प्लास्टिक की वजह से हो सकती है हार्मोनल चेंजिंग

प्लास्टिक की परत से नहीं हो पा रहा वर्षा जल का संचयन

ALLAHABAD: इंसान के साथ ही पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कल भी खतरा था और आज भी खतरा है। ये खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि हाईकोर्ट भी पॉलीथिन के कैरीबैग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर चुका है। इस समय पूरा शहर पॉलीथिन व प्लास्टिक के कचरे से पटा हुआ है।

निस्तारण की नहीं है व्यवस्था

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत बसवार में नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण केंद्र बना रखा है। वहां कचरे से खाद बनाने की व्यवस्था है। लेकिन नगर निगम अभी तक प्लास्टिक के निराकरण की व्यवस्था नहीं कर सका है। शहर से पर डे निकलने वाला प्लास्टिक और पॉलीथिन जगह-जगह डंप हो रहा है।

हर जगह नजर आ रहा प्लास्टिक

सभी को पता है कि प्लास्टिक और पॉलीथिन पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। इसके बाद भी प्लास्टिक व पॉलीथिन का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। शहर के 80 प्रतिशत से अधिक नाला-नाली प्लास्टिक और पॉलीथिन की वजह से ही चोक हैं।

एक टुकड़ा भी है जानलेवा

वैज्ञानिकों की मानें तो पॉलीथिन या प्लास्टिक का एक टुकड़ा भी हमारे शरीर के अंदर पहुंच गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इससे सिर्फ कैंसर, किडनी, लीवर की बीमारियां ही नहीं होती, बल्कि हार्मोनल चेंजेज होने की भी बात रिसर्च में सामने आई है।

शहर के लिए खतरा है प्लास्टिक

- प्लास्टिक के बोतल व कचरे की वजह से 80 प्रतिशत से अधिक नाले हैं चोक

- 40 एमएलडी प्रति घंटे की बारिश झेलने में भी सक्षम नहीं है शहर

- 600 मीट्रिक टन कचरा पर डे निकल रहा है शहर से

- इसमें करीब 20 से 25 फीसदी कचरा होता है प्लास्टिक का

- दो से तीन किलो प्लास्टिक कचरा औसतन एक व्यक्ति पैदा करता है शहर में।

प्रतिबंधित पॉलीथिन की बिक्री पर पूरी तरह से रोक है। इसके बाद भी अगर दुकानदार पॉलीथिन बेचते हुए पाए जाएंगे तो कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है और आगे भी जारी रहेगी।

ऋतु सुहास

अपर नगर आयुक्त

ये बात सही है कि पॉलीथिन व प्लास्टिक शहर की सफाई के साथ ही नाला-नाली के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं। इसकी वजह से नाले चोक हो रहे हैं। पॉलीथिन पर प्रतिबंध के लिए अभियान चलाया जाएगा। लेकिन लोगों को भी जागरुकता का परिचय देना होगा।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम