- लखनऊ में स्कूली छात्र और यूथ पर छाया पब जी गेम का फीवर

- बैट लगाकर खेल रहे गेम, टूर्नामेंट की तरह बढ़ रहा पब जी गेम का क्रेज

- इंडिया में पूरी तरह से है इस गेम पर प्रतिबंध

mayank.srivastava@inext.co.in

LUCKNOW : दुनियाभर में बदनाम हो चुके ऑनलाइन गेम पबजी के दुष्परिणाम अब इंडिया में भी दिखने लगे हैं. पबजी (प्लेयर अननोनस बैटेलग्राउंड्स) ने लखनवाइट्स को भी अपनी चपेट में ले रखा है. इसका शिकार ज्यादातर यूथ हो रहा है. यह गेम टूर्नामेंट की तरह बैट लगाकर खूब खेला जा रहा है. जबकि यह गेम इंडिया में पूरी तरह से बैन है. अभी तक गुजरात के राजकोट में इस गेम को खेलने के जुर्म में 35 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है. इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए अब लखनऊ साइबर सेल ने भी गेम को लेकर एडवाइजरी जारी की है.

क्या है पब जी गेम

पबजी मार्च 2017 में जारी हुआ था. ये गेम एक जापानी थ्रिलर फिल्म 'बैटल रोयाल' से प्रभावित होकर बनाया गया. जिसमें सरकार छात्रों के एक ग्रुप को जबरन मौत से लड़ने भेज देती है.

कैसे खेलते हैं गेम

गेम में करीब 100 खिलाड़ी किसी टापू पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं. हथियार खोजते हैं और एक दूसरे को तब तक मारते रहते हैं जब तक कि उनमें से केवल एक ना बचा रह जाए.

ऑनलाइन टिप्स भी

इसमें इसमें चार लोगों की टीम बनाकर लास्ट तक सर्वाइव करना होता है. खेल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यू ट्यूब पर भी पब जी मिशन गेम में एक्सपर्ट बनने के सैकडों वीडियो मौजूद हैं. गेम में किस तरह ज्यादा बेहतर ढंग से खेला जा सकता है. इसके टिप्स दिए जा रहे हैं.

1.5 जीबी डाटा की खपत

पूरी तरह ऑनलाइन मिशन गेम का शुरुआती डाउलोडिंग डाटा ही करीब 1.5 जीबी है. इसके बाद भी नेट की खपत लगातार होती है.

बेस्ट रेटिंग भी मिली

दुनिया भर में 100 मिलियन से ज्यादा लोग पब जी गेम डाउनलोड कर चुके हैं. सात मिलियन लोगों ने इसे पांच में से 4.5 रेटिंग दी है. यह मिशन गेम प्ले स्टोर पर टॉप रेटिंग हासिल कर चुका.

जारी की गई एडवाइजरी

इंडिया में गेम पर पाबंदी है. हाल ही में राजकोट में गेम खेलते हुए 11 स्टूडेंट्स को अरेस्ट भी किया गया. राजधानी में गेम के बढ़ते क्रेज को देखते हुए साइबर सेल ने एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में गेम के डाउनलोड और गेम खेलने पर कार्रवाई के निर्देश देने के बाद पैरेंट्स को टिप्स भी दिए गए हैं.

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ये हैं दुष्प्रभाव

एक्सपर्ट की मानें तो ये ऐसा खेल है जो इसके खिलाड़ी को हिंसक बना देता है. दुश्मनों को मौत सिर्फ मौत देने की आदत डाल देता है, लेकिन ऑनलाइन और वर्चुअल व‌र्ल्ड में सिर्फ पबजी ही परेशानी की वजह नहीं है. बल्कि इस तरह के दर्जनों वीडियो गेम और चैलेंज हैं जो बच्चों को छल-कपट, झूठ और हिंसा का पाठ पढ़ा रहे हैं. ऑनलाइन गेम्स बच्चों पर बुरा असर डाल रहे हैं. इससे बच्चे हिंसक हो रहे हैं. समाज से कट रहे हैं. वहीं उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है. लगातार बैठे रहने से मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं बढ़ रहीं हैं.

क्या करें पेरेंट्स

सोशल मीडिया के खतरनाक एप्स और गेम से बच्चों को दूर रखने में पैरेंट्स की जिम्मेदारी सबसे अहम है. ऐसे में पैरेंट्स को इन बातों को खास ध्यान रखना चाहिये .

