- जम्मू-कश्मीर में मोबाइल नेटवर्क बंद होने से सेब सप्लायर्स से कॉन्टैक्ट नहीं कर पा रहे लोकल व्यापारी

- सुस्त पड़ी कश्मीरी सेब की आवक, शिमला व कुल्लू ने संभाला मार्केट

GORAKHPUR: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल फ्70 और फ्भ् ए हटने की गहमागहमी भले ही समय के साथ नर्म पड़ गई है, लेकिन वहां मोबाइल कनेक्टिविटी का अभाव गोरखपुर के फल व्यापारियों को अब भी टेंशन देने में लगा है। वहां के सेब सप्लायर्स से कॉन्टैक्ट ना हो पाने के चलते महेवा थोक फल मंडी में कश्मीरी सेब की आवक बेहद सुस्त हो गई है। हाल ये है कि किसी तरह जुगाड़ के भरोसे इधर-उधर से कश्मीरी सेब हफ्ते में सिर्फ तीन से चार गाडि़यां ही आ रहा है। बाकी आवक की जरूरत हिमाचल प्रदेश के शिमला व कुल्लू के भरोसे पूरी हो रही है। व्यापारियों का कहना है कि शिमला और कुल्लू से सेब की आवक अधिक है इसीलिए मार्केट में सेब दिख रहा है। सीजन खत्म होने पर आवक घटेगी तो सेब के रेट में खासा उछाल आ सकता है।

सीजन के बाद बढ़ेगी दिक्कत

गोरखपुर फ्रूट एसोसिएशन अध्यक्ष राजेंद्र सोनकर ने बताया कि हिमाचल के शिमला और कुल्लू से सेब की आवक हो रही है। डेली चार से पांच गाडि़यां मंडी में आ रही हैं। ख्0 दिन और सीजन है इसलिए तब तक आवक में कमी नहीं होगी लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे कम हो जाएगी। सितंबर के पहले हफ्ते से कश्मीरी सेब की आवक शुरू हो जाती है लेकिन इस बार मोबाइल कनेक्टिविटी ना होने से सप्लायर्स से बात नहीं हो पा रही है। अभी पिछले हफ्ते दिल्ली की मंडी से सिर्फ तीन से चार गाड़ी कश्मीरी सेब आया था। वहीं कुछ उत्पादक खुद के रिस्क पर गाडि़यां लेकर आ रहे हैं। ट्रक कुछ दिनों तक सड़क पर फंसा रहता है तो सेब खराब हो सकता है। फिलहाल कश्मीर के सोपोर, शोपियां, कुलगाम समेत सैकड़ों मंडियों से माल नहीं आ पा रहा है।

बेस्ट क्वालिटी है कश्मीरी सेब

कश्मीरी सेब की क्वालिटी बेस्ट मानी जाती है। उसका वजन भी कम होता है। साथ ही वह अन्य सेब के मुकाबले मीठा होता है। यही वजह है कि लोग इसे काफी पसंद करते हैं।

हिमाचल के सेब ने संभाला बाजार

हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू में सेब का उत्पादन अधिक होता है। इस बार अधिक पैदावार होने की वजह से आवक अधिक हुई है। जिसके चलते फिलहाल गोरखपुर के फल मार्केट में सेब पर्याप्त मात्रा में नजर आ रहा है।

कश्मीर में सबसे अधिक उत्पादन

जम्मू-कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का सबसे अधिक उत्पादन होता है।

हिमाचल सेब

थोक मंडी में सेब का रेट - क्000 से क्फ्00 रुपए (एक गत्ते में ख्0 से ख्ब् किलो)

फुटकर में सेब का रेट - म्0-80 रुपए प्रति किलो

कश्मीरी सेब

थोक में कश्मीरी सेब का रेट-क्000 से क्फ्00 (एक गत्ते में क्भ् किलो)

फुटकर में कश्मीरी सेब का रेट - 80 से क्ख्0 रुपए प्रति किलो

महेवा फल मंडी में सेब की आवक

ख्0क्8

माह प्राइमरी एराइवल सेकेंड्री एराइवल

अप्रैल ख्0क्0 क्विंटल ख्00 क्विंटल

मई क्98म् क्विंटल क्0भ् क्विंटल

जून ख्भ्ख्0 क्विंटल क्क्ब् क्विंटल

जुलाई ख्म्ब्0 क्विंटल 79 क्विंटल

अगस्त ख्क्फ्ब् क्विंटल ख्क्ख् क्विंटल

सितंबर क्म्ब्क्0 क्विंटल ख्ख्फ्ब् क्विंटल

ख्0क्9

माह प्राइमरी एराइवल सेकेंड्री एराइवल

अप्रैल ख्0ख्ख् क्विंटल ख्ब् क्विंटल

मई ख्क्क्0 क्विंटल 8ब् क्विंटल

जून ख्भ्फ्भ् क्विंटल 88 क्विंटल

जुलाई ख्म्म्भ् क्विंटल फ्ब्फ् क्विंटल

अगस्त क्0ब्म्भ् क्विंटल भ्9ख्फ् क्विंटल

सितंबर क्ख्फ्ख्8 क्विंटल फ्0क्फ् क्विंटल (अब तक)

कोट्स

महेवा थोक फल मंडी में तीन से चार ट्रक कश्मीरी सेब आ रहे हैं। एक हफ्ते पहले ट्रक आया था जो कश्मीर में लोड किया गया था। उम्मीद है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी और व्यापारियों को नुकसान नहीं होगा।

राजेंद्र सोनकर, अध्यक्ष, फ्रूट एसोसिएशन

आर्टिकल फ्70 हटाए जाने पर लगा था कि कश्मीरी सेब की आवक पर विराम लग सकता है लेकिन सरकार के प्रयास की वजह से आवक शुरू हो गई है। अभी आवक कम है लेकिन उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तेज हो जाएगी।

राजन गुप्ता, फल विक्रेता