- नगर निगम गोरखपुर में 25 फरवरी को टैक्स डिपार्टमेंट लगी थी आग

- महीने भर बाद घटना को लेकर सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा

- किसी अनजान शख्स ने जानबूझ कर लगाई थी फाइलों में आग

25 फरवरी: सीन दर सीन

9.00 एएम: एक महिला सफाईकर्मी विभाग में आती है और सफाई करती है।

9:30 एएम: एक कर्मचारी विभाग में आता है। रजिस्टर पर साइन करके विभाग के उत्तरी गेट से निकल जाता है।

9:42 एएम: देवानंद त्रिपाठी नाम के एक क्लर्क आते हैं और रजिस्टर पर साइन करते हैं। तभी सफाई कर्मचारी बाहर चली जाती है। अब विभाग पूरी तरह खाली है।

9:44 एएम: विभाग के दक्षिणी गेट से एक टी-शर्ट पहने एक युवक अंदर आता है। उत्तरी गेट के पास रखी आलमारी के पास पहुंचता है। अस्पष्ट रूप से फुटेज में दिख रहा है कि वह कुछ छिड़क रहा है।

9.45 एएम: अचानक आग की लपटें और धुंआ नजर आता है। वहां मौजूद युवक कोई शोर नहीं कर रहा बल्कि चुपचाप निकल जाता है।

9:55 एएम: टैक्स विभाग में अंदर धुंआ-धुंआ की स्थिति है।

GORAKHPUR: नगर निगम के टैक्स विभाग में 25 फरवरी को आग लगी नहीं थी, बल्कि जानबूझ कर लगाई गई थी। ये खुलासा घटना के करीब एक महीने बाद शनिवार को हुआ। शनिवार को इसी डिपार्टमेंट में बंदरों ने आकर कई फाइलें फाड़ दीं और उत्पात किया। इस घटना की सीसीटीवी फुटेज देखने के दौरान जब पुराने डाटा को खंगाला गया तो 25 फरवरी को आग लगने के मामले का खुलासा हुआ। इस घटना के बाद इस डिपार्टमेंट की बड़े गोलमाल का धुंआ साफ महसूस किया जा रहा है। माना जा रहा है कि किसी घोटाले पर पर्दा डालने के लिए फाइलों को आग के हवाले किया गया है।

मेयर ने पकड़ा सच

आग लगी नहीं बल्कि लगाई गयी है, ये सच मेयर डॉ। सत्या पांडेय ने ही पकड़ा। उन्होंने ही बंदरों के उत्पात की घटना के बाद विभाग में लगे सीसीटीवी फुटेज देखने की इच्छा जाहिर की। फुटेज देखने के दौरान उन्होंने पूछा की कितने दिनों का बैकअप है। पता चला कि पिछले महीने का भी डाटा अभी मौजूद है। तब उन्होंने 25 फरवरी की डेट की फुटेज देखना शुरू किया। अचानक उनके मुंह से निकला कि अरे ये आग तो लगाई गयी है। मेयर ने वहां मौजूद अफसरों से पूछ भी लिया कि इस आदमी के जाने के बाद ही आखिर आलमारी में आग क्यों लगी? आग लगी तो वह भागा क्यों? जबकि उसे शोर मचाना चाहिए था।

जांच ठंडे बस्ते में

टैक्स विभाग में लगी आग का सच सामने आए, यह कोई नहीं चाहता। 25 फरवरी को आग की घटना के बाद शाम में ही नगर आयुक्त राजेश कुमार त्यागी ने नुकसान का अंदाजा लगाने के लिए मुख्य कर निर्धारण अधिकारी रबीस चंद, मुख्य लेखा परीक्षक इसरार अंबिया अंसारी, सहायक नगर आयुक्त स्वर्ण सिंह और सहायक लेखाधिकारी राजीव कुशवाहा की एक कमेटी गठित की। ये कमेटी एक महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं दे सकी। इतना ही नहीं, कमेटी ने किसी से कोई पूछताछ तक की जहमत नहीं उठाई है। निगम के ही एक अधिकारी ने मेयर से ये आरोप भी लगाया कि नगर निगम के कुछ क्लर्क अपना काम प्राइवेट लोगों से कराते हैं। ये बाहरी लोग अक्सर गड़बड़ी कर देते हैं। जब जांच होती है तो क्लर्क फंसते हैं। फाइलों की जांच में गला न फंसे इसलिए ही कुछ अंदर के लोगों ने आग की घटना को अंजाम दिया है।

पुलिस के पास पहले से फुटेज

मेयर ने भले ही करीब एक महीने बाद फुटेज में ये पकड़ा कि आग लगी नहीं लगाई गई है मगर हैरान करने वाली बात ये है कि पुलिस पास आग की घटना की फुटेज पहले से है। आग के मामले में नगर आयुक्त ने रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। मगर पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई सक्रियता नहीं दिखाई। मेयर को शनिवार के दिन जब ये पता चला तो उन्होंने तत्काल कोतवाली सीओ से बात की और पूरे प्रकरण की जांच करने का दो दिन का समय दिया।

सलामत बच गए तीनों बाबू

टैक्स विभाग में आग लगने की घटना के तत्काल बाद अधिकारियों ने इस मात्र एक संयोग करार दिया था। सभी ने एक स्वर से कहा था कि यह मात्र शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी हुई, लेकिन वहां अंदरखाने चर्चा होने लगी थी कि नगर आयुक्त द्वारा बाबूओं के तबादले तैयार की कई लिस्ट के कारण आग लगी है। नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा यह बाबू किसी भी हाल में वार्ड छोड़ने को तैयार नहीं थे। वहीं नगर आयुक्त और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी इन बाबूओं के तबादले की लिस्ट तैयार कर ली थी। यह बाबू किसी भी हाल में अपने वार्ड को छोड़ने को तैयार नहीं थे। आग लगने के पीछे नगर निगम में इस बात भी बहुत चर्चा है।