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KANPUR : सुपम महेश्वरी ने डेल्ही कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद आईआईएम-अहमदाबाद से मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इंटरेस्टिंग बात ये है कि आईआईएम से पढ़ाई करने के बाद जहां सभी ग्रेजुएट्स ए-क्लास जॉब करने लगते हैं, सुपम ने सीधे ऑन्त्रप्रेन्योरशिप में कदम रखा। फर्स्ट क्राय शुरू करने से पहले उन्होंने साल 2000 में ब्रेनवीजा टेक्नोलॉजीस नाम की लर्निंग सॉल्यूशंस प्रोवाइड करने वाली एप को डेवलप किया पर फिर 2007 में उन्होंने  इसे 25 मिलियन डॉलर्स में बेच दिया। बेबी और किड्स इंडस्ट्री को लेकर जब सुपम ने रिसर्च की तो उन्हें पता चला कि इस इंडस्ट्री में करीब 50,000 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। इतना ही नहीं, इंपॉर्टेंट प्वॉइंट ये था कि ये इंडस्ट्री 95 परसेंट तो ऑफलाइन ही है। यानि इसके ऑनलाइन सेक्शन में काफी स्कोप था।

बेटी बनी इंस्पिरेशन

ब्रेनवीजा को लीड करने के दौरान सुपम पहली बार पिता बने और तब उन्हें काम के सिलसिले में यूएस और यूरोप में काफी ट्रैवल करना पड़ता था। वो अपनी बेटी के लिए कई सारे क्वॉलिटी प्रोडक्ट्स इन देशों से लेकर आते थे। लेकिन ब्रेनवीजा को छोडऩे के बाद जब वो इंडिया में पूरी तरह से रहने लगे और उन्होंने अपनी बेटी के लिए इंडिया में उस तरह के क्वॉलिटी प्रोडक्ट्स ढूंढे तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ये वही वक्त था जब सुपम को लगा कि बेबी प्रोडक्ट्स के सेक्टर में काफी अपाॅर्च्युनिटीज हैं।

'बेबी' स्टेप हो गया बिग

इसके अलावा उन्हें रिएलाइज हुआ कि ये इंडस्ट्री काफी अनऑर्गनाइज्ड थी और इंडिया में गुड क्वॉलिटी और वल्र्ड क्लास ब्रांडेड किड्स प्रोडक्ट्स की भी बहुत कमी थी। अगर ये अवेलेबल भी थे तो बेहद लिमिटेड जगहों पर। फिर सुपम ने डिसाइड किया कि वो इसी सेक्टर में आगे बढ़ेंगे। वो एक  ऐसा प्लेटफॉर्म क्रिएट करना चाहते थे, जहां बच्चों की जरूरत के सभी सामान आसानी से लोगों को मिल जाएं, और सिर्फ प्रोडक्ट्स नहीं, टॉप क्वॉलिटी प्रोडक्ट्स। जब सुपम ने अपने प्लान को अच्छे से फिगरआउट कर लिया, तब इस प्लान को उन्होंने अपने ब्रेनवीजा के कलीग अमिताव साहा के साथ डिसकस किया। फिर पर्सनल सोर्स, फ्रेंड्स और फैमिली से जुटाए गए 2।5 करोड़ रुपए से बे्रनबीस सॉल्यूशंस नाम की कंपनी खोली और इसी के अंडर में साल 2010 में फर्स्ट क्राय को लॉन्च कर दिया।

सक्सेसफुल हुआ इनोवेटिव कॉन्सेप्ट

क्योंकिफर्स्ट क्राय अपने आपमें एक डिफरेंट कॉन्सेप्ट था इसलिए पहली ही नजर में ये लोगों को पसंद आने लगा। लेकिन इस ग्रोथ का सबसे इंपॉर्टेंट आस्पेक्ट था सुपम की लीडरशिप। सुपम का मानना है कि आप वक्त के साथ एक्सपीरियंस गेन करते हैं जो आपको थॉट्स के लेवल पर रिच बनाता है। उनका मानना है कि इंटर्नली एक बेहतरीन वर्क कल्चर बनाना और कॉस्ट-एफीशिएंट तरीके से बिजनेस को चलाना ही बिजनेस को सक्सेसफुल बनाता है। सुपम महेश्वरी के बारे में कहा जाता है कि वो ऐसे लीडर हैं जो अपने टार्गेट्स को अचीव करने के लिए हर कलीग से पर्सनली डिसकशन करते हैं।फर्स्ट क्राय को एशिया का सबसे बड़ा किड्स स्टोर बनाने के लिए उन्होंने महिंद्र के बेबी ओए के साथ भी हाथ मिला लिया। ऑनलाइन बिजनेस के सक्सेसफुल होते ही उन्होंने गुडलाइफ डॉट कॉम की शुरुआत की ताकि वो अपने कस्टमर्स को रीटेन कर सकें। यह पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स सेल कर रही थी। फिर उन्होंने कुछ शहरों में फर्स्ट क्राय के ऑफलाइन स्टोर्स की भी शुरुआत कर दी।

फेस किया लॉस भी

फंड रेज करने में और बिजनेस को एक्सपैंड करने में सुपम को कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। उन्हें गुडलाइफ डॉट कॉम को बंद करना पड़ा। लेकिन अपनी सुपर्ब बिजनेस स्ट्रैटजीस से सुपम ने अपने बिजनेस को हमेशा बेहतर बनाया।

स्टार्टअप आइडिया

घर पर एंटीबायोटिक फ्री मीट की डिलीवरी

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आज की डेट में ऑलमोस्ट सबकुछ अवेलेबल है। आपकी जरूरत का हर सामान। ऐसा ही है फे्रश टू होम, एक ऑनलाइन पोर्टल जो आपके घर तक फे्रश मीट प्रोवाइड करता है...

