- एसआरएन हॉस्पिटल के 50 फीसदी डॉक्टर छुट्टी पर

- 15 मई से 15 जुलाई के बीच मिलती है दो महीने की समर वैकेशन

- डॉक्टर नहीं मिलने से कम हो गए चालीस फीसदी मरीज, पेंडिंग हो गए सर्जरी केसेज

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- क्भ् मई से क्भ् जुलाई के बीच मिलती है दो महीने की समर वैकेशन

- डॉक्टर नहीं मिलने से कम हो गए चालीस फीसदी मरीज, पेंडिंग हो गए सर्जरी केसेज

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: लौट आइए डॉक्टर साहब। मरीजों को आपकी जरूरत है। किसी की सर्जरी होनी है तो कोई इलाज के लिए आपकी सलाह चाहता है। सभी आपका इंतजार कर रहे हैं। ये हालात एसआरएन हॉस्पिटल के हैं। समर वैकेशन मनाने गए डॉक्टर्स की नामौजूदगी से रीजन के इस सबसे बड़े हॉस्पिटल के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों के छुट्टियों पर चले जाने से ओपीडी से सर्जरी तक सभी सुविधाओं पर लगभग विराम सा लग गया है।

बारी-बारी से जाते हैं छुट्टी पर

एसआरएन हॉस्पिटल के डॉक्टर्स को हर साल नियमानुसार 15 मई से 15 जुलाई के बीच दो महीने की समर वैकेशन दी जाती है। सभी डॉक्टर्स एक-एक महीने के लिए बारी-बारी से छुट्टियों पर जाते हैं। इस समय हालात ये हैं कि हॉस्पिटल की सुविधाएं लगभग पटरी से उतर चुकी हैं। न तो प्रॉपर ओपीडी रन हो रही है और न ही डिमांड की अपेक्षा सर्जरी हो पा रही है।

40 फीसदी घट गई ओपीडी

ओपीडी में डॉक्टर्स को न पाकर मरीज लगातार लौट रहे हैं। इसके चलते केवल जून में आने वाले मरीजों की संख्या घटकर 60 फीसदी हो गई है। इसके उलट शहर के दूसरे बड़े सरकारी हॉस्पिटल्स में भीड़ बढ़ती जा रही है। वर्तमान में लगभग 120 डॉक्टर्स तैनात हैं। इनमें पचास फीसदी इस समय छुट्टी पर चल रहे हैं। इनके ओपीडी में नहीं होने से यह सिचुएशन पैदा हो रही है। आंकड़ों पर जाएं तो जून में एसआरएन हॉस्पिटल आने वाले सामान्य मरीजों की संख्या 30058 रही है। इमरजेंसी में 2446 और इनडोर में 2268 मरीजों की संख्या दर्ज है, जो कि आम दिनों के मुकाबले काफी कम है।

एक वीक तक पेंडिंग हो गई सर्जरी

ओपीडी के अलावा सर्जरी के केसेज भी बीते दो महीनों में एक वीक तक पेंडिंग हो गए हैं। ओटी में सर्जन और एनेस्थीसिया के डॉक्टर्स की कमी होने से सीमित केसेज ही हैंडिल हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक हॉस्पिटल की कुल पांच ओटी में सामान्य दिनों में पर डे 40 से 50 सर्जरी की जाती हैं लेकिन 15 मई के बाद से इनकी संख्या घटकर 20 से 30 रह गई हैं। बता दें कि इस समय सर्जरी विभाग के 17 डॉक्टर्स में से 9 समर वैकेशन पर हैं। डॉक्टर्स की कमी से हेपेटाइटिस और एचआईवी के कुछ मरीजों की सर्जरी भी 16 जुलाई तक टाल दी गई है।

आखिर कहीं तो जाएंगे मरीज

एसआरएन हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की कमी का इफेक्ट शहर के दूसरे सरकारी हॉस्पिटल्स पर पड़ रहा है। मौजूदा सीजन में डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, वायरल फीवर और फूड प्वाइजनिंग आदि इंफेक्टेड बीमारियों के मरीज डायवर्ट होकर बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल का रुख कर रहे हैं। यही कारण है कि मई और जून में अचानक यहां आने वाले मरीजों की संख्या दो से बढ़कर पर डे तीन हजार तक पहुंच चुकी है।

