ऐसी है जानकारी
गौरतलब है कि पुष्कर मेला राजामुंद्री में गोदावरी नदी के तट पर ही आयोजित किया जाता है। इस साल भी इस मेले का आयोजन काफी धूमधाम के साथ किया गया। मेले में मंगलवार की सुबह भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचे थे। अभी फिलहाल भगदड़ के कारणों का पता नहीं चल पाया है। लोग अभी घायलों को प्रारंभिक उपचार देकर पास के अस्पताल में भर्ती कराने में लगे हुए हैं।
चंद्रबाबू नायडू ले रहे हैं स्थिति का जायजा
इस भ्रगदड़ को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि वह बराबर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। इसी के साथ ही मेले में तैनात अफसरों को हर पल मुस्तैद रहने को कहा गया है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन दोनों की टीम मौके पर पहुंच गई है। मौके पर मौजूद सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करें तो अभी मरने वालों की संख्या का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
144 साल में एक बार आता है ऐसा संयोग
इस मेले की सबसे बड़ी खासियत के बारे में बात करें तो ये 144 साल में एक बार होता है। मंगलवार को यहां गोदावरी तट पर इतनी बड़ी तादाद में पहुंचे श्रद्धालु 144 साल में एक बार होने वाले 'गोदावरी महा पुष्करालु' में शामिल होने के लिए आए थे। ये मेला भी कुंभ मेले की तर्ज पर 12 दिन तक चलता है। इसमें हिस्सा लेने वाले ज्यादातर लोग तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के होते हैं। इसी के साथ ये मेला महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ से गुजरकर आंध्र प्रदेश तक जाने वाली 1465 किमी लंबी गोदावरी नदी के तट पर होता है। पिछली बार ऐसा मेला 2003 में राजामुंद्री में लगा था। वह सिर्फ 'पुष्करालु' मेला था। इस बार ये मेला 144 साल बाद बने बृहस्पति (ज्यूपिटर) के सिंह (लिओ) राशि में प्रवेश के संयोग के कारण 'गोदावरी महा पुष्करालु' बनकर आया है।
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