- 750 रजिस्टर्ड स्कूली बसें

- 300 से अधिक अवैध रूप से चलने वाली स्कूली बसें अनुमानित

- 2186 रजिस्टर्ड स्कूली वैन

- 4000 से अधिक अवैध स्कूली वैन

- स्कूली वाहन चालकों के पास पांच साल पुराना लाइसेंस होना अनिवार्य

- लाइसेंस पुराना होते ही भारी वाहन चलाने में

- स्कूली वाहन ड्राइवरों का वेतन होता है बहुत ही कम

LUCKNOW: स्कूली वाहन चलाने वाले ड्राइवरों के पास पांच साल पुराना लाइसेंस होना अनिवार्य है। यदि कोई नौसिखिया ड्राइवर स्कूली वाहन चलाता मिला तो सबसे पहले उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। साथ ही जिस वाहन को वह चला रहा है, उसकी स्कूली परमिट भी निरस्त कर दी जाएगी। स्कूली वाहनों में मासूमों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए परिवहन विभाग अब ड्राइवरों पर भी शिंकजा कसने की तैयारी कर रहा है। स्कूली वाहनों के बढ़ते एक्सीडेंट को देखते हुए परिवहन विभाग ने यह कदम उठाया है।

ड्राइवर पर शिंकजा कसने की तैयारी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार अधिकांश स्कूली वाहनों के एक्सीडेंट में ड्राइवरों की गलतियां सामने आई हैं। साथ ही चेकिंग के दौरान यह भी देखने को मिला है कि कई स्कूली वाहन नए ड्राइवर ही चला रहे हैं। इनके पास पांच साल पुराना लाइसेंस नहीं है जबकि स्कूली वाहनों के स्टेयरिंग को नौसिखिया ड्राइवर से दूर रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद ये मान नहीं रहे हैं। चेकिंग के दौरान ऐसे ड्राइवरों के लाइसेंस चालान कर छोड़ दिया जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

वाहन पर अब लाइसेंस की होगी डिटेल

सबसे पहले तो स्कूली वाहन चालक को अपने ड्राइविंग की जानकारी देनी होगी। उसे यह जानकारी ड्राइविंग सीट के बगल बने गेट पर लिखनी होगी। उसमें लाइसेंस नंबर के साथ ही यह मेंशन करना होगा कि उसका लाइसेंस कब बना है। साथ ही चेकिंग के दौरान यदि ड्राइवर के पास पांच साल पुराना लाइसेंस नहीं मिलता है तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। साथ ही वाहन मालिक को नौसिखिया ड्राइवर रखने के लिए उसका स्कूल परिमट निरस्त कर दिया जाएगा। सभी स्कूली वाहन ड्राइवरों के लाइसेंस की चेकिंग 26 जनवरी के बाद शुरू हो जाएगी। इसके लिए परिवहन विभाग में बैठक हो चुकी है और इसके निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं।

कम वेतन के लिए बना लेते हैं दूरी

स्कूली वाहन ड्राइवरों ने बताया कि एक साल लाइसेंस पुराना होते ही अधिकांश ड्राइवर स्कूली वाहनों से दूरी बना लेते हैं। इसका कारण है कि स्कूली वाहनों को चलाने में जो वेतन उन्हें मिलता है, वह पर्याप्त नहीं होता। इन ड्राइवरों का वेतन छह से 10 हजार रुपए तक होता है। वहीं भारी वाहन चलाने वाले ड्राइवरों को 12 हजार से 15 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। वहीं दूसरी ओर स्कूली वाहन में बच्चों की जिम्मेदारी होती है। साथ ही हर कदम पर चेकिंग का डर बना रहता है। इसी के चलते शहर में अधिकांश स्कूली वाहनों में नए नवेले ड्राइवर ही वाहन चला रहे हैं।

कोट

स्कूली वाहन उन्हें ही चलाने की छूट है जिनके पास पांच साल पुराना लाइसेंस है। नए लाइसेंस धारक स्कूली वाहन नहीं चला सकते हैं। चेकिंग के दौरान यदि कोई ड्राइवर पांच साल पुराना ड्राइविंग लाइसेंस लिए स्कूली वाहन चलाता मिला तो उसका लाइसेंस निरस्त होगा। स्कूली वाहन का परमिट भी निरस्त करने की तैयारी की जा रही है।

संजय तिवारी

एआरटीओ प्रशासन