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LUCKNOW : भूमि विवाद में सोनभद्र में 10 ग्रामीणों की हत्या पर शुक्रवार को सदन से लेकर सड़क तक हंगामा हुआ। सीएम योगी ने विधानसभा में घटना की विस्तृत जानकारी दी तो सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्यों के विरोध से कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। वहीं राज्य सरकार ने एडीजी वाराणसी और कमिश्नर मिर्जापुर की रिपोर्ट के बाद सोनभद्र के एसडीएम, सीओ, इंस्पेक्टर, हलके के दरोगा और बीट कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया। वहीं दूसरी ओर वाराणसी में पीडि़तों से मिलने सोनभद्र जा रही कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो वे धरने पर बैठ गईं। वहीं लखनऊ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सीएम योगी का पुतला फूंक विरोध दर्ज कराया।

कांग्रेस सरकार की देन है घटना

सदन में सीएम ने कहा कि सोनभद्र की घटना में 10 लोगों की मृत्यु हुई जबकि 28 घायल हुए है। पीडि़तों के प्रति मेरी व राज्य सरकार की गहरी संवेदना है। सरकार दोषियों के खिलाफ  सख्त कार्रवाई करेगी। इस घटना की नींव 1955 में कांग्रेस की सरकार के दौरान पड़ी थी। वाराणसी जोन के एडीजी और कमिश्नर मिर्जापुर ने 24 घंटे में जांच पूरी कर रिपोर्ट दी है जिसके बाद लापरवाही बरतने वाले घोरावल के सीओ, एसडीएम इंस्पेक्टर, हलके के दरोगा और बीट कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है।

यह है पूरा मामला

उन्होंने बताया कि वर्ष 1955 में कांग्रेस की सरकार के दौरान स्थानीय लोगों की जमीन को हड़पने के लिए ग्राम समाज की जमीन को आदर्श सोसायटी के नाम पर दिया गया। बाद में 1989 में बिहार के एक आईएएस के नाम पर कर दिया, जो गलत था। उस समय भी कांग्रेस की सरकार थी। वहीं अधिकारी ने कब्जा नहीं कर पाने पर जमीन को वर्ष 2017 में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त को बेच दिया। इस मामले में कई मुकदमे भी चलते रहे। घटना के दोषी ग्राम प्रधान और उसके भाई समेत 29 लोग गिरफ्तार किये जा चुके है। मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपए जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी गयी है।

दोनों सदनों में हंगामा

सोनभद्र नरसंहार और संभल में सिपाहियों की हत्या पर समूचे विपक्ष ने विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा किया, जिससे दोनों सदनों को कई बार स्थगित करना पड़ा। विधानसभा में प्रश्नकाल भी हंगामे की भेट चढ़ गया। विपक्ष ने दोनों घटनाओं पर सरकार से चर्चा की मांग की पर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अपराधियों को सरकार का संरक्षण मिल रहा है। सीएम का रवैया पक्षपात वाला है।  पुलिस लोगों का एनकाउंटर अपराधी देखकर नहीं बल्कि उसकी जाति देख कर करती है। विधानसभा में सदन की बैठक शुरू होते ही सपा सदस्य हाथ में तख्तियां लेकर वेल में आ गए।

तीन सदस्यीय जांच समिति गठित

सीएम के आदेश पर घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गयी है जिसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव राजस्व करेंगे। समिति में प्रमुख सचिव श्रम के अलावा विंध्याचल मंडल मिर्जापुर के आयुक्त को सदस्य नामित किया गया है।

बवाल की थी आशंका

एडीजी वाराणसी जोन और कमिश्नर मिर्जापुर की संयुक्त जांच रिपोर्ट में कहा गया कि सोनभद्र के थाना घोरावल स्थित उम्भा गांव में भूमि विवाद को लेकर लंबे समय से बवाल होने की आशंका थी। सीओ, एसडीएम और इंस्पेक्टर ने ने समय रहते कोई कार्यवाही नहीं की। जिससे उनको सस्पेंड करने के साथ विभागीय कार्यवाही के आदेश दिए गये है।

हिरासत में ली गयीं प्रियंका

वाराणसी बीएचयू में घायलों से मिलने के बाद सोनभद्र जा रही प्रियंका गांधी को वाराणसी पुलिस ने रोका जिसके बाद वे समर्थकों संग धरने पर बैठ गईं। पुलिस उनको हिरासत में लेकर चुनार के किले में गयी जहां उनको हिरासत से छुड़ाने के लिए कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं।

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