-एएसआइ ऑफिस पर टिकट के लिए जमकर हंगामा

-रविवार को रात्रि दर्शन के सभी टिकटों की हुई बिक्री

आगरा। ताज का संगमरमरी हुस्न। शरद पूर्णिमा पर चांद की रश्मियां। दोनों के मिलन पर उसमें जड़े नगीने (सेमी प्रीसियस स्टोन) दमक उठेंगे। ताजमहल में शरद पूर्णिमा पर रविवार रात ऐसा ही नजारा चमकी के तौर पर दिखेगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के माल रोड स्थित ऑफिस से टिकट बेचे गए। तीन घंटे में ही सभी 400 टिकट बिक गए। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि चमकी के सभी 400 टिकट बिके हैं। रविवार रात 8:30 से 12:30 बजे तक आठ बैच में पर्यटक चमकी देख सकेंगे।

वर्ष 1984 तक ताज रात में खुला करता था। उस समय अलसुबह तक ताज में चमकी पर्यटक देखते थे। वर्ष 1984 में सुरक्षा कारणों से ताज का रात में खुलना बंद हो गया। 20 वर्ष बाद वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताज रात में खुलना शुरू हुआ।

फिर भी असली चमकी का दीदार नहीं

ताजमहल चमकी देखने को भले ही रात 8:30 से 12:30 बजे तक खुलता हो, लेकिन असली चमकी का दीदार पर्यटकों को नहीं हो पाता। दरअसल, चांद ताज के ठीक ऊपर करीब एक बजे आता है। तब तक स्मारक में कोई पर्यटक नहीं होता है। वहीं, पर्यटक वीडियो प्लेटफार्म से आगे नहीं जा पाते हैं। यह जगह मुख्य मकबरे से करीब 300 मीटर दूर है।

ताजगंज के होटलों में कराई बुकिंग

जिन पर्यटकों को ताज रात्रि दर्शन के टिकट नहीं मिल सके हैं, उन्होंने ताजगंज में ऐसे होटलों में बुकिंग कराई है। होटल के रूफटॉप से वो चमकी देखेंगे।

होटल में लगाना पड़ता था टैंट

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि वर्ष 1984 से पूर्व शरद पूर्णिमा पर 15 दिन तक होटल फुल रहते थे। शरद पूर्णिमा पर तीन दिवसीय उत्सव होता था। पर्यटक टिकट लेकर जाते थे और दिन के समान रात में भी भीड़ उमड़ती थी।

कभी रहता था मेले जैसा माहौल

शरद पूर्णिमा उस समय आगरा का बहुत बड़ा त्योहार हुआ करता था। ताज पर मुख्य मकबरे पर ऊपर तक लोगों को जाने की अनुमति होती थी। मुख्य मकबरे पर तीन जगह रेलिंग हटाकर लकड़ी की सीढि़यां बनाई जाती थीं। पुलिस-प्रशासन व्यवस्थाएं संभालता था। देर रात तक ताज खुलता था, जिससे दर्शक असली चमकी देख पाते थे।