<लौट आइए डॉक्टर साहब। मरीजों को आपकी जरूरत है। किसी की सर्जरी होनी है तो कोई इलाज के लिए आपकी सलाह चाहता है। सभी आपका इंतजार कर रहे हैं। ये हालात एसआरएन हॉस्पिटल के हैं। समर वैकेशन मनाने गए डॉक्टर्स की नामौजूदगी से रीजन के इस सबसे बड़े हॉस्पिटल के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों के छुट्टियों पर चले जाने से ओपीडी से सर्जरी तक सभी सुविधाओं पर लगभग विराम सा लग गया है।

बारी-बारी से जाते हैं छुट्टी पर

एसआरएन हॉस्पिटल के डॉक्टर्स को हर साल नियमानुसार क्भ् मई से क्भ् जुलाई के बीच दो महीने की समर वैकेशन दी जाती है। सभी डॉक्टर्स एक-एक महीने के लिए बारी-बारी से छुट्टियों पर जाते हैं। इस समय हालात ये हैं कि हॉस्पिटल की सुविधाएं लगभग पटरी से उतर चुकी हैं। न तो प्रॉपर ओपीडी रन हो रही है और न ही डिमांड की अपेक्षा सर्जरी हो पा रही है।

ब्0 फीसदी घट गई ओपीडी

ओपीडी में डॉक्टर्स को न पाकर मरीज लगातार लौट रहे हैं। इसके चलते केवल जून में आने वाले मरीजों की संख्या घटकर म्0 फीसदी हो गई है। इसके उलट शहर के दूसरे बड़े सरकारी हॉस्पिटल्स में भीड़ बढ़ती जा रही है। वर्तमान में लगभग क्ख्0 डॉक्टर्स तैनात हैं। इनमें पचास फीसदी इस समय छुट्टी पर चल रहे हैं। इनके ओपीडी में नहीं होने से यह सिचुएशन पैदा हो रही है। आंकड़ों पर जाएं तो जून में एसआरएन हॉस्पिटल आने वाले सामान्य मरीजों की संख्या फ्00भ्8 रही है। इमरजेंसी में ख्ब्ब्म् और इनडोर में ख्ख्म्8 मरीजों की संख्या दर्ज है, जो कि आम दिनों के मुकाबले काफी कम है।

एक वीक तक पेंडिंग हो गई सर्जरी

ओपीडी के अलावा सर्जरी के केसेज भी बीते दो महीनों में एक वीक तक पेंडिंग हो गए हैं। ओटी में सर्जन और एनेस्थीसिया के डॉक्टर्स की कमी होने से सीमित केसेज ही हैंडिल हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक हॉस्पिटल की कुल पांच ओटी में सामान्य दिनों में पर डे ब्0 से भ्0 सर्जरी की जाती हैं लेकिन क्भ् मई के बाद से इनकी संख्या घटकर ख्0 से फ्0 रह गई हैं। बता दें कि इस समय सर्जरी विभाग के क्7 डॉक्टर्स में से 9 समर वैकेशन पर हैं। डॉक्टर्स की कमी से हेपेटाइटिस और एचआईवी के कुछ मरीजों की सर्जरी भी क्म् जुलाई तक टाल दी गई है।

आखिर कहीं तो जाएंगे मरीज

एसआरएन हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की कमी का इफेक्ट शहर के दूसरे सरकारी हॉस्पिटल्स पर पड़ रहा है। मौजूदा सीजन में डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, वायरल फीवर और फूड प्वाइजनिंग आदि इंफेक्टेड बीमारियों के मरीज डायवर्ट होकर बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल का रुख कर रहे हैं। यही कारण है कि मई और जून में अचानक यहां आने वाले मरीजों की संख्या दो से बढ़कर पर डे तीन हजार तक पहुंच चुकी है।

Fact file

Fact file

जून में एसआरएन हॉस्पिटल में आए सामान्य मरीजों की संख्या- फ्00भ्8

इमरजेंसी में आए मरीजों की संख्या- ख्ब्ब्म्

इनडोर मरीजों की संख्या- ख्ख्म्8

यह तो गवर्नमेंट का नियम है। हर साल एक-एक महीने के लिए आधे-आधे डॉक्टर्स को समर वैकेशन दी जाती है। ऐसे में क्राइसिस तो है लेकिन केसेज को हैंडिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। क्म् जुलाई के बाद सभी डॉक्टर्स मौजूद रहेंगे।

डॉ। मंगल सिंह, एसआईसी, एसआरएन हॉस्पिटल