-नगर निगम कैंपस में ही हो रहा पॉलीथिन और डिस्पोजल का इस्तेमाल

-ठेले से लेकर दुकान व रेस्टोरेंट तक में बेरोक टोक पॉलीथिन में दिया जा रहा सामान

आखिर यह कैसे हुआ कि इस बार भी स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में इंदौर पहले पायदान पर और स्मार्ट सिटी बनारस 70वें रैंक पर पर ठहर गया. इसका जवाब उन जिम्मेदार अफसरों के पास भी नहीं है, जिन्हें इसे सुधारने की जिम्मेदारी दी गई थी. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र होने के नाते भले यहां नियम कानून बनाकर लोगों को जागरुक किया गया, लेकिन निगम के अफसरों की लापरवाही के चलते किसी भी व्यवस्था को अमल में नहीं लाया जा सका. नतीजा ये है कि नौ माह पहले बनारस को डिस्पोजल और पॉलीथीन मुक्त करने की शासन की मंशा हवा में ही उड़ गई. आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि जिस नगर निगम को इसकी जिम्मेदारी दी गई, उस परिसर में भी इन दिनों पॉलीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.

तो भुला दिया गया अभियान

बता दें कि जुलाई 2018 में बनारस को पॉलीथिन मुक्त के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. पॉलीथिन पर रोक को उस दौरान अभियान चलाया गया, लेकिन रस्म अदायगी के बाद ये अभियान भी ठंडे बस्ते में चला गया है. अफसर पॉलीथिन के प्रतिबंध को भूल गये. वहीं नगर निगम के अलावा अन्य जिन विभागों को जिम्मेदारी मिली थी वहां कोई काम नहीं हो रहा.

बस थपथपा ली पीठ

शुरूआत में संबंधित अधिकारियों ने छोटे और मझले दुकानदरों के पास से पॉलीथिन जब्त करने के साथ कड़ी कार्रवाई कर अपनी पीठ तो थपथपा ली, लेकिन कुछ ही दिनों में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक ठंडे पड़ गए. जिसका नतीजा ये निकला कि अब मार्केट में एक बार फिर पॉलीथीन प्लास्टिक के कैरी बैग, सामान और डिस्पोजल धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहे है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि विभाग छापेमारी का काम कर रहा है. जिसमें जुर्माना भी वसूला गया है.

ये कैसा है कानून

कानून आने के बाद भी न तो पॉलीथीन रूकी न थर्माकोल और प्लास्टिक के ग्लास. शासन ने इसके लिए तीन माह में अलग-अलग शासनादेश जारी किया था. जीओ के तहत प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई 2018 को 50 माइक्रॉन की पॉलीथिन की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई है. बावजूद इसके इसका इस्तेमाल हो रहा है.

इन्हें भी मिली है जिम्मेदारी

-जिला मजिस्ट्रेट

-नगर आयुक्त

-सीडीओ

-पर्यटन अधिकारी

-खाद्य एवं सुरक्षा निरीक्षक

-नगर स्वास्थ्य विभाग

-राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता

एक नजर

09

माह से चल रहा अभियान

315

किलो ग्राम जब्त की गई पॉलीथिन अब तक

04

लाख 20 हजार वसूल की गई जुर्माने की राशि जुलाई से अब तक

तीन बार आया शासनादेश

-15

जुलाई 2018 को पहला

-15

अगस्त 2018 को दूसरा

-02

अक्टूबर 2018 को तीसरा

हम अपना काम तो कर ही रहे हैं. सभी पांच जोन के इंस्पेक्टर छापेमारी का कार्य कर रहे हैं. अन्य विभागों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. रही बात निगम परिक्षेत्र में पॉलीथिन के इस्तेमाल की तो पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

डॉ. एके दूबे, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम