- डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में सामने आई बड़ी उदासीनता

- कोरोना भयावाह होने के बाद भी अब आई टीम गठित करने की याद

बरेली : सरकारी तंत्र किस प्रकार कोरोन से निपटने के लिए सजग है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि शासनादेश आने के डेढ़ माह बाद प्रबंधन को रेपिड रेस्पांस टीम बनाने की याद आई। हैरत की बात तो यह है कि हॉस्पिटल में जो डॉक्टर तैनात हैं यह टीम का हिस्सा बनने से कतरा रहे हैं।

क्या वर्क है टीम का

कोरोना से निपटने के लिए सबसे अहम भूमिका इस टीम की है, उदाहरण के लिए अगर किसी पेशेंट में कोरोना पॉजिटिव होता है यह टीम ही उस पेशेंट को आइसोलेशन वार्ड तक लाकर पूरे समय तक उसके ट्रीटमेंट में अहम भूमिका निभाईए्गी। इस टीम में डॉ। किरना बाला, डॉ। नीलम आर्या, डा। यशवंत सिंह, डॉ। ब्रिजेश, फार्मासिस्ट ऋषभ माहेश्वरी, स्टाफ नर्स जूली, ावार्ड आया सोनम, मैमो और गार्ड प्रमोद को शामिल किया गया है।

कब आया था आदेश

शासनादेश की माने तो डेढ़ माह पहले ही समस्त डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दस बेड का आइसोलेशन वार्ड और रेपिड रेस्पांस टीम बनाने के निर्देश दिए गए थे, मेल हॉस्पिटल में तो टीम आदेश के बाद ही बना दी गई थी लेकिन यहां अब टीम बनाने की याद आई।

आदेश आने के बाद से ही टीम बनाने की कवायद जारी थी, डॉक्टरों की कमी के चलते देरी हुई, हालांकि टीम को कड़े निर्देश दिए गए हैं।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस