भूख से लड़ाई! और इन्‍होंने दी भूख से मर रहे इस बच्‍चे को जिंदगी
साल 2016 में ये नाइजीरियन बच्चा कुपोषण की हालत में मिला था। उसकी फैमिली उसका पालन पोषण करने में भी समर्थ नहीं थी। कहा जाता है उम्मीद ही इंसान को जिंदा रखती है। कुछ ऐसा ही इस बच्चे के साथ भी हुआ।

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अफ्रीका पहुंची एक डेनिस महिला एंजा रिंग्रेन लोवीन को ये बच्चा मिला। लोवीन ने सबसे पहले उसे अपने हाथों से पानी पिलाया। बच्चा कई दिनों से भूखा था। उसके शरीर की हड्डियां भी नजर आने लगी थीं।

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एंजा ने उसके परिवार से बच्चे को गोद लेना ही ठीक समझा। एंजा ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में 30 जनवरी 2016 को लिखा था कि वो एक रेसक्यू मशिन पर अपनी नाइजीरियन टीम के साथ गईं थीं।

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रेसक्यू मिशन के दौरान एंजा ने उस बच्चे को देखा और उनकी ममता छलक उठी। एंजा ने लिखा कि इस बच्चे का नाम होप है। और होप अब स्कूल जाने के लिये तैयार हो चुका है। जब एंजा को होप मिला था उस समय उसकी हालत बहुत गंभीर थी।

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उसने कई दिनो से कुछ खाया पिया नहीं था। एंजा ने सबसे पहले उसे पानी पिलाया। फिर उसे नहलाया। कई दिनो तक होप का मेडिकल ट्रीटमेंट चला था। जिसके बाद वो खुद को रिकवर कर पाया। होप के शरीर में खाने की कमी की वजह से आरसीबी काउंट कम होने लगा था।

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जब होप के बारे में दुनिया को पता लगा तो पूरी दुनिया से लगभग 1 मिलियन डॉलर उसके इलाज के लिये दिया गया। एंजा ने बताया कि 8 हफ्तों के बाद होप कुछ सामान्य हुआ।

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जिसके बाद उसने अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना शुरु किया। एंजा अफ्रीकन चिलड्रेन्स ऐड एजूकेशन एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की फाउंडर है। उन्होंने हजारों बच्चों को अपनी संस्था के जरिये नई जिंदगी दी है।

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एंजा ने एक बच्चे को दूध पिलाते हुए लिखा था कि दुनियाभर से हमे जो पैसा मिला उससे होप का इलाज हुआ। बचे हुये पैसों से एक क्लीनिक खोला गया और वहां बच्चों का इलाज किया गया। ये जगह सैकड़ों बच्चों को टार्चर होने से बचा सकती है।

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