राज्य वित्त आयोग की धनराशि में अब नहीं होगी कटौती, नगर निगम को मिलेगा पूरा 13.50 करोड़

सपा गवर्नमेंट में 7.50 करोड़ की हुई थी कटौती, 74वें संशोधन के लिए होगा सर्वे

ALLAHABAD: प्रदेश सरकार ने नगर निगमों को वित्तीय रूप से मजबूत करने की तैयारी की है। इसका फायदा इलाहाबाद को भी पहुंचेगा। सपा सरकार में नगर निगम इलाहाबाद को हर महीने मिलने वाले राज्य वित्त आयोग की धनराशि में साढ़े पांच करोड़ की कटौती की गई थी। योगी सरकार ने उसे समाप्त कर पूरी धनराशि जारी करने का निर्णय लिया है। इसका आदेश एक सप्ताह के अंदर जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद नगर निगम को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मंगलवार को यह फैसला लखनऊ में आयोजित राज्य वित्त आयोग की मीटिंग में लिया गया। मीटिंग में सभी मेयरों को बुलाया गया था। लखनऊ से लौट कर आई मेयर अभिलाषा गुप्ता ने इलाहाबाद को हासिल उपलब्धियों की जानकारी दी।

गवर्नमेंट ने दिया था झटका

मई 2016 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने नगर निगम इलाहाबाद को जोर का झटका दिया था। निगम को राज्य वित्त आयोग से कर्मचारियों के वेतन, पेंशन भुगतान आदि के मद में हर महीने पहले 13.50 करोड़ रुपये मिलता था। उसे एक झटके में साढ़े पांच करोड़ रुपये कम करते हुए केवल साढ़े आठ करोड़ रुपया भेजा गया। इसकी वजह से नगर निगम लगातार दो वर्ष से आर्थिक तंगी झेल रहा है। मंगलवार को लखनऊ में नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में विशेष सचिव नगर विकास द्वारा कटौती को निरस्त कर पूरा पैसा दिए जाने को स्वीकृति दी गई।

ऐसे घटा था आयोग का सहयोग

- 2013-14 में द्वितीय राज्य वित्त आयोग से नगर निगम को जारी मासिक किस्त- 12 करोड़ 90 लाख, 25 हजार 790 रुपये

- 2014- 15 में तृतीय राज्य वित्त आयोग से नगर निगम को जारी मासिक किस्त- 13 करोड़ 60 लाख तीन हजार 105 रुपया

- 2015- 16 में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग से संशोधन के बाद नगर निगम को जारी मासिक किस्त- 8 करोड़, 69 लाख 58 हजार 669 रुपया

- 2016- 17 में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग से नगर निगम को जारी मासिक किस्त- 8 करोड़, 40 लाख 17 हजार 763 रुपया

- 2017- 18 में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग से नगर निगम को जारी मासिक किस्त 8 करोड़, 40 लाख, 17 हजार 763 रुपये

अवस्थापना निधि अब मेयर के हाथ

राज्य वित्त आयोग की मीटिंग में अवस्थापना निधि और 14वें वित्त आयोग की धनराशि से कराए जाने वाले कार्यो की स्वीकृति पर चर्चा हुई। ज्यादातर मेयरों ने अवस्थापना निधि और 14वें वित्त से कराए जाने वाले कार्यो की स्वीकृति का अधिकार कमिश्नर की बजाय मेयर को दिए जाने की मांग की। नगर विकास मंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर ये अधिकार मेयर को दे दिया जाएगा।

स्टांप शुल्क का पैसा अब निगम को

नगर निगम सीमा क्षेत्र में जिन संपत्तियों की रजिस्ट्री होती है, उनमें रजिस्ट्री शुल्क के साथ ही दो प्रतिशत विकास शुल्क भी शामिल होता है। लेकिन दो प्रतिशत विकास शुल्क का 80 प्रतिशत हिस्सा एडीए और आवास विकास परिषद को दिया जाता है। नगर निगम को 20 प्रतिशत धनराशि ही मिल पाती है। इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। स्टांप शुल्क का दो प्रतिशत विकास शुल्क अब नगर निगम को ही मिलेगा।

2016 में राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि में कटौती से निगम लगातार आर्थिक तंगी झेल रहा है। इसकी वजह से कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। कटौती खत्म होने से आर्थिक तंगी दूर होगी।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम, इलाहाबाद

14वें वित्त और अवस्थापना निधि की धनराशि को छोड़ दिया जाए तो नगर निगम के पास विकास कार्य के लिए पैसे ही नहीं हैं। क्योंकि राज्य वित्त आयोग द्वारा धनराशि में कटौती किए जाने से नगर निगम आर्थिक तंगी झेल रहा है। अब आर्थिक तंगी का बोझ कम होगा।

सत्येंद्र चोपड़ा

पार्षद, मीरगंज

राज्य वित्त आयोग की कटौती से सबसे ज्यादा संकट कर्मचारी ही झेल रहे हैं। कर्मचारियों को वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल पा रही है। अगर सरकार कटौती खत्म कर पूरी धनराशि जारी करती है तो कर्मचारियों की समस्या दूर हो जाएगी।

राजेंद्र पालीवाल

महामंत्री, नगर निगम कर्मचारी एसोसिएशन

पिछले कुछ वर्षो से नगर निगम अधिकारियों से जब भी किसी काम के लिए कहो, तो ये ही जवाब मिलता है कि पैसा नहीं है। अधिकारी या तो आनाकानी करते हैं, या फिर वाकई में खजाना खाली है। सरकार अगर नगर निगम का खजाना भरने की व्यवस्था करती है तो यह शहर के लिए बेहतर होगा।

किरन जायसवाल

पार्षद, कीडगंज

नाला-नाली निर्माण या फिर एक लाख रुपये से अधिक का कोई भी काम कराना हो तो उसके लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। क्योंकि कौन सा काम कराया जाना है, कौन सा नहीं ये कमिश्नर तय करते हैं।

ओपी द्विवेदी

पार्षद, मालवीय नगर