- लखनऊ में पर्यावरण विभाग की जांच में सामने आया चौंकाने वाला तथ्य

- नाइट्रेट की मात्रा बढ़ने पर खून में कम होने लगती है ऑक्सीजन की मात्रा

आगरा। कचरा के डंप होने से अंडरवाटर ग्राउंट वाटर में नाइट्रेट की मात्रा में इजाफा हो रहा है। नाइट्रेट की बढ़ी हुई मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। इसका खुलासा लखनऊ में पर्यावरण विज्ञान विभाग की लैब में ऐसे पानी के परीक्षण में सामने आया है। पानी में बढ़ी हुई नाइट्रेट की मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक है।

सिटी में भी ट्रेस होने लगा नाइट्रेट

सिटी में भी पॉल्यूशनयुक्त पानी में नाइट्रेट की मात्रा ट्रेस होने लगी है। इस बारे में पानी की जांच करने वाले विशेषज्ञ की मानें तो सिटी के पानी में लगातार फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा लगातार बढ़ ही रही है। इसके अलावा नाइट्रेट भी ट्रेस होने लगा है। हालांकि इसकी मात्रा अभी कम है। ये कम मात्रा भी ऐसे स्थान के पानी में आ रही है, जो पॉल्यूशन का टच कर रहा है। दूषित स्थानों के पानी में यह मात्रा ट्रेस हो रही है।

नाइट्रेट से कम हो रही ऑक्सीजन

अन्डरग्राउन्ड वाटर में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार नाइट्रेट हीमोग्लोबिन से रिएक्ट कर मिथाइल हीमोग्लोबिन बनाता है। यह खून में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है।

शहर में 168 स्थानों पर खुले पड़े हैं डलाबघर

शहर में 168 स्थानों पर डलाबघर खुले पड़े हैं। आपको बता दें कि नगर निगम ने शहर में तीन स्थानों पर कूड़े का डम्प स्थान बनाए हैं। इसमें पचकुइंया चौराहा, आईएसबीटी के पास ताजनगरी फेस-2 के पास बनाया गया है। यहां डंप कचरा भूगर्भ के पानी को प्रदूषित कर रहा है। जिले में 647.68 लाख की लागत से सॉलिड वेस्ट के 9 कार्य कराए जाने हैं।

सिटी के ज्यादातर इलाकों में खारा और फ्लोराइडयुक्त पानी

सिटी के ज्यादातर इलाकों को खारा और फ्लोराइडयुक्त पानी है। ऐसे में अन्य स्त्रोतों से पेयजल आपूर्ति की जाती है। जलापूर्ति बड़े तौर पर यमुना पर निर्भर रहती है। सिटी में 20 लाख की आबादी के लिए 350 एमएलडी पानी की डिमांड प्रतिदिन रहती है। त्यौहार के समय इसमें कुछ इजाफा हो जाता है। सिकंदरा वाटर व‌र्क्स की कैपेसिटी तकरीबन 144 एमएलडी मेगा ली। पर- डे है। तकरीबन 224 एमएलडी जीवनी मंडी वाटर व‌र्क्स की क्षमता है। इसमें 45 फीसदी वाटर सप्लाई आर्मी, एयरफोर्स, रेलवे और कैन्टूमेंट बोर्ड एरिया में की जाती है। तकरीबन 50 फीसदी पानी शोधन प्रक्रिया और पाइप लाइनों के लीकेज में बर्बाद हो जाता है।