- 2 जून को रेलवे स्टेशन के सामने से बालमुकुंद नायक का हुआ था अपहरण

- पूरे दिन गगहा के पास राप्ती नदी में बालमुकुंद की लाश एसटीएफ ने की तलाश

- पकड़े गए अभियुक्तों के पास से मिले आठ बैंकों के कागजात

GORAKHPUR : पेट भरने के लिए लोग सब कुछ करते हैं, लेकिन महज शौक पूरे करने के लिए अगर कोई अपराध की राह पर निकल पड़े तो उसे क्या कहा जाए। ईमानदार आदमी एक-एक रुपया जोड़कर अपने सपने पूरा करता है तो कुछ ऐसे भी हैं जिनसे सब्र नहीं होता। सबकुछ जल्दी हासिल करने की कोशिश में वे जरायम का रास्ता अख्तियार करते हैं। कुछ ऐसा ही रास्ता शास्त्री नगर के अशोक पासवान ने चुना और बैंकों से फर्जीवाड़ा कर लोन सैंक्शन कराना शुरू कर दिया। फर्जीवाड़े से पैसा आया तो साथी जुड़ते गए। आखिर में एक व्यापारी के अपहरण और उसकी हत्या पर ये सिलसिला थमा। एसटीएफ ने थर्सडे को 5 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

अपहरण के बाद हुई थी हत्या

कैंट थाना क्षेत्र के रेलवे स्टेशन के पास पीसीओ और फोटोकापी की दुकान चलाने वाले दुकानदार बालमुकुंद की दो जून को ही उसके दोस्तों द्बारा अपहरण के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद लाश को राप्ती नदी में फेंक दिया गया। मामले का खुलासा होने के बाद थर्सडे को राप्ती नदी में दिन भर उसकी तलाश चलती रही।

जालसाजों के साथ मिला था बालमुकुंद

एसटीएफ की मानें तो तिवारीपुर थानाक्षेत्र के सूर्यविहार कालोनी निवासी बालमुकुंद नायक (38) पुत्र नर्वदेश्वर नायक रेलवे स्टेशन के सामने पीसीओ और फोटो कॉपी की दुकान चलाता था। दुकान पर ही उसकी मुलाकात गोरखनाथ क्षेत्र के शास्त्रीनगर निवासी अशोक पासवान उर्फ राहुल, गगहा के गंगाचक रकहट निवासी संदीप कुमार, गगहा के गंगाचक रकहट निवासी अनूप कुमार, चिलुआताल थानाक्षेत्र के डोहरिया निवासी श्रवण पाठक और गोरखनाथ थानाक्षेत्र के राजेन्द्रनगर निवासी अजय श्रीवास्तव से हुई। अक्टूबर 2013 में सभी ने मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर यूनियन बैंक की नौसड़ शाखा से शाहपुर थानाक्षेत्र के बशारतपुर विष्णुपुर प्राइवेट कालोनी निवासी राकेश कुमार के नाम से 5 लाख 90 हजार रुपए का लोन सैंक्शन करवाया।

बालमुकुंद को बनाया राकेश

लोन के लिए बालमुकुंद को राकेश कुमार बनाकर बैंक के सामने प्रस्तुत किया गया और फर्जी लोन के कागजात में उसका फोटो भी लगा दिया गया। बैंक के लोगों ने कई बार बालमुकुंद को राकेश कुमार समझ कर उससे मुलाकात की। जब बैंक को फर्जीवाड़े का शक हुआ तो एसएसपी को लिखित शिकायत की गई। जानकारी के मुताबिक बालमुकुंद ने भेद खुल जाने के डर से अपने साथियों से पकड़े जाने की बात कही। यह भी कहा कि वह बैंक और पुलिस को सबकुछ बता देगा।

भेद न खुले इसलिए मार डाला

फर्जीवाड़े का भेद खुलने के डर से दो जून की शाम को पांचों ने उसे हुंडई एक्सेंट कार में बैठाया और रास्ते में गला दबाने के बाद उसकी हत्या कर दी। लाश को गगहा के कोठा भलुआन गांव के पास राप्ती नदी में फेंक दिया। बालमुकुंद के भाई रमेश नायक ने कैंट थाने में अपहरण का मुकदमा लिखाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने महज गुमशुदगी दर्ज कर इतिश्री कर ली। रमेश ने लखनऊ में डीजीपी से मुलाकात के बाद घटना के खुलासे के लिए प्रार्थनापत्र दिया। डीजीपी ने जांच एसटीएफ को सौंपी और कैंट पुलिस को अपहरण का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का निर्देश दिया।

कॉल डिटेल्स से हुआ खुलासा

एसटीएफ ने जांच शुरू की तो एक के बाद राज फाश होते गए। मृतक की मोबाइल कॉल डिटेल के आधार पर हत्या और बैंक से ऋण के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े का भी खुलासा किया। एसटीएफ ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर कैंट पुलिस को सौंप दिया। कैंट पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

बरामद हुए फर्जी दस्तावेज, मोबाइल व कार

1-एक कार निसान माइक्रा जिस पर फर्जी नंबर पाया गया।

2- एक हुंडई एक्सेंट कार जो अपहरण एवं हत्या में यूज हुई है।

3- दो लैपटॉप (डेल एवं एचपी)

4-आठ मोबाइल फोन

5- भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बैंक पासबुक, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड आदि।

6-अपहृत बालमुकुंद की घड़ी, बैंक पासबुक एवं आई कार्ड

पांच आरोपियों को हत्या और फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह भी जांच की जा रही है कि इसमें अन्य लोगों के तार तो नहीं जुड़े हैं। यदि और लोगों का नाम सामने आएगा तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रदीप कुमार, एसएसपी