जल संस्थान के ट्यूबवेल होंगे अपग्रेड

जल संस्थान और प्राइवेट कंपनी के बीच होगा एमओयू

देहरादून।

दून में अब वाटर सप्लाई स्मार्ट होने जा रही है। इसके तहत प्रेशर सेंसर और दूसरे इक्यूपमेंट से न सिर्फ ट्यूबवेल पर बिजली की खपत कम होगी, बल्कि फ्लो मीटर्स से पानी की बूंद-बूंद का हिसाब भी रखा जा सकेगा। पेयजल संवर्धन प्रोजेक्ट के तहत जल संस्थान के सभी 206 ट्यूबवेल और 15 पंपिंग स्टेशंस का अपग्रेडेशन होने जा रहा है। एक प्राइवेट कंपनी 10 सालों के लिए इन ट्यूवेल्स का संचालन करेगी। इसके लिए जल संस्थान के साथ एमओयू किया जा रहा है।

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ऐसी होगी खपत कम

दरअसल जल संस्थान के टयूबवेल पर बिजली की खपत कम करने को लेकर काम किया जा रहा है। जिसमें देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से जीसीकेसी प्रोजेक्ट एंड व‌र्क्स प्राइवेट लिमिटेड को ये काम दिया जा रहा है। इसके तहत जल संस्थान के सभी जोन के ट्यूबवेल और बूस्टर पंपों में हाईटेक तरीके से काम होगा। सभी ट्यूबवेल ऑटोमेशन पर होंगे। हालांकि अब तक 150 ट्यूबवेल ही ऑटोमेशन पर हैं। प्रेशर सेंसर से पानी को प्रेशर देकर बिजली बचाई जाएगी।

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टैंक भी ऑटोमेशन पर

अब तक जल संस्थान के जो ट्यूबवेल ऑटोमेशन पर हैं, उनमें भी करीब 60 मैनुअल चल रहे हैं। अब ओवरहेड टैंक भी ऑटोमेशन पर जाएंगे। इसके बाद ट्यूववेल की साइट पर सिर्फ ऑन ऑफ के बटन रहेंगे। जबकि, अब तक करीब 60 पंप ऑपरेटर्स मैनुअल ट्यूबवेल वाली साइट पर बैठते हैं। इसके बाद ये कर्मचारी वाटर व‌र्क्स में वापस पहुंच जाएंगे। पंप ऑपरेटर्स से विभाग में दूसरे काम कराए जाएंगे।

बूंद-बूंद का डेटा

इसके बाद पानी की बूंद-बूंद का डेटा एक जगह पर हो सकेगा। ट्यूबवेल पर फ्लो मीटर भी लगेंगे। इन मीटर्स से ओवरहेड टैंक से गिरने वाले पानी और लीकेज का पता चल सकेगा। जगह-जगह लीक हो रहे पानी की बर्बादी भी रुक सकेगी। साथ ही वाटर फ्लो का पूरा डेटा तैयार किया जाएगा।

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अब तक की स्थिति

अब तक जगह-जगह पानी की बर्बादी होती रहती है। कई जगह सड़कों पर लीकेज बनी हुई है। बावजूद इसके विभाग को इसकी समय से जानकारी नहीं मिल पाती। हालांकि कुछ साल पहले संस्थान के पास जर्मनी से लीकेज डिटेक्टर पहुंचा था, वह भी यहां सफल नहीं हो सका। अब नये तरीके से पानी की बर्बादी रोकने का प्रयास हो रहा है।

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वाल्ब बदलेंगे

जल संस्थान के ट्यूबवेल काफी पुराने हो गए हैं। अब नए सिरे से उनमें काम होगा। करीब पांच करोड़ की लागत से ट्यूबवेल के वाल्व बदले जाएंगे। करीब तीन करोड़ की लागत से वाटर मीटर चेंज होंगे।

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दस साल के लिए जल संस्थान के ट्यूबवेल एक प्राइवेट कंपनी को दिए गए हैं। ताकि बिजली की खपत पर बेहतर टेक्नॉलोजी के साथ ट्यूबवेल चला जा सकें।

प्रेरणा ध्यानी, पीआरओ, डीएससीएल