श्री श्री रविशंकर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कथित मुहिम की शुरूआत 7 नवम्बर को यूपी के जौनपुर जिले से कर दी है. माना जा रहा है कि बाबा रामदेव की यूपी विजिट के बाद चुनावों से पहले उनकी यह मुहिम पालिटिकली मोटीवेटेड है. रविशंकर 7 से 10 नवम्बर तक अपने इस दौरे में जौनपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, सुल्तानपुर,अमेठी, कानपुर समेत यूपी के दस जिलों का दौरा करेंगे. आइये जानते हैं कि रविशंकर कैसे बने श्री श्री रविशंकर.
नाम है शंकराचार्य से inspired
श्री श्री का नाम आदि शंकराचार्य से प्रेरित होकर रखा गया था. उनके पिता ने उनका नाम रखा शंकर रखा था. रवि शंकर तमिलनाडु को बिलांग करते हैं. शंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे. कहा जाता है कि उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था. अपनी विद्वता के कारण शंकर महेश योगी के फेवरेट बन गये उन्होंने अपने नाम रवि शंकर के आगे ‘श्री श्री’ जोड़ लिया था.
बचपन में थे काफी intelligent
माना जाता है कि शंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे. जब वे केवल चार साल के थे वे भगवदगीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे. बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था. उनके फालोअर्स की मानें तो 17 साल की उम्र में ही उन्होने फीजिक्स में एडवांस्ड डिग्री ले ली थी.
Ravi Shankar पर controversy
जब उन्होंने अपने नाम रवि शंकर के आगे ‘श्री श्री’ जोड़ लिया जब फेमस सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया था कि श्री श्री उनकी पापुलैरिटी का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सुदर्शन क्रिया
रवि शंकर की सुदर्शन क्रिया लोगों के बीच काफी पापुलर हुई. श्री श्री के फालोअर्स बताते हैं कि 1982 में दस दिनों के मौन के दौरान कर्नाटक की भद्रा नदी के किनारे लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्तपन्न हुई. उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया. इस तरह सुदर्शन क्रिया वर्ल्ड पापुलर हो गई.
जो लोग सुदर्शन क्रिया सीखने की इच्छा जताते हैं उन्हें एक एग्रीमेंट पर सिग्नेचर करना पड़ता है कि वे सुदर्शन क्रिया को किसी दूसरे इंसान को नहीं बताएंग. सुदर्शन क्रिया सीखना काफी मंहगा है. इसे सिखाने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है. अमेरिका में पर पर्सन से 375 डालर लिये जाते हैं.
आर्ट आफ लिविंग
1982 में में श्री श्री रवि शंकर ने आर्ट आफ लिविंग की स्थापना की. यह एजूकेशन और ह्यूमैनिटी के प्रचार प्रसार के लिए काम करती है. आर्ट आफ लिविंग के सेंटर्स दुनियाभर के 150 से भी ज्यादा देशों में हैं. रविशंकर को आर्ट आफ लिविंग में उनकी चेन मार्केटिंग स्टाइल के लिये काफी क्रिटिसाइज भी किया जाता है.
International fame
श्री श्री ने 1997 में ‘इंटरनेशनल एसोसियेशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की. उनके मुताबिक इसके जरिये वे ग्लोबली उन वैल्यूज को फैला रहे हैं जो लोगों को आपस में जोड़ती है.
उनकी संस्था के लोगों ने सुनामी और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के समय लोगों की काफी मदद की. प्रिजनर्स के वेलफेयर के लिए भी संस्था ने काफी सारे काम किये हैं.
थोड़ा social थोड़ा political
ईराक पर अमेरिकी हमला हो या दिल्ली के रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रोटेस्ट, श्री श्री के बयान लगभग हर पालिटिकल मुद्दे पर आ ही जाते हैं. यही वजह है कि उनको अध्यात्म के नाम पर पालिटिक्स करने के लिये क्रिटिसाइज किया जाता है. कांग्रेस का एक धड़ा उन्हे आरएसएस का मुखौटा भी बताता है.
- 2001 में जब टेररिस्ट्स ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया तो आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन ने पूरे न्यूयार्क के लोगों के फ्री में स्ट्रेस मैनेजमेंट के कोर्सेज करवाये.
- उनकी संस्था ने कोसोवो में वार इफेक्टेड लोगों के लिए एक सपोर्ट कैम्प भी लगाया था.
- इराक में 2003 में वार के स्ट्रेस से लोगों को बचाने के लिये उन्होने कैम्प लगाया था. वहां के पीएम के इनविटेशन पर श्री श्री वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की थी.
- 2004 में पाकिस्तान के कई लीडर्स से विश्व शांति स्थापना के लिये मिले थे.
- श्री श्री ने रामजन्मभूमि मसले पर भी हिन्दू और मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की थी.
- बाबा रामदेव से उनके आमरण अनशन को तोड़ने की अपील भी श्री श्री रविशंकर ने ही की थी.
- रामलीला मैदान में चल रहे अन्ना हजारे के मूवमेंट में रविशंकर ने खुलकर टीम अन्ना का साथ दिया था.
Science और philosophy साथ साथ
रविशंकर की फिलास्फिकल एप्रोच काफी साइंटिफिक मानी जाती है. वे साइंस और आध्यात्म को एक-दूसरे का विरोधी नहीं, बल्कि काम्प्लीमेंट्री मानते हैं. उनके मुताबिक वे एक ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें रहने वाले लोग ज्ञान से परिपूर्ण हो ताकि वे स्ट्रेस और वायलेंस से दूर रह सकें .