ता

टीचर, डीपीएस

प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को भी सरकारी स्कूल के शिक्षकों की तरह ही मेडिकल लीव की सुविधा मिलनी चाहिए।

उमा खन्ना, शिक्षक

डीपीएस

क्वालिटी एजूकेशन के लिए जरूरी है कि छात्रों को पढ़ाई के लिए मिलने वाली सभी आवश्यक सामग्री सस्ती दरों पर उपलब्ध हो, तभी पैरेंट्स भी अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में एडमीशन दिलवा सकेंगे।

पिंकी श्रीवास्तव, शिक्षक