-अब मन में नहीं दबाते बच्चे अपनी बात, फोन ने किया उनका काम आसान

-चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बरों पर आती बच्चों की कंपलेन

GORAKHPUR: समय के साथ बच्चों की एक्टीविटी फास्ट होती जा रही है। पहले जहां बच्चों के अंदर डर और शर्म देखने को मिलती थी वहीं अब हाइटेक मोबाइल और मनोरंजन को देखकर बच्चों के अंदर अलग ही चेंज देखने को मिल रहा है। अब तक चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बर 1098 पर खोया बच्चा और मिले बच्चों की सूचना आती रही है। ये बात हर कोई जानता है लेकिन अब आजकल के हाइटेक बच्चे भी चाइल्ड नम्बरों पर अपनी परेशानी या कंपलेन दर्ज करा रहे हैं। इसके लिए वे जरा भी संकोच या गुरेज नहीं कर रहे हैं।

मुझे घर पहुंचाओ तुम्हारा काम है

चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बरों पर ऐसी भी कॉल आती है जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। बार-बार घर से भागकर चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बर पर फोन कर एक किशोर ये कहता है कि मुझे घर पहुंचाओं ये तुम्हारा काम है। इसी तरह मेरे पापा नहीं है मेरी मम्मी किसी तरह काम करके पैसे कमाती हैं जिससे घर चलता है, हर महीने फीस जमा करने में दिक्कत आती है आप चाइल्ड लाइन से बोल रहे हैं तो मेरी फीस कम करा दीजिए। शहर के बच्चों द्वारा इसी तरह आए दिन चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बरों पर कंपलेन की जा रही है। उन्हें लगता है कि चाइल्ड लाइन स्पेशली बच्चों की प्रॉब्लम को दूर करने के लिए ही बनी है।

केस-1

15 बार भाग चुका है राहुल

नौतनवां का मूल निवासी राहुल आंखों से देख नहीं सकता है। उसके मां बाप इस दुनिया में नहीं है और वो बचपन से ही ब्लाइंड है। गोरखपुर में वो अपने चाचा के साथ रहता है। अभी उसकी उम्र करीब 16 साल के होगी। राहुल 11 साल की उम्र से ही 15 बार घर से भाग चुका है। वो भागकर दिल्ली, मुम्बई समेत कई और बड़े शहरों तक पहुंच चुका है। चाइल्ड लाइन में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि राहुल बड़े शहरों में भागकर पहुंचता है और वहां पूरे हक से चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नम्बर पर फोन करके कहता है कि आप मुझे घर पहुंचाएं। ये आपका काम है। अब तक वो 30 से भी ज्यादा चाइल्ड लाइन दफ्तरों के टच में आ चुका है। सबसे बड़ी बात अब तो उसको अपने अधिकार की भी पूरी जानकारी है।

केस-2

स्कूल की फीस कम करा दीजिए

बिछिया की रहने वाली रेनू 9वीं की छात्रा है। उसकी पिता की मौत काफी पहले ही चुकी है। अब मां इधर-उधर बर्तन चौका करके रेनू को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाती हैं। रेनू को उसकी दोस्त के द्वारा चाइल्ड का हेल्प लाइन नम्बर मिला। इसके बाद रेनू ने कॉल कर चाइल्ड लाइन कर्मियों से बात की। उसने कहा कि मेरी मां किसी तरह मेरी फीस जमा करती है आप चाइल्ड लाइन से हैं आप बच्चों के लिए कुछ करते हैं तो मेरी भी फीस कम करा दीजिए। इसके बाद चाइल्ड लाइन मेम्बरों ने उससे सम्पर्क कर उसकी फीस कम कराने के लिए स्कूल से बात की।

केस-3

केवल मुझे पनिस्मेंट देते हैं टीचर

खोराबार इलाके का रहने वाले 7 साल के विकास ने चाइल्ड लाइन हेल्प लाइन के नम्बर पर फोन करक कहा कि आप बच्चों के लिए काम करते हैं। मेरे स्कूल के टीचर केवल मुझे ही पनिस्मेंट देते हैं बाकी बच्चों को कुछ नहीं कहते हैं। ये बात सुनने के बाद चाइल्ड लाइन टीम बच्चे के स्कूल पहुंची और वहां के प्रिंसिपल से सारी बात बताई। जिसके बाद बच्चे की प्रॉब्लम दूर हो गई। उससे ये पूछा गया कि हेल्प लाइन नम्बर तुम्हें कहां से मिला था तो उसने बताया कि दीवार पर बच्चों की फोटो बनी थी उसी में लिखा था।

केस-4

स्कूल में अच्छी पढ़ाई नहीं होती

आजाद चौक इलाके का 14 साल के अजीत ने कॉल कर चाइल्ड टीम से गुहार लगाई कि उसके स्कूल में अच्छी पढ़ाई नहीं होती है। इसलिए दूसरे स्कूल में एडमिशन ले लिया। अब पहले वाला स्कूल पैसे वापस नहीं कर रहा है। आप मेरे पैसे वापस दिल दिजिए। इसके बाद टीम ने जाकर स्कूल से सम्पर्क कर बच्चे का पैसा वापस दिलाया।

फैक्ट फिगर

चाइल्ड लाइन का हेल्प लाइन नम्बर-1098

हेल्प लाइन नम्बर की सुविधा उपलब्ध है-24 घंटे

18 साल तक के बच्चे इसका ले सकते हैं फायदा

साल में आते मामले -90-100

वर्जन

बदलती डिजिटल तकनीकों को सीखने में बच्चे बड़ों से कहीं आगे निकल गए हैं। लेकिन इसका सुरक्षित इस्तेमाल नहीं करने के कारण कभी-कभी बच्चे बुलिंग जैसी समस्याओं के भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे बेहतर पैरेंटिंग जरूरी है।

अमर जोशी, सिटी कोऑर्डिनेटर