छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: शरीर मरता है लेकिन आत्मा करीब पांच हजार साल में दूषित होती है। आत्मा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए योग-आध्यात्म व नैतिकता का होना जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्थाएं यह काम बखूबी कर रही हैं। यह निजी अनुभव भी है क्योंकि खुद इस संस्था से जुड़ी हूं। यह कहना था राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का। राज्यपाल जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज परिसर स्थित इंडोर स्टेडियम में शनिवार को कोल्हान विश्वविद्यालय व ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित मूल्य, योग और आध्यात्मिक शिक्षा पर शिक्षाविदों के सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा प्रारंभ कराई जाएगी ताकि झारखंड के विद्यार्थियों को संस्कारयुक्त शिक्षा दी जा सके। उनमें नकारात्मकता की भावना को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि आत्मा की पवित्रता के लिए मूल्य आधारित शिक्षा प्राप्त होना बेहद जरूरी है। सूबे के विश्वविद्यालयों में प्रजापति ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों को लागू किया जाएगा। नैतिक शिक्षा पर सरकार का भी फोकस है। शिक्षक भी इस ओर ध्यान दें। स्वागत भाषण कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ। शुक्ला माहांती ने दिया। संचालन अंजू बहन ने किया। मौके पर मुख्य रूप से कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ। रणजीत प्रसाद सिंह, रजिस्ट्रार डॉ। एसएन सिंह, प्रॉक्टर डॉ। एके झा, वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य डॉ। पूर्णिमा कुमार, विभिन्न कॉलेज व स्कूल के प्राचार्य सहित कई शिक्षक व छात्राएं उपस्थित थे।

शिक्षा ही चरित्र व राष्ट्र का निर्माण

शिक्षा एवं संबंधों का व्यवसायीकरण हो रहा है। यह आने वाले दिनों के लिए खतरे का संकेत है। इस व्यवसायीकरण को शिक्षाविद रोक सकते हैं। शिक्षाविदों को किसी भी व्यवस्था का गुलाम नहीं बल्कि स्वतंत्र होकर कार्य करना चाहिए। यह बातें शनिवार को जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में कोल्हान विश्वविद्यालय और ब्रह्मकुमारीज के संयुक्त तत्वाधान में मूल्य, योग और आध्यात्मिक शिक्षा पर शिक्षाविदों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रजापति ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रमुख एवं प्रशिक्षक राजयोगी मृत्युंजय भाई ने कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही चरित्र व राष्ट्र का निर्माण करता है। शिक्षक ही समाज सुधारक हैं। हमें आध्यात्मिक शिक्षा और योग के सहारे नकारात्मक चीजों को भगाना है। तभी युवकों को नकारात्मक सोच से छुटकारा मिलेगा। देश अपराध से मुक्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य में माताओं का अहम योगदान है, क्योंकि माताएं जो कर सकती हैं वह संसार में कोई दूसरा नहीं कर सकता। माताएं समाज और परिवार की जिम्मेदारी निभाती हैं। इसी तरह शिक्षक भी यह कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य का अपराधीकरण व शिक्षा का निजीकरण हो रहा है। इंसानों के बीच सांप्रदायिकता की भावना पैदा की जा रही है। शिक्षा का मतलब सिर्फ नौकरी नहीं है। हम इंसानों को शिक्षा देते हैं पर चेतना को जागृत करने का प्रयास नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार क्रोध होने पर आयु 12 घंटे कम हो जाती है। इन सभी से बचने के लिए कॉलेजों और स्कूलों में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय में थॉट लेबोरेटरी की स्थापना की गई है। यह काफी कारगर सिद्ध हो रही है।

बिना नैतिकता शिक्षा बेमतलब

मूल्य, योग और आध्यात्मिक शिक्षा द्वारा वैश्विक परिवर्तन विषय पर शनिवार को शिक्षाविदों के सम्मेलन में कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ शुक्ला मोहंती ने कहा कि बिना नैतिकता के शिक्षा बेकार है। हम अपने बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाएं तभी समाज में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज का यह कार्य काबिले तारीफ है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा और हमारे बच्चे मूल्य आधारित शिक्षा हासिल कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय में मूल्य आधारित शिक्षा पर एक विषय पढ़ाया जाता है। अब अलग से इसपर पाठयक्रम शुरू किया जाएगा।

जैसा सोचेंगे, वैसा ही बनेंगे

कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज के एजुकेशन विंग की एग्जीक्यूटिव मेंबर बीके सुप्रिया ने कहा कि जैसा हम सोचते हैं वैसे ही बनते हैं। आज सबसे अधिक नकारात्मकता छात्र जीवन में है। नकारात्मकता को दूर करने के लिए खुशियों की पहचान करनी होगी। सही दिशा में ऊर्जा लगानी होगी। इस दौरान उन्होंने ब्रह्माकुमारीज द्वारा तैयार थॉटलैब के बारे में प्रेजेंटेशन दिया।

कराया गया मेडिटेशन

सम्मेलन के दौरान ब्रह्माकुमारीज जमशेदपुर की प्रमुख अंजु बहन ने पांच मिनट के मेडिटेशन का अभ्यास कराया। इसमें राज्यपाल, कुलपति से लेकर जिला प्रशासन के पदाधिकारी, विभिन्न कॉलेजों से आए प्रिंसिपल, शिक्षक व बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। दूसरे सत्र में प्लेनरी सेशन, वेलेडिक्टरी सेशन का आयोजन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में छात्राएं शामिल हुईं।