PATNA : रामगढ़ा का खूनी खेल डेढ़ दशक पुराना है। हर घटना के बाद जख्म हरा हो जाता है। लेकिन लोगों को उम्मीद है कि क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए 'जय' और 'वीरू' जरूर आएंगे।

एनकाउंटर में मंगल भी ढेर

इस बीच पुलिस ने ख्0क्0 में मंगल राय को भी मुठभेड़ में मार गिराया। उसे पुलिस ने तब मारा था जब वह बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। एक तरफ संजय सिंह का गिरोह शांत था तो दूसरी तरफ दूसरे गैंग के लोग पुलिस एनकाउंटर में मारे जा रहे थे। ऐसे में हर किसी का शक संजय खेमे पर पुलिस की मुखबिरी करने को लेकर था। इससे दुश्मनी का घाव और गहराने लगा।

फिर आगे आया महेशिया

मंगल की मौत के बाद राकेश के गिरोह की कमान महेशिया नाम से चर्चा में रहने वाला बदमाश महेश राय ने कमान संभाल ली। अपराध जगत का यह खिलाड़ी दानापुर के दियारा में शरण लेकर संजय सिंह के समर्थकों को चुनौती देना शुरू कर दिया।

शशिभूषण पर साधा निशाना

संजय सिंह के करीबी रहे शशिभूषण सिंह के खिलाफ गैंग ने हल्ला बोल दिया। ख्0 जुलाई ख्0क्क् को छपरा शहर में पूर्व सांसद स्व.उमाशंकर सिंह के आवास पर बैठे शशिभूषण के छोटे भाई मणिभूषण, दानापुर प्रखंड के सतजोरा पंचायत के मुखिया देवेंद्र सिंह और उसके चालक दिनेश राय की हत्या कर दी गई। इस घटना में शशिभूषण सिंह ने छपरा के टाउन थाना में महेश उर्फ महेशिया, अविनाश राय, निकेश राय सहित सात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

हत्याकांड के बाद गवाह पर खतरा

पूर्व सांसद के घर हुए तिहरे हत्याकांड में शशि भूषण सिंह के करीबी मंजीत सिंह घटना के चश्मदीद गवाह बने। जो बैकुंठपुर गांव के थे और गांव में ही दवा की दुकान करते हैं। घटना के कुछ ही दिन बाद अपराधियों ने बैकुंठपुर में मंजीत पर हमला कर दिया। ताबड़तोड़ गोलियां चली लेकिन मंजीत बाल बाल बच गया। गांव की भीड़ ने भी मंजीत की सुरक्षा में हमला किया जिसमें एक हमलावर मारा गया।

शशि भूषण को भेज दिया जेल

दोनों खेमे में जल रही दुश्मनी की आग के बीच ही शशिभूषण को पुलिस ने आ‌र्म्स एक्ट में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। क्योंकि ऐसा नहीं होता तो शायद कोई बड़ी घटना हो जाती। क्योंकि तैयारी ऐसी ही की गई थी। पुलिस भी भांप गई थी कि कोई बड़ा कांड होने वाला है। शशि भूषण के भाई की गोली मारकर हत्या शशिभूषण के जेल जाने के कुछ ही दिन बाद महेशिया गिरोह ने उनके चचेरे भाई मृत्युंजय सिंह की घर पर ही गोली मारकर हत्या कर दी। इस बीच शशिभूषण जमानत पर जेल से बाहर आए। दोनों खेमे एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठे थे।

शशिभूषण को परिवार सहित उड़ाने की कोशिश

जेल से बाहर आने के बाद शशि भूषण के सिर पर खतरा और मंडराने लगा। उन्हें परिवार सहित उड़ाने की उस वक्त असफल कोशिश हुई जब वह कार से पटना जा रहे थे। बदमाशों ने गोविंद चक ढाला के पास उनकी गाड़ी पर बम से हमला कर दिया। इस घटना में शशि भूषण सिंह बाल बाल बच गए, लेकिन उनके ड्राइवर सहित कई अन्य घायल हो गए। इस बीच शशि भूषण को अपराधिक मामलों में सजा हो गई और वह फिर जेल चले गए।

खुशबू को बनाया हथियार

रामगढ़ा से शुरू हुए खूनी खेल में नया मोड़ वर्ष ख्0क्ब् में आ गया। संजय सिंह के करीबी रहे और तिहरे हत्या कांड में मुकदमा दर्ज कराने वाले शशि भूषण सिंह के पटिदार को विरोधी गैंग ने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। चूंकि खुशबू से शशिभूषण की दुश्मनी थी लिहाजा बदमाशों ने इसे भांपकर नया दांव खेला। वह खुशबू के अंदर शशि भूषण के खिलाफ जहर भरकर एक तीर से कई निशाना साधना चाहते थे।

कोर्ट में शशि भूषण पर हमला

खुशबू का नाम क्9 सितंबर ख्0क्ब् को पहली बार तब चर्चा में आया जब शशि भूषण की पेशी के दौरान छपरा कोर्ट में बम से हमला हुआ। शशि भूषण इस घटना में बाल बाल बच गए लेकिन खुशबू जरायम की दुनिया में चर्चा में आ गई। इस मामले में खुशबू को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेजा लेकिन जल्द ही जमानत पर छूट गई।

मानव बम से उड़ाने की थी योजना

क्8 अप्रैल ख्0क्म् को छपरा कोर्ट में मानव बम बनकर पहुंची खुशबू का निशाना शशि भूषण था। वह खुद के साथ शशिभूषण को खत्म करना चाहती थी। लेकिन संयोग था कि जिस कोर्ट के बाहर खुशबू बैठी थी वहां शशिभूषण की पेशी नहीं थी। उक्त कोर्ट में दूसरे बदमाश ननकू सिंह और अरूण शाह की पेशी थी। यह दोनों दूसरी हत्या में आरोपित हैं। पुलिस की पूछताछ में खुशबू ने बताया भी कि कोर्ट में उसे महेशिया ही लेकर आया था।

ब्लास्ट के बाद नया गैंगवार

इधर, ब्लास्ट से ननकू और अरुण को लगा कि उसका विरोधी धर्मेद्र राय, खुशूब को मानव बम बनाकर उन्हें उड़ाने के लिए भेजा था। क्योंकि दोनों धर्मेद्र राय के भाई की हत्या में आरोपित हैं। दोनों पक्षों में काफी दिनों से गैंगवार चल रहा है। बताया जाता है कि धर्मेद भी पहले ननकू और अरुण के गैंग में था और अब विरोध में है। छपरा कांड के बाद, पूर्व में हुई गैंगवार में धर्मेद के पिता और भाई पर हमला हुआ था जिसमें भाई मारा गया जबकि पिता की जान बच गई थी। छपरा ?लास्ट के एक दिन बाद फिर धर्मेद्र के घर उसके पिता, मां और बहन पर गोलियां बरसाई गई। इस घटना में पीएमसीएच में इलाज के दौरान पिता की मौत हो गई जबकि बहन और मां का इलाज चल रहा है। सूत्रों की मानें तो खुशबू का उस कोर्ट के सामने ?लास्ट करना ही फिर गैंगवार की वजह है।

खूनी खेल अभी बाकी है

एक तरफ शशि भूषण सिंह की सजा पूरी हो चुकी है तो दूसरी ओर महेशिया भी चुनौती दे रहा है। ऐसे में इस खूनी खेल के खत्म होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। बताया जा रहा है कि शशि भूषण को राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिल पा रही है जिससे वह जेल से बाहर नहीं निकल रहा है। वहीं महेशिया को पकड़ने की कोशिश भी नाकाम हो रही है। ऐसे में रामगढ़ा में पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है।

पुलिस से भी हुई है चूक

रामगढ़ा के इस खूनी खेल में पुलिस से भी चूक हुई है.क्योंकि थाना गांव से 8 किमी दूर है और पुलिस की गश्त वहां नहीं हो पाती है। ऐसे में गांव के लोगों ने वहां चौकी स्थापना की मांग की थी। प्रशासन ने आश्वासन भी दिया था लेकिन मामला जस का तस है.फिलहाल पुलिस अभी भी एक्टिव हो जाए और घटना से जुड़े अपराधी पकड़े जाएं तथा सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए तो खूनी खेल का दौर थम सकता है।