- स्कूलों के विकास में मदद करने के लिए बनती हैं कमेटियां

- कमेटी के सदस्य ही नहीं ले रहे अपने काम में इंटरेस्ट

BAREILLY:

बेसिक स्कूलों में डेवलपमेंट और पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए बनीं प्रबंध कमेटियां अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो पा रही हैं। न मंथली मीटिंग है और न प्रिंसिपल अध्यक्ष में तालमेल। अधिकारी भी इस मामले में आंख मूंद रहे हैं और नतीजा देश के होनहारों को भुगतना पड़ रहा है।

कमेटियों का हाल बेहाल

स्कूलों में बनाई गई प्रबंध समिति की कमेटी के कुछ अध्यक्षों से जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने बात की और उनसे कार्य और अधिकारों के बारे में पूछा तो कोई भी इसे ठीक ढंग से स्पष्ट नहीं कर सका। हालत यह है कि समिति अध्यक्ष यह कह रहे हैं कि वह समिति का हिस्सा ही नहीं है। अब बालजती स्कूल प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष असलम मियां को ही लीजिए, उनका कहना है कि वह इस कमेटी का हिस्सा ही नहीं है। उन्होने स्कूल की प्रिंसिपल से बोल दिया था कि उन्हें इस कमेटी में नहीं रहना है। वहीं प्रिंसिपल बीना अरविंद का कहना है कि कमेटी अध्यक्ष को जब बुलाओ तो वो समय से नहीं आ पाते हैं। इस वजह से कई काम नहीं हो पाते हैं। प्राथमिक विद्यायल चौपुला प्रबंध समिति की अध्यक्ष पुष्पा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह कहीं नही जाती है। लगभग सभी स्कूलों का यही हाल है।

स्कूलों में ये है व्यवस्था

स्कूल की प्रबंध समिति का गठन हर दो साल में किया जाता है। इस कमेटी में 15 सदस्य होते है, जिसमें से 11 सदस्य स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक होते हैं और चार नामित सदस्य होते हैं। 11 सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। इस कमेटी को बनाने का एक मुख्य उद्देश्य था कि स्कूल का विकास हो सके। समिति के लोग स्कूल में होने वाली हर एक्टिविटीज पर नजर रखें और यदि स्कूल प्रबंधन को किसी बात में समस्या हो तो उसमें मदद करें। हर दो साल बाद स्कूल की एक नई कमेटी बनाई जाती है, जिसमें कमेटी के अध्यक्ष का स्कूल के हेडमास्टर के साथ बैंक में ज्वाइंट खाता होता है। समिति आय-व्यय का हिसाब भी समिति के पास रहे।

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समिति के कार्य और अधिकार

शासन की ओर से स्कूल प्रबंध समिति के कार्य और अधिकार इस प्रकार हैं

- 6 से 14 वर्ष के सभी स्टूडेंट्स के 100 परसेंट एडमिशन हो और वो डेली स्कूल आएं

- कमेटी को यह देखना होगा कि क्या टीचर्स भी समय से स्कूल आ रहे हैं या नहीं।

- स्कूल में न आने वाले टीचर और बच्चों के बारे में जानकारी लेना और उनकी देखभाल करना

- यह देखना कि स्कूल में पढ़ाई ठीक ढंग से हो रही है या फिर नहीं। यदि पढ़ाई नहीं हो रही है तो संबंधित अधिकारी स्थानिए प्राधिकारी को सूचित करना

- मिड-डे-मील की क्वालिटी को जांचना और उसे चेक करना।

- पीटीएम के बारे में जानकारी करना।

- स्कूल प्रबंध समिति को मिलने वाली धनराशि का अलग-अलग हिसाब रखना।

- स्कूल को मिलने वाले अनुदान को सही तरीके से यूज किया जा रहा है या फिर नही

- इसी तरह से प्रबंध समिति के अन्य कार्य और अधिकार है।

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कराई जाएगी ट्रेनिंग

शासन की ओर से सभी स्कूलों में प्रबंध समिति को एबीआरसी और एनपीआरसी लेवल पर ट्रेनिंग कराई जाएगी। जिससे स्कूलों में बनी प्रबंध समिति के लोगों को उनके अधिकार और काम के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिससे कमेटी के लोग अपने काम को समझ सकें।

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प्रबंध समिति के सभी सदस्यों को पूरी तरह से ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हे उनके अधिकार और काम के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है। फिर से ट्रेनिंग होगी तो उन्हे उनके अधिकारों के बारे में जागरुक कराया जाएगा।

देवेश राय, एबीआरसी