- प्रवासी हिंदी साहित्य सीमाएं और संभावनाएं पर हुई गोष्ठी

- वीएन राय सहित कई साहित्यकार हस्तियों ने दिए अपने वक्तव्य

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी के हिंदी डिपार्टमेंट में प्रवासी हिंदी साहित्य की सीमाएं और संभावनाएं पर एक दिवसीय संगोष्ठी की गई। जिसमें कई जाने माने साहित्यकार और लेखक ने शिरकत की। साथ ही प्रवासी हिंदी साहित्य पर अपने वक्तव्य दिए। इस दौरान ब्रिटिश काल से लेकर अब तक हिंदी साहित्य पर वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। ख्क् वीं शताब्दी में आए परिवर्तनों को लेकर क्या बदलाव हुए, इन सभी वास्तविकताओं पर मंथन हुआ।

यह रही संगोष्ठी

मंगलवार को हिंदी डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित संगोष्ठी की शुरूआत सुबह दस बजे एचओडी नवीन चंद्र लोहनी के स्वागत भाषण के साथ शुरू हुई। जहां पहले सेशन में यूनिवर्सिटी के वीसी ने अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि के रूप में सांसद राजेंद्र अग्रवाल रहे, इनके साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में वर्तमान साहित्य के संपादक और महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी वीएन राय रहे। इनके साथ ही बीज वक्तव्य मानद निदेशक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद नोएडा के नारायण कुमार ने दिए। इनके साथ ही नई दिल्ली से आए साहित्यकार जयप्रकाश कर्दम ने भी अपने वक्तव्य दिए।

हिंदी में अंग्रेजी का मिक्स

वीएन राय ने प्रवासी हिंदी साहित्य की सीमाओं और इनकी संभावनाओं को लेकर अपने वक्तव्य रखे। साथ ही वीसी गोयल वाइस चांसलर ने हिंदी में अंग्रेजी मिक्स को लेकर अपने वक्तव्य दिए। इन्होंने कहा कि हिंदी में अंग्रेजी का मिक्स तो हमेशा होता आया है। एक ऐसी भाषा भी होनी चाहिए जिसमें दोनों ही भाषाओं का मिक्स हो। इसके बाद बारह बजे से दूसरे सेशन की शुरूआत हुई। जिसमें अध्यक्षता पूर्व उपाध्यक्ष केंद्रीय हिंदी संस्थान नई दिल्ली के प्रोफेसर रामशरण जोशी ने की। इसका विषय प्रवासी हिंदी साहित्य में लेखन और संभावनाएं रहा। सेकंड सेशन में अंबेडकर यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से आए डॉ। सत्यकेतु, पूर्व प्रिंसिपल नई दिल्ली के डॉ। दिविक रमेश, प्रवासी दुनिया के संपादक अनिल जोशी ने अपने वक्तव्य दिए।

थर्ड और फोर्थ सेशन

इसके बाद ढाई बजे शुरू हुए सेशन का विषय चुनौतियां एवं भविष्य रहा। जिसमें अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेश ऋतुपर्ण ने की। साथ ही दूरदर्शन के संपादक अजित राय, व्यंग्य वार्ता के संपादक प्रेम जनमेजय और अनुवादक ऊषा महाजन ने अपने विचार रखे। फोर्थ सेशन चार बजे शुरू हुआ। जिसमें प्रोवीसी एचएस सिंह ने अध्यक्षता की और पूर्व निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय के गंगा प्रसाद विमल, वेद प्रकाश वटुक, डॉ। सविता मोहन, डॉ। देवेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य रखे। इस पूरे कार्यक्रम में डॉ। अंजू, डॉ। विद्या सागर सिंह, आरती राणा और डॉ। मोनू ने इन सभी सेशन का संचालन किया। शाम को छह बजे गणित विभाग के पास मौजूद संगोष्ठी कक्ष में काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ। जिसमें मौजूद कवियों ने अपनी कविताओं को सुनाया।