- बच्चों से संवाद स्थापित करने और उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं

- बच्चों को मोबाइल फोन देने की जगह उन्हें आउट डोर गेम के लिए प्रोत्साहित करें

- पैरेंट्स बच्चों के सवालों से बचने के लिए उन्हें मोबाइल दे देते हैं, ऐसा न करें

- बच्चों के सवालों से चिड़चिड़ाये नहीं बल्कि उन्हें सहुलियत से जवाब दें

- बच्चों पर हमेशा नजर बनाए रखें, कि मोबाइल पर क्या देख रहे हैं

- स्मार्ट फोन देते समय उसमें खतरनाक साइट और गेम की डाउनलोडिंग को ब्लॉक कर दें

- बच्चों के दोस्तों और उनके साथ रहने वाले बच्चों से जरूर मिलें और उन्हें घर बुलायें ताकि उनके बारे में भी जानकारी ले सकें

- स्कूल में ज्यादा समय देने वाले बच्चों के टाइम टेबिल पर विशेष रूप से ध्यान दें, खासतौर से स्कूल बस में आने जाने के दौरान बच्चे क्या करते हैं

कोट

बाजारवाद हावी होने के चलते ही सोशल मीडिया पर ऐसे खतरनाक गेम आसानी से मोबाइल पर बच्चों को उपलब्ध हो रहे हैं. कंपनीज को चाहिए कि उनकी डाउनलोडिंग पर प्रतिबंध लगाए. कम ऐज में यह ऐसा औजार है जो खुद के साथ-साथ दूसरे के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है. इससे बच्चों को बचाने के लिए पैरेंट्स उनके साथ संवाद स्थापित करें. उनके साथ समय बिताएं ताकि बच्चों का रूझान वहां से कम हो सके.

- डॉ. दीप्ती रंजन साहू, एचओडी समाजशास्त्र विभाग एलयू

कोट

सोशल मीडिया बहुत स्ट्रांग प्लेटफॉर्म है और इस टेक्नोलॉजी से बच्चों को दूर नहीं रखा जा सकता है. नजर रखने के साथ बच्चों के दोस्तों को भी घर बुलाये और यह जानकारी करें कि उनके साथी और दोस्तों का क्या नेचर है. हमउम्र बच्चों का प्रेशर और ग्रुप में धाक जमाने की आदत के चलते भी इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं. एफबी सिंड्रोम, वॉटसएप सिंड्रोम जैसी बीमारी बढ़ रही हैं, जिसका थेरेपी के जरिए इलाज किया जा रहा है.

- डॉ. देवाशीष, मनोवैज्ञानिक

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यह गेम भी खतरनाक

टुथ एंड डेयर : ये गेम हाल में ही सबसे ज्यादा चर्चा में आया. इस गेम में दो तरह से चैलेंज दिया जाता है. टुथ कहने पर लाइफ का कोई सच जो छिपा कर रखा गया था उसे बताना और डेयर कहने पर कोई टफ चैलेंज दिया जाता है, जिसे पूरा करना होता है.

एयरोसोल चैलेंज : ये गेम 2014 में चर्चा में आया जब इस गेम के चलते कई बच्चों ने खुद को घायल कर लिया. इस गेम में बच्चों को स्किन पर ज्वलनशील स्प्रे छिड़कने का टास्क दिया जाता था. उस समय बच्चे स्प्रे करती हुई वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते थे.

पासआउट चैलेंज : ये गेम सोशल मीडिया के जरिए आगे बढ़ रहा था. गेम में बच्चे एक दूसरे को सोशल मीडिया के जरिये खतरनाक चैलेंज देते थे. ये चैलेंज खुद को आग से जलाने, सीने पर चढ़ कर सांस रोकने या गरम पानी खुद पर डाल लेने के चैलेंज होते थे.

नेक्नोमिनेट : ये गेम पिछले सभी गेम्स से थोड़ा अलग, लेकिन उतना ही खतरनाक है. इस गेम में ड्रिंकिंग चैलेंज दिया जाता है.पिसे हुए चूहे और कीड़ों का कॉकटेल बना कर पीना, गोल्ड फिश को निगलना, अडें, बैटरी का लिक्विड, यूरीन और 3 गोल्ड फिश को एक साथ मिलाकर जूस पीना, टॉयलेट क्लीनर, वोडका और मिर्च पाउडर का शेख पीने जैसा इस चैलेंज का हिस्सा था.

रेपले : रेपले गेम चैलेंज महिला विरोधी अपराधों को बढ़ावा देने वाला था. रिलीज के कुछ समय बाद ही अजर्ेंटीना, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने इस गेम को पूरी तरह से बैन कर दिया था.

फायर चैलेंज : इस गेम में प्लेयर को खुद को पूरी तरह जलाने का चैलेंज दिया जाता था. इसके चलते लोग एक दूसरे को खुद पर शराब छिड़क कर उसमें आग लगाने या खुद पर परफ्यूम डालकर उस पर लाइटर ऑन करके जलाने जैसे चैलेंज देने लगे थे.