LONDON: साउथ अफ्रीका में एचआईवी संक्रमण के साथ जन्मे बच्चे ने एड्स के इलाज की उम्मीद जगाई है। एक साल तक चले इलाज के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। यही नहीं, पिछले आठ साल से वह बिना दवा के स्वस्थ जीवन जी रहा है। आमतौर पर एड्स के मरीज को एचआईवी संक्रमण से बचे रहने के लिए जिंदगीभर दवा लेनी पड़ती है। साइंटिस्ट्स का मानना है कि इस बच्चे के एड्स मुक्त होने का कारण अगर खोजा जा सका तो दुनियाभर में एड्स के करीब 3.7 करोड़ मरीजों को नई जिंदगी मिल सकती है।


जवाब से ज्यादा सवाल हुए खड़े
इंटरनेशनल एड्स सोसायटी की प्रमुख लिंडा गेल बेकर ने कहा, 'यह ऐसा मामला है, जिसने उत्तर से ज्यादा प्रश्न खड़े किए हैं। इससे यह उम्मीद पैदा हुई है कि उम्रभर दवा लेना जरूरी नहीं है। लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यह मामला बिलकुल अनोखा है।'वैज्ञानिकों ने बताया कि ज्यादातर एड्स के मरीजों में दवा छोड़ते ही संक्रमण बढऩे लगता है। कुछ विरले लोग होते हैं, जिनका शरीर दवा छोडऩे के बाद भी एचआइवी संक्रमण से बचा रह जाता है। वैज्ञानिक लगातार इसके पीछे के कारण को जानने का प्रयास कर रहे हैं। इसे जानकर इलाज का नया कारगर तरीका खोजा जा सकता है।

हवाई जहाज को तोड़कर बना डाला दुनिया का सबसे खूबसूरत होम फर्नीचर

दवाओं का कॉकटेल होगा मददगार
वैज्ञानिकों ने कुछ दवाओं के एक साथ इस्तेमाल से एचआइवी के खिलाफ बेहतर नतीजे पाए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दवाओं की मदद से दवा के प्रति प्रतिरोधी हो चुके वायरस को भी खत्म करना संभव हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका के डेसमंड टुटू एचआइवी सेंटर में इस शोध को अंजाम दिया गया है। एड्स के तेजी से हो रहे प्रसार के बीच गिलीड साइंसेज और ग्लैक्सोस्मिथक्लीन जैसी दवा कंपनियां इसके इलाज के लिए दवा तैयार कर रही हैं। ताजा शोध में इनकी कुछ नई और पुरानी दवाओं के एक साथ इस्तेमाल से अच्छे नतीजे मिले हैं। ताजा शोध में प्रयोग के तौर पर बने एक टीके को भी कारगर पाया गया है।

वर्ल्ड फेमस ‘मंकी सेल्फी‘ के लिए बंदर ने कर दिया फोटोग्राफर पर केस और बरबाद कर दी उसकी जिंदगी

International News inextlive from World News Desk

International News inextlive from World News Desk