-मैदान बाहरी हिस्से में प्रशासन बनाने जा रहा स्टैंड

-खेल और सांस्कृतिक मैदान के रूप थी इसकी पहचान

-स्टैंड बनने से मैदान का साइज हो जाएगा छोटा

-सामाजिक संगठनों ने किया विरोध

हाथ, पैर, सिर, मुंह, आंख आदि को मिलाकर एक पूरा कम्प्लीट इंसान बनता है। इसमें से एक भी अंग कम होने पर इंसान दिव्यांग की क्लास में आ जाता है। ठीक उसी तरह एक-एक इंच का ख्याल रखकर ग्राउंड तैयार किया जाता है। वही हालत गोरखपुर टाउन हाल मैदान की है। इसमें अगर छेड़छाड़ की गई तो गोरखपुर शहर के बीचो-बीच बचा इकलौता मैदान किसी काम का नहीं रह जाएगा। प्रशासन टाउन हाल मैदान की कुछ जमीन में एक बड़ा स्टैंड बना रहा है। जिसको रोकने के लिए शुक्रवार को सामाजिक संगठनों ने कई तर्क दिए। साथ ही डीएम को ज्ञापन भी सौंपा।

मनोरंजन की वजह से टाउन हाल की पहचान

आजादी के बाद से ही टाउन हाल मैदान मनोरंजन के लिए यूज किया जाता रहा है। यहां पर सांस्कृतिक प्रोग्राम, खेलकूद पूरे साल चलता रहता है। जादूगर, सर्कस और डिज्नीलैंड के झूले को भला कौन भूल पाएगा। यहां पर देश के बडे़-बडे़ नेता अपना स्पीच दे चुके हैं। शहर के बीचो-बीच होने की वजह से हर पार्टी के बडे़ नेताओं का प्रोग्राम भी यहीं होता रहा है। कुछ पुराने लोगों ने तो ये भी बताया कि सबसे पहला गोरखपुर महोत्सव भी यहीं हुआ था। इस मैदान से काफी यादें जुड़ी हैं, जिसे दफन होने से बचाने के लिए लोग यहां बन रही पार्किंग का विरोध कर रहे हैं।

नेशनल खिलाडि़यों को लगता था जमावड़ा

नेशनल हॉकी खिलाड़ी और कमेंटेटर 68 वर्षीय अशोक बताते हैं कि 1960 के दशक में यहां कुश्ती हुआ था। इसी तरह यहां जिला फुटबॉल लीग और जिला हॉकी लीग के मैच हुआ करते थे। 10 साल लगातार यहां हॉकी और फुटबॉल मैचों का सिलसिला चला। इसके अलावा शतरंज, बालीवॉल, बैंडमिंटन, कैरम और शतरंज के कॉम्प्टीशन भी होते रहे हैं। टाउन हाल मैदान में इस समय कराटे, जिम्नास्टिक, बैंडमिंटन और कुश्ती की प्रैक्टिस चलती है।

पूर्वाचल सेना ने किया विरोध

पूर्वाचल सेना के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि कचहरी क्लब मैदान शहर के अंदर बचा एक मात्र ग्राउंड है। चंद लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रशासन मैदान को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा चुका है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा, आपात स्थिति में ऐसे मैदान आबादी वाली जगहों पर सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। अभी भूकंप आने पर गोरखपुर के लोग बचने के लिए यहीं पर अपना आशियाना बनाए थे। यहां बन रहे स्टैंड के विरोध में शुक्रवार को सुरेन्द्र वाल्मीकि और भीम आर्मी जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंह गौतम ने डीएम को ज्ञापन सौंपा है।

ग्राउंड में होते ये आयोजन

कपडे़ की सेल, फर्नीचर की सेल, किताबों की सेल, खादी कपड़ों की सेल, टेराकोटा की सेल, सर्कस, जादू आदि आयोजन हमेशा होते हैं। इसमें शहर का हर वर्ग शिरकत भी कर लेता है।

छोटा हुआ तो ये होगी प्रॉब्लम

-आपदा की स्थिति में नहीं बचेगा कोई ग्राउंड।

-खेलने के लिए भी नहीं बचे हैं शहर में ग्राउंड।

-प्राकृतिक के साथ भी खिलवाड़ होगा।

-खेलकूद के साथ मनोरंजन के प्रोग्राम कराने में भी आएगी दिक्कत।

-पार्क में नहीं टहल पाएंगे गोरखपुराइट्स।

कोट-

जाम से निपटने के लिए शहर में पार्किंग बनाना बहुत आवश्यक है। लेकिन सिटी के इकलौते टाउन हाल मैदान को इसके लिए डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए। आपदा के समय में आबादी वाले इलाके में ऐसे ग्राउंड बहुत जरूरी हैं। प्रशासन चाहे तो इसी जमीन का यूज कर डबल बेसमेंट बना सकता है। बडे़-बडे़ शहरों में यही हो रहा है। इससे पार्किंग भी तैयार हो जाएगी और ग्राउंड भी बचा रहेगा। इसी पार्किंग से उसकी कास्ट भी निकल जाएगी।

आचिंत्य लाहिड़ी, पर्यावरणविद्

1960 के दशक में यहां कुश्ती का आयोजन हुआ था। इसमें हिन्दुस्तान के बडे़-बडे़ पहलवान आए थे। दंगल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आए थे। टाउन हाल के अंदर आज भी अखाड़ा स्थित है। जहां से बडे़ बडे़ पहलवान निकले हैं। इस ग्राउंड के साथ छेड़छाड़ करना प्राकृतिक के लिहाज से भी ठीक नहीं होगा।

अशोक गुप्ता, हॉकी कमेंटेटर