फरवरी में लिया गया था सैंपल, पेट के इंफेक्शन में होता है दवा का इस्तेमाल

छह माह में दो अन्य दवाएं भी हुई थी फेल, दिए गए जांच के आदेश

ALLAHABAD: सावधानन! मेडिकल स्टोर्स में बिकने वाली दवाओं से होशियार रहिए। यह नकली भी हो सकती हैं। पिछले छह माह में लगातार तीसरा ऐसा मामला सामने आया है। इस बार पेट के इंफेक्शन में खाई जाने वाली दवा नारमेट्रोजिल का सैंपल फेल हो गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद विभागीय अधिकारियों में खलबली मची हुई है। मामले की तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं।

तीन माह बाद आया रिजल्ट

नैनी के रचित मेडिकल स्टोर से दवा का सैंपल फरवरी में लिया गया था। हाल ही इसकी जांच रिपोर्ट आई है, जिसमें दवा का सैंपल फेल पाया गया है। नारमेट्रोजिल नामक इस दवा में शामिल मेट्रोनिडाजोल 100 की जगह 8.6 एमजी और नारफ्लाक्सासिन भी 100 की जगह महज 17 एमजी पाई गई है। ऐसी हालत में रोगी को दवा का जरा भी असर नही होता है और पूरे दाम देने के बाद भी बीमारी ठीक नही होती।

कंपनी की जांच को रवाना होगी टीम

दवा की मैनुफैक्चरिंग देहरादून की हेमा लेबोरेटरी में की गई है। अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल स्टोर की जांच के साथ इस कंपनी की पड़ताल के लिए भी टीम को रवाना किया जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ मुकदमा कायम किया जाएगा। बताया गया कि नकली दवा के मामले में सात साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान रखा गया है।

केस नंबर एक

वामिनिल एमडी टेबलेट का सैंपल फेल पाया गया था। इसका निर्माण हिमाचल प्रदेश की जैक्सन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड ने किया है। दवा का सैंपल धूमनगंज के केसरी केमिस्ट से लिया गया था। जांच में पाया गया कि यह दवा पेट में जाने के बाद घुलती नही थी। इसका डीटी लेवल निल था।

केस नंबर दो

बालसन चौराहे के गोल्डन मेडिकल स्टोर से महासेफ दवा का सैंपल लिया गया था। जांच में पाया गया कि इसमें शामिल सिफ्लेक्सिन और ओफ्लाक्सिन का स्तर मानक से काफी कम है। दवा का निर्माण हिमाचल प्रदेश के सिरमौर स्थित रिलैक्स फार्मास्युटिकल्स ने किया था।

बिल नही दे पाया है दुकानदार

जानकारी के मुताबिक नैनी स्थित मेडिकल स्टोर का संचालक फेल पाई गई दवा का सैंपल पेश नही कर पाया है। इस लेवल पर भी जांच की जाएगी। जहां पूरे देश में दवाओं के सैंपल फेल पाए जा रहे हैं, ऐसे में यह मामला अपने आप में संगीन है।

सैंपल फेल होने के बाद मामले की जांच की जा रही है। इसके बाद मुकदमा कायम कराया जाएगा। हमारी ओर से लगातार दवाओं का सैंपल जांच के लिए भेजा जा रहा है।

केजी गुप्ता,

असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर, इलाहाबाद मंडल