- सरकारी स्कूलों में कल्चर की किताब पढ़ाने की तैयारी

- शासन को भेजा गया प्रस्ताव, बजट स्वीकृत होते ही स्कूलों में शामिल होगा पाठ्यक्रम

DEHRADUN:

शिक्षा विभाग जल्द ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों में उत्तरांखड की संस्कृति से छात्रों को रूबरू कराने जा रहा है। जिसको लेकर एक सिलेबस तैयार कर शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया गया है। शासन से बजट की स्वीकृति मिलते ही किताबों को छात्रों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

कल्चर, फॉक, की होगी जानकारी

शिक्षा विभाग प्रदेश में अपने स्तर से सरकारी स्कूलों में बच्चों को देवभूमि की सभी जानकारियों को किताबों के जरिए पढ़ाने जा रहा है। जिसके लिए विभाग की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विभाग ने ऐसे सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सिलेबस तैयार कर शासन की मंजूरी के लिए भेज दिया है। जिसके लिए बजट भी स्वीकृत होना है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि बच्चों को पढ़ाए जाने वाली किताब में पहाड़ का कल्चर, फॉक, म्यूजिक, ट्रेडिशन, डांस, पहाड़ी व्यंजन, भाषा, भूगोल, इतिहास के अलावा देवभूमि के लीडर्स को भी शामिल किया गया है। जो एक ही किताब में संकलित होगा। गौर हो कि प्रदेश में एनसीईआरटी किताबों को मुहैया कराने जा रही है। लेकिन जो किताब शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की जा रही है। उसको अलग से विभाग के स्तर से प्रकाशित कराया जाएगा। जिससे बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक किया जा सके। हालांकि शिक्षा विभाग की कोशिश है कि सूबे के सभी स्कूलों जिसमें निजी स्कूल भी शामिल हैं सबको अपने कल्चर की किताब पढ़ाई जा सके। लेकिन अब तक शिक्षा विभाग ने अपने कल्चर की किताब को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का निर्णय लिया है। जो अगले सत्र ख्0क्8-क्9 से शुरू हो जाएगा।

नोटबंदी, जीएसटी भी किताब में

इधर शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में जीएसटी और नोटबंदी के बारे में जानकारी बच्चों को देने का प्रयास करने में जुटा है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि सरकारी स्कूलों में जीएसटी और नोटबंदी को लेकर सिलेबस तैयार किया जा रहा है। जो माध्यमिक और उससे बड़ी क्लास के छात्रों को पढ़ाया जा सकता है। हालांकि इसको लेकर होमवर्क भी चल रहा है। लेकिन अधिकारियों ने अब तक इसको लेकर स्पष्ट नहीं किया है। ऐसे में आने वाले समय में जीएसटी और नोटबंदी को लेकर किताब भी सिलेबस में शामिल करने की चर्चा है।

प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। बजट की स्वीकृति मिलते ही योजना पर काम आगे बढ़ाया जाएगा।

सीमा जौनसारी, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण