राजनीतिक रूप से चार राज्यों दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को ख़ासा अहम माना जा रहा है जबकि पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य मिज़ोरम का फ़ैसला भी इन चुनावों में होने वाला है.

इनमें से छत्तीसगढ़ में पहले दौर के चुनाव में 11 नवंबर को 18 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुक़ाबला है जबकि दिल्ली में  आम आदमी पार्टी ने मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

बदलती हुई राय

फ़िलहाल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है जबकि राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस राज कर रही है.

हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस अपने शासन वाले दोनों राज्यों में मुश्किलों में दिखाई दे रही है. ऐसे में इन चारों राज्यों के चुनाव नतीजे भाजपा को मज़बूती दे सकते हैं.

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चुनाव के नतीजे मोदी की मुहिम के लिए अहम हो सकते हैं

विश्लेषकों की राय मुख्य तौर पर दो बातों पर टिकी है. पहला, केंद्र में यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस से आम लोग भ्रष्टाचार और महंगाई के कारण नाराज़ हैं.

दूसरा गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार  नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही है.

लेकिन हाल के दिनों में कुछ विश्लेषकों की राय भी बदली है. उनका कहना है कि दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए भाजपा का रास्ता आसान नहीं होगा.

दो महीने पहले कुछ चुनावी सर्वेक्षण भाजपा को बहुमत हासिल होने की अटकलें लगा रहे थे. लेकिन पिछले दिनों हुए सर्वेक्षण बताते हैं कि कांग्रेस और भाजपा के बीच फ़ासला घट रहा है.

अहम सवाल

दिल्ली में लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद हासिल करने की दौड़ में शामिल शीला दीक्षित की सत्ता में वापसी होने की भविष्यवाणियां की जा रही हैं जबकि मध्य प्रदेश में युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारे जाने से कांग्रेस पार्टी में एकजुटता आने की बात कही जा रही है और इससे मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान को कड़ी टक्कर मिल रही है.

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दिल्ली में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की तरफ़ से कड़े मुक़ाबले का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा के मुख्यमंत्री  रमन सिंह की सत्ता में वापसी की अटकलें लग रही हैं लेकिन वहां भाजपा और कांग्रेस में मुक़ाबला कड़ा बताया जाता है.

नरेंद्र मोदी ने इन राज्यों में चुनाव प्रचार किया है जिसका फ़ायदा भाजपा को मिलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन कुछ विश्लेषक मोदी का जादू कम होने की बात भी कह रहे हैं.

भले ही इन राज्यों के चुनाव परिणाम जो हो लेकिन जो अहम सवाल पूछा जा रहा है वो ये है कि क्या इन नतीजों का अगले साल होने वाले आम चुनावों पर कोई असर होगा?

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