स्कूल में खेल के नाम पर जीरो बजट

बेसिक लेवल के स्कूल्स की बात करें तो यहां खेल के नाम पर कोई बजट नहीं होता है. यहां फीस मेंं भी खेल मद में कोई पैसा नहीं लिया जाता है. उस पर आरटीई के कानून की बेडिय़ों ने हाल और भी बुरा कर दिया है. अब हालात यह हैं कि चाह कर भी स्कूल्स खेल व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ नहीं कर सकते. इन हालातों में कुछ खेल प्रेमी टीचर्स अपनी जेब खर्च से कुछ सहयोग दे देते हैं.

कोई बजट व्यवस्था नहीं

पंद्रह से बीस स्कूल के ग्रुप को संकूल केंद्र कहते हैं. सीआरसी प्रभारी की देखरेख में यहां इन स्कूल्स की खेल प्रतियोगिताएं ऑर्गनाइज होती हैं. यहां होने वाली खेल प्रतियोगिताओं के लिए भी कोई बजट व्यवस्था नहीं है. संकूल केंद्र स्तर के स्पोट्र्स कॉम्पिटीशंस के लिए पैसे की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चे अपनी खेल भावना के दम पर पार्टिसिपेट करते हैं.

लगभग 1000 प्लेयर लेते हैं भाग

संकूल केंद्रों की प्रतियोगिताओं के बाद सेलेक्टेड प्लेयर ब्लॉक लेवल पर होने वाली स्पोट्र्स एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करते हैं. यहां सभी ब्लॉक्स के स्कूल्स से दो दर्जन से ज्यादा स्पोट्र्स कॉम्पिटीशन में लगभग 1000 प्लेयर भाग लेते हैं. खंड शिक्षा अधिकारी की देखरेख में होने वाली इन एक्टिविटीज के लिए सालभर के लिए 8000 रुपए बजट के रूप में दिए जाते हैं. तीन दिन चलने वाली इन प्रतियोगिताओं में लगभग 1000 खिलाड़ी पार्टीसिपेट करते हैं. इस हिसाब अगर गौर करें तो 8000 रुपए में केवल आठ रुपए ही एक खिलाड़ी के हिस्से आते हैं.

कैसे तैयार होंगे सचिन और मेजर ध्यानचंद

संकूल और ब्लॉक लेवल के कॉम्पिटीशंस के बाद डिस्ट्रिक्ट लेवल और बाद में स्टेट और नेशनल का सपना देखने वाले प्लेयर्स के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है रूट लेवल पर अपने आपको तैयार करना. सरकार ने डिस्ट्रिक्ट और स्टेट के लिए तो माकूल व्यवस्थाएं रखी हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल कॉम्पिटीशंस जहां से खिलाड़ी बनने की शुरुआत होती है. वहां उन्हें देने को कुछ नहीं है. इन हालातों में स्टेट गवर्नमेंट नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ी तैयार हों भी तो कैसे?

इन स्पोट्र्स एक्टिविटीज के लिए आता है पैसा

1- खो-खो

2- कबड्डी

3- वॉलीबॉल

4- टेबल टेनिस

5- कुश्ती

6- जूडो

7- कराटे

8- योगा

9- व्यायाम प्रदर्शन

10- भाला फेंक

11- चक्का फेंक

12- हाई जम्प

13- लॉन्ग जम्प

14- ताईक्वांडो

15- बैडमिंटन

16- सुलेख

17- समूहगान

18- मानचित्र

19- अंताक्षरी

20- तैराकी

21- लोकगीत

22- लोक नृत्य

23- राष्ट्रीय एकांकी

24- क्रिकेट

25- फुटबॉल

26- हॉकी

27- लॉन टेनिस

28- बॉक्सिंग

29- दौड़

संकूल केंद्रो पर कोई बजट नहीं है. ब्लॉक लेवल पर 8000 रुपए का बजट है. अभी तक 5000 रुपए दिए जा चुके हैं बाकी तीन हजार भी जल्द खंड शिक्षा अधिकारी के खाते में भेज दिए जाएंगे. यह पैसा स्कूली बच्चों में खेल भावना और प्रतियोगिताएं बेहतर करने के लिए दिया जाता है.

- पदमेंद्र सकलानी, जिला शिक्षा अधिकारी 'बेसिकÓ

माध्यमिक में हालात अच्छे हैं, लेकिन बेसिक में कोई व्यवस्था ही नहीं है. हालत यह है कि कई बार अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ जाते हैं. आरटीई कानून के चलते बच्चों से भी पैसा नहीं लिया जाता है. हर तरफ से बेसिक लेवल के कॉम्पिटीशन का बुरे हालातों में हैं. ऐसे में स्टेट को कैसे अच्छे खिलाड़ी मिलेंगे.

- विरेंद्र सिंह कृषाली, टीचर, शहीद नरपाल सिंह राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय