-खुली सिगरेट खरीदने और खुले में सिगरेट पीने पर नहीं कोई रोक

- सिविल लाइंस से लेकर रोडवेज और रेलवे स्टेशन के बाहर बिक रही है सिगरेट स्टिक

-गवर्नमेंट का है आदेश केवल डिब्बा बंद सिगरेट की ही होनी चाहिए बिक्री

ALLAHABAD:'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है'। यह चेतावनी हर सिगरेट के पैकेट पर लिखी होने और इससे प्रयोग से होने वाली बीमारियों के बावजूद सिगरेट पीने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग करना तो पहले से ही प्रतिबंधित है। गवर्नमेंट ने अब सिगरेट की स्टिक खरीदने और बिक्री पर भी रोक लगा दी है। लेकिन रोक के बाद भी दुकानों पर सिगरेट की स्टिक बिक रही है और लोग खुलेआम कहीं भी धुएं के छल्ले बनाते देखे जा सकते हैं।

कहीं भी धुआं उड़ाएं

सरकार ने 2003 में एक कानून बनाया सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003. इसके तहत सभी तरह के सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक है। ऑडिटोरियम, स्टेडियम, खेल के मैदान, सरकारी या गैर संस्थानों के सरकारी भवन उसके परिसर, सार्वजनिक क्षेत्र के भवन उसके परिसर, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे तथा इस प्रकार के अन्य स्थान शामिल हैं। लेकिन अपने इलाहाबाद में स्मोकर कहीं भी सिगरेट पीते हैं, कोई रोक-टोक नहीं है।

रोडवेज कैंपस में धुआं-धुआं

आईनेक्स्ट रिपोर्टर बुधवार को दिन में सिविल लाइंस स्थित रोडवेज कैंपस पहुंचा। जहां एक पान की दुकान के पास एक युवक अपनी बाइक पर बैठकर सिगरेट के कश ले रहा था। आस-पास से गुजरने वालों को परेशानी तो हो रही थी, किसी ने टोका नहीं। कुछ ऐसे ही हालात रेलवे स्टेशन समेत दूसरे पब्लिक प्लेसेस पर दिखाई दिए।

लूज सिगरेट भी अवेलेबल

किशोरों और युवाओं को धूम्रपान से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने तंबाकू उत्पादों की खरीद की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के साथ सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने वालों पर 200 रुपये की जगह कम से कम एक हजार रुपये जुर्माना लगाने का फैसला किया है। वहीं, खुली सिगरेट की बिक्री को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। मगर, हकीकत इससे बिलकुल जुदा है। यहां न सिर्फ 18 वर्ष से नीचे के किशोरों को तम्बाकू से बने प्रोडक्ट बेचे जा रहे हैं, बल्कि सिगरेट पीने के लिए पूरा डिब्बा खरीदने की जरूरत नहीं है। सिगरेट की एक-दो स्टिक आराम से पैसा देकर मिल जा रही है।

पैसिव स्मोकिंग भी डेंजरेस

पूरी दुनिया में हर साल तम्बाकू व सिगरेट के सेवन की वजह से 60 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें करीब छह लाख से अधिक ऐसे लोग होते हैं, जो तम्बाकू और सिगरेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। दरअसल, स्मोकिंग के दौरान उसके संपर्क में आने वालों के फेफड़ों में वो धुआं जाता है जो स्मोकर बाहर छोड़ता है। इसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, स्मोकिंग से ज्यादा पैसिव स्मोकिंग डेंजरस है। तंबाकू से होने वाली मौतों में 12 फीसदी की वजह पैसिव स्मोकिंग है। इसके चलते प्रदेश में करीब 7 हजार लोगों की हर साल मौत हो रही है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) 2009-10 में सामने आया है कि घर में 70 फीसदी, वर्कप्लेस में 30 फीसदी और सार्वजनिक स्थान में 40 फीसदी लोग दूसरे द्वारा छोड़े धुएं के संपर्क में आते हैं।

नहीं हुआ किसी का चालान

गवर्नमेंट ने खुले में सिगरेट पीने और खुले सिगरेट की स्टिक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन अभी तक किसी का भी चालान नहीं किया गया है। यहां न सिगरेट खरीदने और धूम्रपान करने वालों को कानून का डर है।

फैक्ट फाइल-

-70 फीसदी मामलों में मुंह के कैंसर की वजह तंबाकू उत्पाद हैं।

-तंबाकू साथ एल्कोहल लेने वालों को खतरा और ज्यादा रहता है।

-आमाशय, यकृत और फेफड़े के कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।

- नपुंसकता, नींद कम आना, पेशाब की थैली के कैंसर का भी खतरा रहता है।

-प्रदेश में तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज का कुल आर्थिक बोझ 1373 करोड़ है।

-तंबाकू से होने वाली टीबी में 198 करोड़, दिल की बीमारी के चलते 157 करोड़, श्वास रोग में 122 करोड़ और कैंसर पर 40 करोड़ खर्च है।

-प्रदेश में 39 फीसदी लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें धूम्रपान 17 फीसदी है।

-प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या 2011 में 61 हजार थी जो 2014 में बढ़कर 68 हजार हो गई।

-प्रदेश में बामुश्किल 10 फीसदी स्कूलों में ही चेतावनी बोर्ड लगे हैं।