नैनीताल (ब्यूरो)। इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई की प्रारंभिक रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं लिया है। इधर, दोपहर बाद सीबीआई ने प्रारंभिक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आग्रह किया तो पूर्व सीएम के अधिवक्ताओं ने इस पर आपत्ति जताई। जिसके बाद न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ ने मामले को सुनने से मना करते हुए दूसरी पीठ को रेफर कर दिया।

स्टिंग मामले में हुई सुनवाई

फ्राइडे को कोर्ट में स्टिंग मामले में सुनवाई हुई। सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल राकेश थपलियाल व संदीप टंडन ने बहस करते हुए कहा कि सीबीआई स्टिंग मामले में प्रारंभिक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना चाहती है, ताकि मामले में अग्रिम कार्रवाई कर पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। इस पर रावत के अधिवक्ता डीडी कॉमथ, पूर्व महाधिवक्ता वीबीएस नेगी व वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने बहस करते हुए कहा कि सीबीआई को इस मामले की जांच का अधिकार नहीं है।

वकीलों ने कहा पहली जांच रिपोर्ट अवैध

उन्होंने दलील दी कि चुनी हुई सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन के दौरान स्टिंग मामले की सीबीआई जांच संबंधी संस्तुति करने के नोटिफिकेशन को वापस ले लिया था और जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। रावत के अधिवक्ताओं ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को अवैध करार देते हुए कोर्ट में पेश करने पर कड़ी आपत्ति जताई। साफ किया कि इस रिपोर्ट के आधार पर रावत के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई वैध नहीं होगी। जिसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया। साथ ही जांच रिपोर्ट की वैधता पर सुनवाई की तिथि पहली अक्टूबर नियत की है।

जस्टिस खुल्बे ने खुद को किया अलग

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ ने पूर्व सीएम हरीश रावत के विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले से खुद का अलग कर लिया। जस्टिस खुल्बे की एकलपीठ ने अगली सुनवाई की तिथि पहली अक्टूबर नियत कर दी। साथ ही न्यायमूर्ति खुल्बे ने पूरे मामले से अलग करते हुए दूसरी एकलपीठ को रेफर कर दिया।

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