-11 सालों से नहीं नगर निगम कूड़े का नहीं कर पाया निष्पादन

- शहर में जहां दिखी खाली जमीन वहीं बना दिया कूड़ा डंपिंग यार्ड

PATNA: पटना नगर निगम योजना बनाते-बनाते राजधानी के कई इलाके को कूड़ा डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया है। गर्दनीबाग, अगमकुआं और पाटलिपुत्र कॉलोनी में विरोध के बावजूद कूड़ा को डंप किया जा रहा है। कूड़ा निष्पादन के लिए 11 साल पहले योजना बनी थी लेकिन उस पर काम नहीं हो पाया जिससे शहर की स्थिति खराब हो गई है। साल दर साल शहर की आबादी बढ़ रही है इसके बावजूद नगर निगम कूड़े के निष्पादन को लेकर एक्टिव नहीं हुआ है।

बन गए कूड़ा के पहाड़

ठोस कचरा प्रबंधन के तहत पिछले कई वषरें से कचरा रिसाइकलिंग प्लांट लगाने की योजना लंबित है। इस लंबित योजना को पूरा करने को लेकर निगम प्रशासन ने सितंबर, 2018 में जर्मनी बेस्ड निजी एजेंसी को चयनित किया था। बैरिया स्थित कूड़ा डंपिंग यार्ड करीब 72 एकड़ भूखंड पर है। निगम अधिकारियों ने 72 एकड़ भूखंड में पांच एकड़ भूखंड का चयन कर लिया है, जहां बिजली, डीजल आदि के प्लांट लगाया जाना हैं। निगम प्रशासन और निजी एजेंसी के बीच प्लांट लगाने के लिए एग्रीमेंट किया था। 22 सौ करोड़ की लागत से प्लांट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू करनी थी। लेकिन, लैंड लीज एग्रीमेंट के पेच में प्लांट लगाने का काम फंस गया। प्लांट नहीं लगने से बैरिया स्थित कूड़ा डंपिंग यार्ड में दिन-प्रतिदिन कचरे का पहाड़ तैयार हो रहा है।

करोड़ों खर्च फिर भी रिसाइकिलिंग की प्लानिंग ठप

पटना नगर निगम की तरफ से रिसाइकिलिंग योजना वर्ष 2008 में बनी थी। ठोस कचरा प्रबंधन के तहत रामचक बैरिया को इसके लिए चयनित किया गया। वर्ष 2009 में निगम की तरफ से काम भी शुरू किया गया जल्द ही बंद हो गया। बाद में बु़डको को ये जिम्मेदारी सौंपी गई। वर्ष 2012 में प्लांट लगाने के लिए एजेंसी का चयन भी किया गया लेकिन उसे नगर निगम की एनओसी नहीं मिली। उसके बाद दूसरी निजी एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी दी गई। करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन कंपनी का काम ठीक नहीं होने के कारण उसे हटा दिया गया। वर्ष 2018 में नगर निगम ने फिर से एजेंसी का चयन किया। सितंबर में एजेंसी का चयन किया गया अक्टूबर से काम शुरू करना था। जून, 2019 तक कंपनी की तरफ से कचरे से बिजली बनाने का दावा किया गया था लेकिन ये आज महज सपना बन कर रह गया है।

दूसरे शहरों से कोसों पीछे

रिसाइकलिंग प्लांट लगाने में पटना नगर निगम काफी पीछे है। ठोस कचरा प्रबंधन के तहत वर्ष 2008-09 में ही कचरा रिसाइकलिंग प्लांट लग जाना चाहिए था। लेकिन, निगम प्रशासन की अनदेखी से योजना अधर में फंसी हुई है। जबकि, देश के भोपाल, इंदौर, सूरत, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम आदि नगर निगमों में बेहतर तरीके से रिसाइकलिंग प्लांट संचालित किये जा रहे हैं।