-शहर को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम ने छह माह पहले बनाया था प्लान

- दस में से एक भी प्रोजक्ट पर अभी तक नहीं शुरू हो पाया काम

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

बरेली को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम ने छह माह पहले प्लान बनाया था, जो बस कागजों पर ही सिमट कर रह गया. अगर इन योजनाओं पर थोड़ा सा भी काम हुआ होता तो आज शहर की सूरत कुछ और होती. लेकिन निगम की हीलाहवाली के चलते योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही दम तोड़ गई. कमिश्नर, नगर आयुक्त और मेयर ने नीदरलैंड की गवर्नमेंट के एक अधिकारी के साथ मिलकर साथ मिलकर पैन सिटी डेवलपमेंट और एरिया बेस्ट डेवलेपमेंट का प्लान बनाया था. पैन सिटी डेवलेपमेंट के तहत आउटर एरिया में विकास कार्य होना था. वहीं एरिया बेस्ड डेवलेपमेंट के तहत शहर के अंदर के विकास करना था. इन दो हेड प्लान के हिसाब से शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 10 प्लान तैयार किए थे, जो अभी भी शुरू होने की राह तक रहे हैं.

यह 10 डेवलपमेंट से शहर बनाना था स्मार्ट

1. रोड डेवलेपमेंट

इस प्लान को एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के तहत रखा गया था, जिसमें नगर निगम को शहर की सभी सड़कों पर साइकिल ट्रैक बनाना था. जंक्शन, चौपुला, मोती पार्क, कुतुबखाना, कोतवाली, सर्किट हाउस और डेलापीर जैसी रोड्स पर साइकिल ट्रैक बनाना था.

यह हुआ

अभी तक शहर में एक भी सड़क पर साइकिल ट्रैक का काम शुरू नहीं हो पाया है, जिससे सभी जगह जाम की स्थिति बनी रहती है. फुथपाथ पर अतिक्रमण की वजह से लोगों को पैदल निकलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. वहीं सैटेलाइट पर बने साइकिल ट्रैक को भी पुल निर्माण के चलते उखाड़ दिया गया है.

2. ट्रैफिक जंक्शन

पैन सिटी डेवलपमेंट के तहत ही इस प्लान पर काम करना था, जिसमें शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर एक स्मार्ट पोल लगाकर उसको सीसीटीवी कैमरे लगाने थे. इससे ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकता था. साथ ही सीसीटीवी के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाना था, जहां से रूल तोड़ने वालों को चालान भेजा जाता.

यह हुआ

इस प्लान पर भी अभी तक कोई भी वर्क नहीं हुआ है. साथ ही कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. जो सीसीटीवी कैमरे पहले से लगे थे, वो भी ज्यादातर बंद पड़े हुए है. नॉवल्टी, सैटेलाइट आदि चौराहों पर एक भी कैमरा नहीं लगा हुआ है.

3. एजुकेशन

इसके तहत शहर में स्टूडेंट्स के लिए डिजीटल लाइब्रेरी तैयारी की जानी थी. इसमें स्टूडेंट्स कोई भी बुक ऑनलाइन पढ़ सकते थे. साथ ही ऑफलाइन लाइब्रेरी भी बनाई जानी थी.

यह हुआ

अभी तक शहर में एक भी डिजीटल लाइब्रेरी नहीं बन सकी है. न ही कोई आधारशिला रखी गई है. वहीं कोई भी ऑफलाइन भी नहीं बनाई जा सकी है. शहर में सिर्फ कुतुबखाना में एक लाइब्रेरी है, वह भी बदहाल पड़ी हुई है.

4. वाटर बॉडीज

इसके तहत अक्षर बिहार, संजय कम्यूनिटी हॉल और डेलापीर लेक का सौदर्यीकरण करना था. यहां पर लाइटें, बाउंड्री वॉल और ग्रीनरी का काम होना था.

यह हुआ

नगर निगम ने सिर्फ एक तालाब पर थोड़ा बहुत काम किया है. अक्षर विहार तालाब पर सौंदर्यीकरण का काम अभी चल रहा है. बाकी के दोनों तालाबों पर तो सौंदर्यीकरण के नाम पर एक ईट भी नहीं रखी गई है.

