चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान पर प्रतिबंध नहीं हटाया है और वे उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं.
शाह के पक्ष में दिए गए आयोग के फ़ैसले को समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने "आज़म ख़ान के साथ नाइंसाफ़ी" बताया.
आज़म ख़ान ख़ुद चुनाव आयोग को कांग्रेस का एजेंट कहते हैं.
माफ़ी पर हटी पाबंदी
11 अप्रैल को दिए गए एक आदेश में आयोग ने शाह पर कथित तौर पर नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में उनको भाजपा के लिए प्रदेश में चुनावी रैलियों को सम्बोधित करने से रोक दिया था साथ ही उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने का आदेश दिया था.
एक पत्र में अमित शाह ने आयोग से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था. इसके साथ ही शाह ने शपथ पूर्वक कहा था कि वे उत्तेजना फैलाने वाले भाषण नहीं देंगे और न ही अपशब्दों का प्रयोग करेंगे.
17 अप्रैल को पारित किए आदेश में आयोग ने शाह की शपथ को ध्यान में रखते हुए उनपर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया.
लेकिन इस परिवर्तित आदेश का असर शाह के विरुद्ध इस मामले में चल रहे पुलिस केस या मुक़दमे पर नहीं पड़ेगा. पुलिस की कार्रवाई और क़ानूनी कार्रवाई यथावत चलती रहेगी.
यह परिवर्तित आदेश शाह को एक और मौक़ा देने के दृष्टिकोण से दिया गया है.
लेकिन आयोग ने आज़म ख़ान को एक और मौक़ा नहीं दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा की यह आदेश दिल्ली से आया है इसलिए वे इसमें कुछ नहीं कह सकते हैं.
लेकिन ऐसा सुना जा रहा है कि आज़म ख़ान ने निर्वाचन आयोग को दी गई सफ़ाई में अपनी ग़लती नहीं मानी थी और ना ही भविष्य में कथित तौर पर नफ़रत फैलाने वाले भाषण ना देने की ही कोई बात की थी.
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