एसएससी ने कांस्टेबल जीडी 2011 को लेकर हो रहे प्रदर्शन को बताया अनुचित

कहा, गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप तैयार किया गया था परिणाम

कांस्टेबल जीडी की 2012, 2013 एवं 2015 परीक्षा भी हो चुकी है सम्पन्न

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) के कांस्टेबल जीडी एग्जाम 2011 के अंतिम परिणाम पर चयन से वंचित छात्रों के आंदोलन को कड़ा झटका लगा है। एसएससी ने मेडिकली फिट अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग को अनुचित एवं अमान्य करार दे दिया है। यह सूचना एसएससी सेंट्रल रीजन के डिप्टी डायरेक्टर की ओर से क्षेत्रीय निदेशक जेपी गर्ग की सहमति से जारी की गई है। उधर, एसएससी ऑफिस पर अभ्यर्थियों की भूख हड़ताल लगातार तीसरे दिन भी जारी रही।

नवम्बर 2011 को आया था विज्ञापन

एसएससी सेंट्रल रीजन के डिप्टी डायरेक्टर की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि 28 नवम्बर 2011 को प्रकाशित कांस्टेबल जीडी एग्जाम 2011 के अंतिम परिणाम के आलेख पैरा 04 में लिखा है कि अंतिम परिणाम गृह मंत्रालय के परामर्श से तैयार किया गया है। पैरा 04 के सब पैरा वन में लिखा है कि चयनित सूची राज्यवार रिक्तियों के आधार पर तथा पुन: उस राज्य के सीमावर्ती जिले/नक्सल प्रभावित जिले के अभ्यर्थियों को आरक्षण के आधार पर तैयार किया गया है।

नक्सली एरिया के नहीं भरे पद

एसएससी ने स्पष्ट किया है कि पैरा 04 के सब पैरा दो में लिखा है कि गृह मंत्रालय की सलाह पर बार्डर वाले राज्य जम्मू व कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एवं नक्सल व उग्रवाद प्रभावित राज्य आन्ध्र प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के रिक्त पदों को अधिकता वाले राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों के अभ्यर्थियों द्वारा नहीं भरा गया है।

यहां खाली रह गए पद

इसी आलेख के पैरा सात की टिप्पणी में बताया गया है कि उत्तर पूर्वी राज्यों, जम्मू व कश्मीर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र की 28,044 रिक्तियां शेष रह गई हैं। जिसमें बीएसएफ की 10,869, सीआईएसएफ की 3107, सीआरपीएफ की 6343 एवं एसएसबी की 7725 रिक्तियां शामिल हैं। बताया गया है कि सर्वप्रथम प्रकाशित उक्त परिणाम के बाद एक समेकित परिणाम एक अगस्त 2013 को जारी किया गया। यह परिणाम दिल्ली उच्च न्यायालय के रिट संख्या 6961/2012 द्वारा पारित आदेश दिनांक पांच नवम्बर 2012, रिट संख्या 6911/2012 में पारित आदेश दिनांक सात नवम्बर 2012 एवं रिट संख्या 7651/2012 में पारित आदेश दिनांक 14 फरवरी 2012 के अनुपालन में जारी किया गया।

हर परिणाम में बरकरार रहा प्राप्तांक

हाईकोर्ट के आदेश पर जारी परिणाम में कुल उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या 57,751 थी। पुरुष की चयनित सूची में 48,132 अभ्यर्थी एवं रिजर्व लिस्ट में 8574 तथा महिला चयनित सूची में 930 एवं रिजर्व लिस्ट में 115 शामिल थे। आयोग ने कहा है कि राज्यवार, श्रेणीवार, क्षेत्रवार अन्तिम उत्तीर्ण अभ्यर्थी के प्राप्तांक को हर परिणाम में बरकरार रखा गया है। इसे कभी भी परिवर्तित एवं कम नहीं किया गया। आयोग के डिप्टी डायरेक्टर ने साफ किया है कि 2011 के बाद, 2012 एवं 2013 एवं 2015 की परीक्षा सम्पन्न हो चुकी हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों में कोई सच्चाई नहीं है। अत: यह मांग कि 2011 के सभी मेडिकल फिट अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाए। सर्वथा अनुचित एवं अमान्य है।

बीमारों की संख्या हुई छह

वहीं, आयोग के दावों के उलट अपनी मांगों को लेकर सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी लाउदर रोड स्थित एसएससी कार्यालय पर लगातार तीसरे दिन भी अनशन पर डटे रहे। थर्सडे को अनशन स्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों में बीमार पड़ने वालों की संख्या बढ़कर छह पहुंच गई। सुनील कुमार एवं हरिशंकर का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। इससे पहले अश्वनी मिश्रा, अमरनाथ, यशवंत कुमार एवं योगेन्द्र सिंह की भी हालत बिगड़ चुकी है। प्रदर्शन में शामिल छात्रों को आम आदमी पार्टी की पूनम पांडेय एवं अपना दल की सदस्य मधु पटेल ने पहुंचकर समर्थन दिया। आंगनबाड़ी की महिला अध्यक्ष उर्मिला सिंह भी पहुंची थीं।

क्या हैं छात्रों के आरोप

72 हजार से ज्यादा पद थे विज्ञापन में शामिल

कट ऑफ मेरिट से कम वालों का भी हुआ है चयन

जबकि अधिक नम्बर वाले हुए हैं चयन से बाहर

खाली हैं पद तो मेडिकली फिट छात्रों की उपलब्धता के बाद भी क्यों नहीं किया जा रहा उन्हें कंसीडर

नक्सल व बॉर्डर एरिया के खाली पदों पर दूसरे राज्यों के क्वालीफाइड स्टूडेंट्स का किया जाए चयन

विज्ञापन में उल्लिखित कई प्राविधानों का किया गया है उल्लंघन

अभ्यर्थियों ने चयन में की गई मनमानी में एसएससी के अफसरों की भूमिका बताई है संदिग्ध