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-बरेली के बच्चों में भी है साइंटिस्ट जैसा दिमाग

- एक ने कृषि यंत्र तो दूसरे ने स्मार्ट वॉच बना डाली

BAREILLY:

बरेली के बच्चों में भी साइंटिस्ट जैसा दिमाग है। इस बात को बरेली के दो बच्चों ने सिद्ध कर दिया। उनके बनाए गए प्रोजेक्ट स्टेट लेवल पार करके नेशनल लेवल तक पहुंचने वाले हैं। हम बात कर रहे हैं अल्मा मातेर स्कूल के क्लास 10 के पर्व और अहलादपुर के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के क्लास 9 के स्टूडेंट्स ने छोटी सी उम्र में ही दो बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए है। आइए आपको बताते हैं कि दोनों ने कौन-कौन से प्रोजेक्ट तैयार किए और उन्हें इसका आइडिया कैसे आया।

किसानों की मदद के लिए बनाया स्वत: रोपण कृषि यंत्र

पिता की डेथ के बाद गांव अहलादपुर में गरीब परिवार में रहने वाले 9 क्लास के वीरपाल पर एकदम परिवार की जिम्मेदारी का बोझ आ गया। उसे पढ़ाई के साथ ही खेती किसानी का भी भार उठाना पड़ा। दिन में खेती का काम और रात को पढ़ाई का बोझ दोनों के बीच परेशान वीरपाल को खेती में कुछ इनोवेटिव करने का आइडिया आया। उसने एक स्वत: रोपण कृषि यंत्र तैयार किया। वीरपाल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में उसकी स्कूल की साइंस टीचर वैशाली ने भी बहुत सपोर्ट किया। वीरपाल का यह कृषि यंत्र एक मिनट में 264 पौधे लगा सकता है। उसके इस इनोवेशन पर स्कूल की प्रिंसिपल अंजू सक्सेना और स्टाफ ने वीरपाल का और हौसला बुलंद किया।

कैसे आया यह आइडिया

वीरपाल ने बताया कि जब पिता की डेथ हो गई तो वह भी खेत पर काम करने लगा। उसके साथ कई और बुजुर्ग लोग भी काम करते थे। उन्हें देखकर वीरपाल ने सोचा कि इनकी मेहनत को कैसे कम किया जा सकता है। जिसके बाद वीरपाल ने इस यंत्र को बनाने का काम शुरू कर दिया। और इसे करीब 4 दिनों में बनाकर तैयार भी कर दिया। इसकी मदद से कोई भी किसान एक मिनट में 264 पौधे एक बार में रोप सकता है। फिर चाहे वो सब्जी के पौधे हो या फिर कोई और छोटे पौधे। वीरपाल ने बताया कि मात्र 12 किलो की यह मशीन आराम से किसी भी खेत में ले जाई जा सकती है।

इमरजेंसी में घड़ी आएगी काम

गांव के प्रोजेक्ट के बाद शहर के अल्मा मातेर स्कूल में क्लास 10 में पढ़ने वाले पर्व कपूर ने भी अपने दादा की सुरक्षा के लिए एक ऐसी वॉच बना दी जो किसी भी इमरजेंसी में काम आएगी। यदि कोई बुजुर्ग या लड़की को अचानक से किसी फेमिली मेम्बर की जरूरत पड़ जाए तो वह घड़ी को प्रेस करके अपने फेमिली मेम्बर को अपने पास बुला सकता है। पर्व ने बताया कि यह पूरी घड़ी इंटरनेट से जुड़ी हुई है। इसमे एक सिम भी लगता है। किसी भी इमरजेंसी में इस घड़ी को प्रेस करना पड़ेगा। इस घड़ी को प्रेस करते ही घर में रखे फोन पर एक नोटिफिकेशन पहुंच जाएगा, जिसमे नीड हेल्प के मैसेज के साथ लाइव लोकेशन का नोटिफिकेशन होगा। जिससे कोई भी फेमिली मेम्बर वहां पहुंच सकता है।

कैसे आया आइडिया

पर्व कपूर ने बताया कि उसके दादा जी काफी बुजुर्ग हैं और वह अक्सर बीमार रहते हैं। वह अक्सर बाहर घूमने भी जाते हैं जिसकी वजह से घर वालों को उनकी काफी टेंशन रहती थी। पर्व ने सोचा कि क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए जिससे सब की टेंशन दूर हो जाए और दादाजी को भी कोई परेशानी न हो। फिर पर्व ने इस तरह से आइडिया को सोचना शुरू किया और करीब 7 महीनों की कोशिश के बाद पर्व ने इस घड़ी को बना दिया।