नगर निगम की स्मार्ट सिटी वर्कशॉप में जुटे डीएम, सीएमओ सहित पार्षद व अधिकारी

देश की 31 फीसदी जनसंख्या शहरों में, शहरों से आ रही देश की 68 फीसदी जीडीपी

अमृत योजना, स्मार्ट सिटी व स्वच्छ भारत मिशन पर हुई अहम चर्चा, पार्षदों ने दिए सुझाव

BAREILLY:

स्मार्ट सिटी की शक्ल में बदल रहे शहर अपने विकास के बाद देश के विकास को रफ्तार देने में भी अहम भूमिका निभाएंगे। यही वजह है कि केन्द्र सरकार की मंशा देश के शहरों को स्मार्ट सिटी में तब्दील कर भारत की जीडीपी दर को बढ़ाने पर है। दरअसल देश में शहरों की तादाद 4041 है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की कुल जनसंख्या का 31 फीसदी शहरों में है, जो करीब 37.7 करोड़ है। शहरों में निवास कर रही यह 31 फीसदी जनसंख्या देश की कुल जीडीपी का 68 फीसदी दे रही। वहीं 2030 तक शहरों की जनसंख्या कुल आबादी का 40 फीसदी होगी, जो देश की जीडीपी का 75 फीसदी हिस्सा देंगी।

स्मार्ट सिटी, स्माटर् वर्कशॉप

शहर के स्मार्ट सिटी के सपने को पूरा करने की कोशिशों में नगर निगम ने फ्राइडे को एक और अहम कदम बढ़ाया। निगम ने फ्राइडे को एक होटल में सभी 70 वार्डो के पार्षदों और अधिकारियों की एक वर्कशॉप कराई। जिसमें स्मार्ट सिटी, अमृत योजना और स्वच्छ भारत मिशन के बारे में पार्षदों व अधिकारियों को प्रेजेंटेशन के जरिए जानकारी दी गई। वर्कशॉप का मकसद पार्षदों को बरेली को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की प्लानिंग और सरकार की गाइडलाइंस बताने के साथ ही उनसे सुझाव मांगा जाना भी रहा। वर्कशॉप में मेयर डॉ। आईएस तोमर, डीएम गौरव दयाल, नगर आयुक्त शीलधर सिंह यादव और सीएमओ डॉ। विजय यादव शामिल रहे।

परफॉर्मेस बेस्ट तो एक्स्ट्रा बजट

वर्कशॉप की शुरुआत अमृत योजना से शुरू हुई। पार्षदों को बताया गया कि योजना में शहर की बुनियादी सुविधाओं के ढांचे को मजबूत करना नेशनल प्रियॉरिटी में है। इसमें शहर के लोगों खासकर पिछड़े एरिया की जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। साथ ही वॉटर सप्लाई, सीवर सुविधा, सेप्टेज मैनेजमेंट, फुटपाथ, पार्किंग व ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर व्यवस्था करना है। इस योजना के तहत निगम को केन्द्र से 2015-16 के लिए प्रोजेक्ट का 90 फीसदी बजट मिलेगा। वहीं 2016-17 में महज 80 फीसदी बजट ही दिया जाएगा। पहले साल में प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस रिपोर्ट के आधार अगर निगम की परफॉर्मेस बेहतर मिली तो, बजट में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।

रेट्रोफिटिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी

स्मार्ट सिटी के तहत शहर को बेहतर बनाए जाने में रेट्रोफिटिंग प्रोजेक्ट पर भी काम करना है। इसके तहत शहर में 500 एकड़ जमीन का चुनाव कर उसमें पुरानी, अव्यवस्थित इमारतों को चिन्हित कर डिमोलिश करना व नई इमारतों को बनाना है। शहर में रेट्रोफिटिंग की कवायद के लिए सिटी के मॉडल टाउन, राजेन्द्र नगर व पुराने शहर का चुनाव किया गया है। फ्राइडे को हुई बैठक में मेयर ने निगम के आईटी एक्सपर्ट को इन तीन एरिया में रेट्रोफिटिंग के लिए प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए। वहीं 250 एकड़ पर ना टाउनशिप बनाने के लिए बीडीए संग प्लानिंग करने के दिए ि1नर्देश।

स्मार्ट सिटी की राह में चुनौती

- शहर की कुल सीवर लाइन का महज 41.40 फीसदी सीवर कवर्ड

- कुल शहर का 46.80 फीसदी एरिया ही वॉटर सप्लाई कवर्ड

- प्रति व्यक्ति 135 एलपीसीडी पानी की जरूरत, मुहैया सिर्फ 101 एलपीसीडी

- प्रति व्यक्ति 12-14 स्क्वॉयर मीटर ग्रीन ओपन स्पेस की जरूरत, है सिर्फ 0.2-0.4 फीसदी

- शहर का 90 फीसदी करदाता टैक्स कवरेज में आए, 90 फीसदी हो टैक्स वसूली

- प्रति एक हजार जनसंख्या पर एक भी सिटी ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं

- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं, नदियों को साफ करने का उपाय नहीं

- अवैध डेयरीज शहर में मौजूद, गंदगी व चोक सीवर मुसीबत बरकरार

- शहर में पैदल मुसाफिरों के लिए महज 5 फीसदी फुटपाथ

पार्षदों के सुझाव

- विकास शर्मा ने कोहारापीड़ जैसे घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में नई सीवर लाइन बिछाने व सिटी बस चलाने के लिए व्यवहारिक दिक्कतों पर प्लान बनाने को कहा। साथ ही नई कॉलोनीज में बीडीए की मदद से छोटे एसटीपी बनाने की बात कही।

- आलोक तायल ने सुभाषनगर में जलभराव की समस्या से निजात के लिए शहर के बाहर नालों को ले जाने का सुझाव दिया।

- शालिनी जौहरी ने शहर के पार्को व हरियाली को बढ़ावा देने के लिए उठाए कारगर कदम।

- विपुल बाबा ने डेयरीज को शहर के बाहर ले जाने व गोकल नगरी योजना को पूरा करने पर दिया जोर।

- विक्रम सिंह ने अवैध कॉलोनीज व अविकसित एरियाज में कूड़ा कलेक्शन की कवायद मजबूत करने की सिफारिश की। प्लांट शुरू कराने पर जोर

- राजेश अग्रवाल ने शहरों से दबाव कम करने को कुछ सरकारी विभागों को सिटी के आउटर में शिफ्ट करने की वकालत की।

- आरवी प्रजापति ने शहर में पॉलीथिन का बैन करने व इस पर ठोस कार्रवाई करने पर दिया जोर।

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