-घनी बस्तियों में धड़ल्ले से चल रहा अवैध गैस रीफिंलिंग का धंधा

-खतरे के बावजूद पुलिस और प्रशासन नहीं लगा रहा रोक

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लल्लापुरा में बुधवार को अवैध गैस रीफिलिंग के दौरान हुए हादसे के बाद एक बार फिर ये साबित हो गया है कि

अवैध छोटा सिलेंडर जिसे छोटू के नाम से जाना जाता है शहर के लिए बड़ा खतरा है। इसके बाद भी इसके इस्तेमाल पर रोक लग रही है और न ब्रिकी पर। मोटी कमाई की वजह से शहर के लगभग हर इलाके जिनमें घनी बस्तियां भी शामिल हैं उनमें अवैध गैस रीफिलिंग का धंधा चल रहा है। जानकारी के बावजूद पुलिस-प्रशासन आंखे मूंदे हुए है।

सब कीमत का कमाल

शहर में दो तरह के छोटे गैस सिलेंडर मौजूद हैं। एक लीगल और दूसरा अवैध। लीगल गैस सिलिंडर गैस एजेंसियों से मिलते हैं जबकि अवैध सिलेंडर किसी भी गैस चूल्हे की दुकान पर मिल जाते हैं। लीगल सिलेंडर लेने के लिए लंबा प्रॉसेस करना पड़ता है। इसकी कीमत भी अधिक होती है जबकि अवैध सिलेंडर आसानी से आठ सौ से बारह सौ रुपये में मिल जाते हैं। यह बेहद खतरनाक होते हैं। अवैध बिकने वाले सिलेंडर मानक को ध्यान में रखकर नहीं बनाये जाते हैं। इसे बनाने पतली लोहे की चादर का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही गैस लीक को रोकने का लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं होता है। ऐसे में आग लगने पर सिलेंडर ब्लास्ट कर जाते हैं और जान-माल की जबरदस्त हानि करते हैं।

धड़ल्ले से हो रहा यूज

-अवैध गैस सिलेंडर को रोकने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और जिला आपूर्ति विभाग की है

-विभाग रोक लगाने को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं

- घरों से लेकर हॉस्पिटल के बाहर बैठे तीमारदार करते हैं अवैध सिलेंडर का यूज

- रेंट पर रहने वाले और हॉस्टलर्स की है ये जरूरत

- रोड साइड ठेला और स्टाल लगाकर खाने-पीने का सामाने बेचने वाले करते हैं यूज

हमारी गैस चुराता है छोटू

-शहर में यूज होने वाला अवैध छोटे सिलेंडर को हमारे घर में आने वाले गैस सिलेंडर से भरा जाता है

-गैस सिलेंडर्स को घरों तक पहुंचाने वाले गैस एजेंसीज के ट्रॉलीमैन ही कराते हैं अवैध रीफिलिंग में लगे लोगों को बड़े सिलिंडर्स की सप्लाई

-सबसे ज्यादा अवैध सिलेंडर का इस्तेमाल कबीरनगर, सिद्धगिरी बाग, सोनिया, कबीरचौरा इलाके के पटरी पर मौजूद दुकानों में हो रहा है

-लहुराबीर, मैदागिन, गोदौलिया, लक्सा, सिगरा और वरुणापार में मौजूद कई दुकानों में छोटू सिलेंडर को भरने और बेचने का धंधा बेरोकटोक जारी है

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20 सालों से चल रहा था धंधा

-हादसे के बाद लल्लापुरा इलाके के लोगों ने खोली जुबान

-पुलिस पर लगाया गंभीर आरोप

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्

लल्लापुरा में हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने अवैध गैस रीफिलिंग के काले धंधे के खिलाफ अपना मुहं खोला। गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया। लोगों का आरोप है कि ईशा के मकान में गैस रीफिलिंग का धंधा 20 सालों से भी अधिक समय से चल रहा था। किराये पर दुकान लेकर अपना पेट पालने वाला ईशा अहमद इस काले धंधे की कमाई से दुकान सहित पूरे मकान को ही खरीद लिया था।

पूरा मुहल्ला हो जाता तबाह

आग लगने और धमाकों के बाद मौके पर पहुंचे फायर ऑफिसर राकेश राय का कहना था कि एक कमर्शियल सिलेंडर, तीन घरेलू सिलेंडर और एक दर्जन से अधिक छोटे सिलेंडर आग की चपेट में आने फटे गए। धमाके से ईशा के मकान को जबरदस्त नुकसान हुआ है। अगल-बगल के मकानों की दीवारें भी चटक गई हैं। पुलिस ने स्थानीय लोगों के कहने पर ईशा के मकान के ठीक सामने रहने वाले महेन्द्र के मकान के नीचे मौजूद दुकान का ताला तोड़ा तो पुलिस भी हैरान रह गई। यहां भी ईशा ने पांच बड़े सिलेंडर के साथ दो छोटे सिलेंडर को छुपा रखा था। अगर ये सिलेंडर अन्य के साथ होते और ब्लास्ट करते हुए पूरे मोहल्ले को तबाह कर सकते थे।

कैसे हुआ इतना स्टॉक

आठ बड़े घरेलू सिलेंडर, एक कमर्शियल सिलेंडर का स्टाक ईशा ने कैसे किया यह बड़ा सवाल है। कौन है वो शख्स जिसने पब्लिक को दिए जाने वाले सिलेंडर की हेराफेरी करके इन्हें यहां तक पहुंचाया। ये सवाल पुलिस और आपूर्ति विभाग समेत गैस एजेंसीज को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

पुरानी घटनाओं से लेते सबक

छोटे गैस सिलिंडर कितने खतरनाक हैं ये पिछली कुछ घटनाओं से साफ हो जाता है। इसके बाद भी इसकी ब्रिकी पर रोक न लगना गंभीर मामला है।

- सारनाथ में अंडे की दुकान में छोटे सिलेंडर में लगी आग से दो झुलसे छे

- कुछ दिन पहले आशापुर में ट्रक के नीचे खाना बनाते समय छोटे सिलेंडर में आग लग गयी। वह तेज आवाज संग फट गया

- तीन साल पहले रेवड़ी तालाब में छोटे सिलेंडर के ब्लास्ट करने से कई लोग घायल हुए थे