5् मोबेलिटी ट्रांसपोर्ट

शहर में रश कम करने के लिए ई-रिक्शा को बंद किया जाना था और इनकी जगह मिनी बसों को चलाया जाना था. इससे जाम की स्थिति कुछ कम होती. साथ ही सिकलापुर स्थित रोडवेज को भी शिफ्ट करने का प्लान था.

यह हुआ

ई-रिक्शा कम होने की बजाय और बढ़ गए हैं. शहर में अक्सर ही जमा की स्थिति बनी रहती है. ऑटो-टेंपो की अराजकता से दिन भर जाम लगता है. वहीं रोडवेज शिफ्ट न होने से उसके पास दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है.

6. डी सेंट्रलाइज सीवरेज प्लांट

इस प्लान के तहत शहर के नालों से निकलने वाले पानी का शोधन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से होना था. जिसमें तीन स्टेप में पानी का शोधन करके उसे पीने योग्य बनाने की बात चल रही थी. पहले स्टेप में उस पानी को किसानों को देने की बात थी. दूसरे स्टेप में उस पानी को कपड़े आदि धुलने की बात थी और तीसरे स्टेप में प्यूरीफाइ करके उसे पीने योग्य बनाने की बात थी.

यह हुआ

नगर निगम सीवर के पानी का ट्रीटमेंट करने के लिए नए-नए प्लान बनाए जा रहा है. जो प्लान बनाया था, उस पर अभी तक कोई भी वर्क नहीं हुआ. सराय तल्फी में वर्षो से चल रहे नगर निगम के एसटीपी प्लांट को भी बंद कर दिया गया.

7. डक्ट प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट के माध्यम से शहर में सड़कों में होने वाली खुदाई पर रोक लगती. गैस पाइप लाइन, टीवी केबल, वाटर लाइन आदि बिछाने के लिए सड़कों पर खुदाई करना मजबूरी होती है. इससे सड़क बिना खोदे ही पाइप लाइन बिछाई जा सकती थी.

यह हुआ

अभी तक शहर में सीवर की पाइप लाइन की व्यवस्था भी नगर निगम सुधार नहीं पाया है. आए दिन लोगों को नगर निगम में सीवर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए धरना देना पड़ता है. रोड जाम करना पड़ता है.

8 - ब्रांडिंग एंड मार्केटिंग

बरेली शहर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन सिर्फ जरी जरदोजी की वजह से ही हुआ है. अब इस इंटरनेशनल मार्केटिंग के तहत पूरे विश्व में बरेली से ही जरी जरदोजी का कारोबार फैलाया जाना था.

यह हुआ

इस प्रोजेक्ट के तहत अभी तक कुछ भी नहीं किया गया. जरी जरदोजी विश्व स्तर पर छोडि़ए शहर में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. बिजनेस बढि़या होने के बावजूद सरकार की ओर से इसे प्रमोट करने के लिए कुछ नहीं किया गया.

9. सस्टेंबल प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट नगर निगम ने स्मार्ट सिटी से अपनी इनकम के लिए बनाया था. इसका उद्देश्य यही था कि जो भी प्रोजेक्ट बनेगा, वो ऐसा होना चाहिए जिससे नगर निगम की इनकम हो सके.

क्या हुआ

नगर निगम की पोर्टेबल शॉप्स से भी अभी दुकानदार संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि नगर निगम पोर्टेबल शॉप्स के काम को सही ढंग से नहीं किया है, जिससे इसका फायदा होता नहीं दिख रहा है.

10. इंनहैंस्ड इकॉनमी

इस प्रोजेक्ट का एक ही मकसद था कि स्मार्ट सिटी में जो भी नया प्रोजेक्ट बने वो ऐसा हो कि खुद से अर्न कर सके. यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो खुद अपनी कमाई करेगा.

क्या हुआ

एक भी प्रोजेक्ट पर काम शुरू न हो पाने की वजह से इस प्रोजेक्ट ने पहले ही दम तोड़ दिया. इस पर काम हुआ होता तो निगम की राजस्व तो बढ़ता ही साथ में शहर का भी विकास होता.