सी फूड और मीट के लिए बेंगलुरु बेस्ड ऑनलाइन मार्केट प्लेस फे्रश टू होम अपने आपमें एक यूनीक स्टोर है जो एक क्लिक पर लोगों को फे्रश मीट प्रोवाइड करता है। अगस्त 2015 में शान कादाविल और मैथ्यू जोसेफ ने मिलकर फे्रश टू होम को लॉन्च किया। इस स्टार्टअप की खास बात ये है कि यह लोगों को एंटीबायोटिक फ्री चिकन, मीट और सी-फूड प्रोवाइड करता है।

ऐसे आया आइडिया

शान को फिश करी और चावल बेहद पसंद है। एक बार उन्होंने फिश करी के लिए फिश अपने रेग्युलर वेंडर की बजाय दूसरे ट्रेडर से ली लेकिन उसकी स्मेल अच्छी नहीं थी। वहीं से उन्हें आइडिया आया कि क्यों न लोगों को एंटीबायोटिक फ्री पोल्ट्री प्रोडक्ट्स प्रोवाइड किया जाया। उन्हें साथ मिला मैथ्यू का जो ट्रेडिशनल फिश एक्सपोर्टर फैमिली से बिलॉन्ग करते थे। उन्होंने देखा कि फिशिंग और मीट का बड़ा हिस्सा तो एक्सपोर्ट हो जाता है। इसे देखते हुए उन्होंने इस सेक्टर में ऑनलाइन होम सप्लाई की अपाॅर्च्युनिटी तलाशी और शुरू किया फे्रश टू होम।

हो रहा एक्पैंशन

बेंगलुरु बेस्ड ये पोर्टल करेंटली बेंगलुरु, दिल्ली, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में अपनी सर्विसेज दे रहा है। बेंगलुरु में तो ये 100 से भी ज्यादा जगहों पर मीट सप्लाई करता है। फिलहाल इसके पास 25,000 से भी ज्यादा कंज्यूमर्स हैं और ये अपनी सर्विसेज दूसरे शहरों में भी एक्सपैंड करने की तरफ आगे बढ़ रहा है।

QnA

मैं आपसे जानना चाहता हूं कि इनवेस्टर्स स्टार्टअप्स में वैल्यू कैसे एड कर सकते हैं?

- आदित्य सिंघल

इनवेस्टर्स बेसिकली वेंचर कैपिटलिस्ट्स होते हैं जो किसी भी स्टार्टअप में कई तरह से वैल्यू एड कर सकते हैं। ये कुछ तरीके हैं जिनसे इनवेस्टर्स वैल्यू एड

करते हैं...

स्टेकहोल्डर मैनेजमेंट- इसमें इनवेस्टर्स कंपनी बोर्ड और लीडरशिप को मैनेज करते हैं ताकि स्टार्टअप का ऑपरेशन स्मूद तरीके से हो सके। इसके साथ ही वो किसी भी स्टार्टअप को एक विजन और डायरेक्शन देने में भी हेल्प करते हैं।

फंड रेजिंग- इनवेस्टर्स फंड रेज करने के मामले में स्टार्टअप्स के लिए बेस्ट गाइड होते हैं। ये फाउंडर्स को नेटवर्क और कनेक्शन क्रिएट करने में और इनवेस्टर्स को पिच करने में हेल्प करते हैं।

टैलेंट रिकू्रटमेंट- कुछ इनवेस्टर्स नए स्टार्टअप्स को हाई क्वॉलिटी और बेस्ट-फिट ह्यूमन कैपिटल सोर्स करने में भी हेल्प करते हैं। इसका फायदा ये होता है कि लीडिंग पोजीशंस पर टैलेंटेड परसॉनेल्स का रिकू्रटमेंट होता है जो स्टार्टअप को आगे तक ले जाने में हेल्प करते हैं।

बेटर मार्केटिंग- ये स्टार्टअप्स के लिए मार्केटिंग स्ट्रैटजी भी क्रिएट करते हैं ताकि वो सही चैनल और फॉर्मेट में अपने प्रोडक्ट या सर्विस की मार्केटिंग कर पाएं।

Quick Guide

लॉजिस्टिक्स का हो प्लान

ज्यादातर केसेज में देखा गया है कि स्टार्टअप्स जब अपना काम शुरू करते हैं और अगर वो फेल होता है तो उसमें लॉजिस्टिक्स का एक बड़ा पार्ट होता है। एक्सपट्र्स मानते हैं कि जब तक कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस उसके टार्गेट यूजर्स तक सही टाइम और ईजी चैनल के थ्रू नहीं पहुंचती, वो सक्सेसफुल नहीं हो सकती है इसलिए लॉजिस्टिक्स एक स्टार्टअप का सबसे इंपॉर्टेंट पार्ट है। इसके लिए जरूरी है कि एक स्ट्रॉन्ग नेटवर्क चैनल क्रिएट किया जाए और उन कंपनीज को अप्रोच किया जाए जो रीजनेबल रेट पर टाइमली सर्विसेज प्रोवाइड करती हों। साथ ही यहां ये भी देखने वाली बात होती है कि आपके स्टार्टअप का ज्यादा हिस्सा लॉजिस्टिक्स पर खर्च न हो क्योंकि ये डेफिनेटली आपके प्रॉफिट पर असर डालेगा।

'डिस्काउंट' से बना प्रॉफिटेबल बिजनेस

आसान नहीं थी इस शो की 'बुकिंग'

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