वाराणसी कांड का master mind वलीउल्लाह इलाहाबाद में ही रहता था

ISI एजेंट जमालुद्दीन भी यहां के होटल में एक महीने तक रहा था

कुंभ मेले के दौरान भी suspected की मौजूदगी पर उठे थे सवाल

ALLAHABAD: लखनऊ में आतंकी को मार गिराए जाने और कानपुर में तीन के पकड़े जाने के बाद विभिन्न आतंकी संगठनों के स्लीपिंग मॉडयूल्स की एक्टिविटी फिर से चर्चा में आ गई है। इलाहाबाद भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी आईएसआई के एजेंट की एक महीने तक मौजूदगी के सुबूत मिल चुके हैं। वाराणसी कांड का मास्टर माइंड इलाहाबाद के ही एक मदरसे से पकड़ा गया जो टीचर के रूप में काम करता था। कुंभ के दौरान भी सस्पेक्टेड का मूवमेंट पता चला था। इन सब से तय है कि इलाहाबाद में आतंकी संगठनों के स्लीपिंग मॉल्यूल्स की मौजूदगी है। वे गुपचुप तरीके से अपना काम करते हैं और अफसरों को इसकी हवा तक नहीं लगने देते।

मदरसे का टीचर था आतंकी

करीब एक दशक पहले वाराणसी में सीरियल ब्लास्ट हुआ था। संकट मोचन मंदिर, वाराणसी कैंट स्टेशन समेत कुल तीन स्थानों पर चंद मिनटों के भीतर विस्फोट हुए थे। इसमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ गया था। दर्जनों बुरी तरह से जख्मी हुए थे और लाखों का नुकसान हुआ था। इस कांड की तफ्तीश के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। इस कांड का मास्टर माइंड वलीउल्लाह था जो जिले के फूलपुर एरिया में स्थित रहता था। उसे स्थानीय लोग सिर्फ टीचर के रूप में जानते थे क्योंकि वह मदरसे में पढ़ाता था। उसके पकड़े जाने पर लोगों को यकीन करना मुश्किल था। लेकिन जैसे-जैसे तफ्तीश में फैक्ट्स सामने आते गए लोगों की आखें खुलती चली गई। यह पहला मौका था जब सीधे किसी आतंकी वारदात से अपने जिले का नाम जुड़ा था। तभी से यह माना जाने लगा कि यहां आतंकी संगठनों के स्लीपिंग मॉड्यूल मौजूद हैं।

जमालुद्दीन के आने-जाने की हवा नहीं लगी

पिछले साल सितंबर महीने में लखनऊ में जमालुद्दीन नामक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई थी। पूछताछ के बाद दावा किया गया कि वह आईएसआई का एजेंट था। वह इलाहाबाद के शाहगंज एरिया में स्थित एक होटल में एक महीने तक रहा। यहां की एक्टिविटीज को वॉच करता रहा। अपनी रिपोर्ट भेजता रहा। यहां के तमाम लोगों से सम्पर्क बनाए। लेकिन, किसी भी खुफिया एजेंसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। पूछताछ में जानकारियां सामने आने के बाद तमाम एजेंसियां सक्रिय हो गई और उसके हर मूवमेंट को चेक किया जाने लगा। इसमें पता चला कि वह राजस्थान से यहां आया था और इलाहाबाद के साथ ही आसपास के जिलों से भी उसने जानकारियां जुटाई थी। इसके बाद एजेंसियों ने उससे मिलने-जुलने वालों पर नजर रखना और ट्रैक करना शुरू कर दिया। एनआईए से लेकर एटीएस और आईबी तक सक्रिय हो उठीं। एक बार फिर से स्लीपिंग मॉड्यूल को चेक किया जाने लगा। इसमें भी कई महत्वपूर्ण तथ्य खुफिया एजेंसियों के हाथ लगे। पता चला कि यहां रहने के दौरान उसने कई गोपनीय जानकारियां अपने संगठन तक पहुंचाई थी। आईबी ने जमालुद्दीन का जो बायोडाटा और अन्य दस्तावेज कब्जे में लिया था। उसके हिसाब से उसने मध्य प्रदेश, झारखंड, वाराणसी के होटल में काम करने के साथ अपने टास्क पर था। इसी दौरान वह आइएसआइ अधिकारियों से मिलने साउथ अफ्रीका गया। जमालुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने राजस्थान से उसके भाई खालिद को भी दबोच था।

कुंभ मेले में भी निकल गया संदिग्ध

कुंभ मेले के आयोजन के दौरान भी इलाहाबाद में आतंकी संगठनो के स्लीपिंग मॉडयूल्स की मौजूदगी का मामला उठा था। तब पता चला कि एक न्यूज चैनल का पत्रकार बनकर संदिग्ध आया था और अपना काम करके चला गया। यहां कोई वारदात तो नहीं हुई। लेकिन, प्रतिबंधित कम्युनिकेशन सिस्टम को यूज किए जाने की पुष्टि जरूर हुई थी। इस सिस्टम को यूज करने वाले की पहचान के लिए यहां तक कि पूरे मेला क्षेत्र में सूचना प्रसारित कराई गई लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

नैनी जेल में बंद हैं कई आतंकी

लखनऊ में हुई घटना के बाद नैनी जेल के अंदर सर्तकता काफी बढ़ा दी गई है। बता दें कि जेल में कई खूंखार आतंकवादी बंद हैं। इसमें अयोध्या मामले और कुछ जम्मू कश्मीर के बताए गए हैं। घटना को देखते हुए लोकल व अन्य खुफियां एजेंसी सक्रिय हो गई है। साथ ही जेल मे आने जाने वालों पर भी खुफिया एजेंसी अपनी नजर बनाए हुए है।

हाई एलर्ट पर हुई माल्स में चेकिंग

लखनऊ में मंगलवार को सामने आई वारदात और कानपुर में तीन सस्पेक्टेड को गिरफ्तार किए जाने के बाद पूरे प्रदेश में हाई एलर्ट घोषित है। इसके चलते पुलिस ने मंगलवार की रात से ही माल्स से लेकर होटल तक में स्पेशल चेकिंग अभियान चलाया। हालांकि यहां भी पुलिस को ऐसा कुछ नहीं मिला जिसे वह कामयाबी के रूप में पेश करे।